अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (30-July-2019)^म्यामां के प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश में रोहिंग्या शिविर का दौरा किया, उन्हें वापस लेने की इच्छा जतायी
Posted on July 30th, 2019
म्यामां ने सोमवार को रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की, हालांकि इसको लेकर बांग्लादेश का कहना है कि पड़ोसी देश को वापसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए पहले उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समूह का विश्वास अर्जित करना चाहिए।
म्यामां के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शिविरों का दौरा किया और उनके प्रतिनिधियों से बात की।
19 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले म्यांमा के विदेश मामलों के स्थायी सचिव माइंट थू ने ढाका में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने उनसे (रोहिंग्या से) कहा है कि यह विचार करने का सही समय है कि उन्हें वापस आ जाना चाहिए या नहीं, क्योंकि हमने उनके प्रमुख मुद्दों पर अपना स्पष्टीकरण दिया है।’’
थू ने कहा, ‘‘म्यांमा रोहिंग्याओं का (घर वापस आने पर) स्वागत करने के लिए तैयार है ... लेकिन केवल एक चीज यह है कि उन्हें (रोहिंग्याओं को) खुद यह फैसला (उनकी वापसी के बारे में) करना होगा।’’
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव कमरुल अहसन ने कहा कि म्यामां को रोहिंग्याओं के बीच, उनकी स्वैच्छिक वापसी के लिए विश्वास पैदा करना होगा। जब तक उनमें भरोसा पैदा नहीं होगा तब तक वे (रोहिंग्या) वापस नहीं जाएंगे।’’
अहसन ने कहा, ‘‘हम (बांग्लादेश) किसी को जबरन वापस नहीं भेज सकते।’’ गौरतलब है कि 2017 में रखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना की कार्रवाई के बाद करीब 7,40,000 रोहिंग्या वहां से भागकर बांग्लादेश आ गए और कॉक्स बाजार में बने विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं।
म्यांमा पर रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने और उन्हें नागरिकता के अधिकार देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का काफी दबाव है।
अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (30-July-2019)म्यामां के प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश में रोहिंग्या शिविर का दौरा किया, उन्हें वापस लेने की इच्छा जतायी
म्यामां ने सोमवार को रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की, हालांकि इसको लेकर बांग्लादेश का कहना है कि पड़ोसी देश को वापसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए पहले उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समूह का विश्वास अर्जित करना चाहिए।
म्यामां के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शिविरों का दौरा किया और उनके प्रतिनिधियों से बात की।
19 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले म्यांमा के विदेश मामलों के स्थायी सचिव माइंट थू ने ढाका में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने उनसे (रोहिंग्या से) कहा है कि यह विचार करने का सही समय है कि उन्हें वापस आ जाना चाहिए या नहीं, क्योंकि हमने उनके प्रमुख मुद्दों पर अपना स्पष्टीकरण दिया है।’’
थू ने कहा, ‘‘म्यांमा रोहिंग्याओं का (घर वापस आने पर) स्वागत करने के लिए तैयार है ... लेकिन केवल एक चीज यह है कि उन्हें (रोहिंग्याओं को) खुद यह फैसला (उनकी वापसी के बारे में) करना होगा।’’
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव कमरुल अहसन ने कहा कि म्यामां को रोहिंग्याओं के बीच, उनकी स्वैच्छिक वापसी के लिए विश्वास पैदा करना होगा। जब तक उनमें भरोसा पैदा नहीं होगा तब तक वे (रोहिंग्या) वापस नहीं जाएंगे।’’
अहसन ने कहा, ‘‘हम (बांग्लादेश) किसी को जबरन वापस नहीं भेज सकते।’’ गौरतलब है कि 2017 में रखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना की कार्रवाई के बाद करीब 7,40,000 रोहिंग्या वहां से भागकर बांग्लादेश आ गए और कॉक्स बाजार में बने विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं।
म्यांमा पर रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने और उन्हें नागरिकता के अधिकार देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का काफी दबाव है।