राज्य समसामियिकी 1 (4-July-2019)
राजस्थान में शिशु लिंगानुपात बढ़कर 948 हुआ (Child sex ratio in Rajasthan increased to 948)

Posted on July 4th, 2019 | Create PDF File

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राजस्थान में जन्म के समय का शिशु लिंगानुपात वित्त वर्ष 2018-19 में बढ़कर 948 हो गया। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रेग्नेंसी एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम (पीसीटीएस) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है।

 

पीसीटीएस के आंकड़ों के अनुसार राज्य में जन्म के समय बाल लिंगानुपात वित्त वर्ष 2015-16 में 929, 2016-17 में 938 तथा वर्ष 2017-18 में 944 रहा था। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक यह मात्र 888 था।

 

आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख प्रसव होते हैं तथा इनमें से 14 लाख 50 हजार संस्थागत प्रसव के आंकड़े पीसीटीएस के तहत ट्रेक किए जाते हैं।

 

चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि जन्म के समय के बाल लिंगानुपात की दृष्टि से प्रदेश का बांसवाड़ा जिला पहले स्थान पर रहा है। बांसवाड़ा जिले में वर्ष 2018-19 के दौरान हुए शिशु जन्म में 1000 बालकों की तुलना में 1003 बालिकाओं ने जन्म लिया। जिले में वर्ष 2015-16 में लिंगानुपात 941, वर्ष 2016-17 में 964, वर्ष 2017-18 में 954 था।

 

डॉ. शर्मा ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान बाल लिंगानुपात चूरू में 986, बाड़मेर 982, हनुमानगढ़ में 977 व जालोर में 974 रहा है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान गत वर्ष की तुलना में सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में हुई है। बाड़मेर में लिंगानुपात 954 से बढ़कर 982 हो गया। इसी प्रकार जालोर में यह 950 से 974, भीलवाड़ा में 933 से बढ़कर 951, प्रतापगढ़ में 921 से 938 व जोधपुर में 947 से बढ़कर 963 हो गया।

 

उन्होंने बताया कि राज्य में पीसीपीएनडीटी एक्ट का सख्ती से अनुपालन करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस एक्ट का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2019 के दौरान अब तक 978 सॉनोग्राफी केन्द्रों का निरीक्षण किया जा चुका है।