अर्थव्यवस्था समसामियिकी 4 (7-Feb-2019)
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक-2019 को मंत्रिमंडल की मंजूरी
( Cabinet approval for International Financial Services Center Authority Bill -2019)

Posted on February 7th, 2019 | Create PDF File

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देश में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में सभी तरह की वित्तीय सेवाओं के नियमन के लिए एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना के उद्देश्य से एक विधेयक के मसौदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मंजूरी दी। यह प्राधिकरण आईएफएससी केंद्र में अन्य वित्तीय नियामकों के अधिकारों को लागू कराने का एकमात्र प्राधिकारी होगा।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक-2019 को मंजूरी दी गई।



वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार मसौदा विधेयक के अनुसार इस प्राधिकरण का एक चेयरमैन होगा और उसमें भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) और पेंशन नियामक पीएफआडीए के एक-एक प्रतिनिधि होंगे। इसके अलावा दो सदस्य केंद्र सरकार नामित करेगी और दो अन्य सदस्य रखे जाएंगे जो पूर्णकालिक या अंशकालिक हो सकते हैं।



बैठक के बाद जारी एक सरकारी बयान में कहा गया है कि इस प्राधिकरण के पास वित्तीय सेवाओं के विभिन्न नियामक संस्थानों के सारे अधिकार होंगे। आईएफएसी केंद्र में इन अधिकारों को लागू करने की यह एकमात्र एजेंसी होगी।



गौरतलब है कि देश में ऐसा पहला केंद्र गुजरात में गांधीनगर की गिफ्ट सिटी में खोला गया है।



बयान के मुताबिक ऐसे केंद्रों का उद्देश्य लंदन और सिंगापुर जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्रों में भारतीय कंपनियों और भारतीय वित्तीय संस्थाओं की अनुषंगी इकाइयों द्वारा किए जाने वाले वित्तीय कारोबार को भारत में लाने के लिए अनुकूल कानूनी और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना है।



इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक वित्तीय बाजार से संपर्क करने में आसानी होगी।



मौजूदा समय में आईएफएससी केंद्रों में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की वित्तीय सेवाओं का नियमन रिजर्व बैंक, सेबी और इरडा जैसी अलग-अलग नियामकीय एजेंसियां करती हैं।



बयान में कहा गया है कि आईएफएससी में कारोबार के लिए नियामकों के बीच उच्च स्तर के समन्वय की जरूरत होती है और वहां नियमों में जल्दी-जल्दी स्पष्टीकरण और संशोधनों की भी जरूरत होती है। इन विशेष आवश्यकताओं को देखते हुए हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए एकीकृत प्राधिकरण का फैसला किया है।