44वां संशोधन अधिनियम, 1978 (42वां संशोधन के तहत कुछ मामलों को रद्द करने के संदर्भ में जनता सरकार द्वारा प्रभावी) (Forty-fourth Constitutional Amendment, 1978)

Posted on May 16th, 2022 | Create PDF File

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44वां संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान के संशोधित प्रावधान-

 

1.लोकसभा एवं राज्य विधानमंडल के कार्यकाल को पूर्ववत् रखा गया (5 वर्ष)।

 

2.संसद एवं राज्य विधानमंडल में कोरम के उपबंध को पूर्ववत रखा।

 

3.संसदीय विशेषाधिकारों के संबंध में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के संदर्भ को हटा दिया गया।

 

4.संसद एवं राज्य विधानमंडल की कार्यवाही की रिपोर्ट के समाचारपत्र में प्रकाशन के लिए  सांविधानिक संरक्षण प्रदान किया गया।

 

5.कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिए एक बार भेजने की राष्ट्रपति को शक्ति, परन्तु पुनर्विचार के बाध्य यह बाध्यकारी होगी।

 

6.अध्यादेश जारी करने में राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं प्रशासक की संतुष्टि के उपबंध को समाप्त  किया गया।

 

7.उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की कुछ शक्तियों को फिर से प्रदान किया गया।

 

8.राष्ट्रीय आपात के संदर्भ में 'आंतरिक अशांति' शब्द के स्थान पर 'सशस्त्र विद्रोह' शब्द रखा गया।

 

9.राष्ट्रपति के लिए यह व्यवस्था बनाई गई कि वह केवल कैबिनेट की लिखित सिफारिश पर  ही आपातकाल घोषित कर सकता है।

 

10.राष्ट्रीय आपात और राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर सुरक्षा की दृष्टि से कुछ और व्यवस्थाएं बनाईं।

 

11.मूल अधिकारों की सूची से संपत्ति का अधिकार समाप्त किया गया और इसे केवल विधिक अधिकार बनाया गया।

 

12.अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित नहीं किया जा सकता।

 

13.उस उपबंध को हटाया गया जिसने न्यायालय के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवाद मामलों पर निर्णय देने की शक्ति छीन ली थी।