आधिकारिक बुलेटिन -4 (7-Mar-2019) भारत और अन्य देशों के मध्य समझौते(Agreement between India and other countries)

Posted on March 7th, 2019 | Create PDF File

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और जर्मनी के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने व्यावसायिक सुरक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य (ओएसएच) क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और जर्मनी के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी है। समझौता ज्ञापन का 13 नवंबर, 2018 को नवीकरण किया गया था।

 

लाभ:

 

समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई प्रशिक्षण तकनीक अपनाने और जोखिमों से निपटने में काफी मदद मिली है। समझौता ज्ञापन के तहत निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में व्यावसायिक और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ के माध्यम से जर्मनी की सामाजिक दुर्घटना बीमा के जरिए काफी मदद मिल रही है। इससे बड़ी संख्या में श्रमिक बेहतर ओएसएच सेवाओं का लाभ ले सकेंगे। साथ ही रोजगार से जुड़ी दुर्घटनाओं और बीमारियों से भी उनका बचाव हो सकेग। इस समझौते से श्रम मंत्रालय के तकनीकी विभाग - कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिदेशालय के कौशल विकास और व्या वसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुख्य निरीक्षक कारखाना अधिकारी की सेवाओं को और बेहतर बनाया जा सकेगा। इससे भारतीय श्रम बल के लिए उभरती हुई चुनौतियों से निपटने के लिए ओएसएच के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए प्रयोगशालाओं का उन्नयन और सुरक्षा के मामले में ओएसएच के मानकों का विकास सुनिश्चित हो सकेगा।

 

मंत्रिमंडल ने कैंसर शोध पहल पर भारत और ब्रिटेन के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कैंसर शोध पहल पर भारत और ब्रिटेन के बीच समझौता ज्ञापन को अपनी मंजूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन पर 14 नवंबर, 2018 को हस्ताक्षर किए गए थे।

 

विवरणः

 

भारत-ब्रिटेन कैंसर शोध पहल क्लिनिकल शोध, जनसांख्यिकी शोध, नई टेक्नोलॉजी और शरीर विज्ञान के क्षेत्र में भारत और ब्रिटेन के अग्रणी विशेषज्ञों को साथ लाकर किफायती, रोकथाम तथा कैंसर देखभाल जैसी शोध चुनौतियों की पहचान करेगी। यह पहल नये शोध गठजोड़ विकसित करने में पहल करेगी और कैंसर परिणामों के विरूद्ध प्रगति को सक्षम बनाने में प्रभावी शोध कार्य करेगी।

 

धन पोषण व्यवस्थाः

 

5 वर्षों में इस पहल के लिए कुल शोध धनकोष 10 मिलियन पाउंड (लगभग 90 करोड़ रुपये) का होगा। इस कोष में कैंसर रिसर्च यूके (सीआरयूके) की हिस्सेदारी 5 मिलियन पाउंड (लगभग 45 करोड़ रुपये) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की हिस्सेदारी भी 5 मिलियन पाउंड (लगभग 45 करोड़ रुपये) की होगी। दोनों की बराबर निधियां वित्त वर्ष प्रारंभ होने के समय जारी दरों के अनुसार होंगी।

 

प्रभावः

 

कैंसर परिणामों में सुधार के उद्देश्य के साथ प्रौद्योगिकी, बायोमेडिकल, क्लिनिकल तथा फार्मास्युटिकल नवाचारों में वृद्धि के बावजूद कैंसर देखभाल पर बढ़ते खर्च को पूरा करने में विश्व की बोझ से दबी स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से लैस नहीं हो पाएगी। भारत-यूके कैंसर शोध पहल ने श्रेष्ठ शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, स्वास्थ्य सेवा संगठनों तथा संस्थानों को एक-दूसरे से जुड़ने में सहयोग के लिए रूपरेखा तय की है, ताकि कैंसर देखभाल के लिए उच्च मूल्य और कम लागत के बहु-विषयक शोध मंच तैयार हो सके। इस पहल के माध्यम से डॉक्टोरल, पोस्ट डॉक्टोरल स्तर के शोधकर्ताओं और प्रारंभिक केरियर के वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे शोधकर्ता न केवल अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित किए जाएंगे, बल्कि उन्हें आवश्यक नेतृत्व और परियोजना प्रबंधन कौशल में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे उन्हें अकादमिक क्षेत्र और संबंधित बायो-फार्मा उद्योग में निश्चित अवधि के शोध कार्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

 

पृष्ठभूमिः

 

भारत-ब्रिटेन कैंसर शोध पहल विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा कैंसर रिसर्च यूके (सीआरयूके) का 5 वर्ष का सहयोगी द्विपक्षीय शोध कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम कैंसर के किफायती दृष्टिकोण पर फोकस करेगा। 5 वर्ष में सीआरयूके और जैव प्रौद्योगिकी विभाग दोनों 5-5 मिलियन पाउंड (लगभग 45 करोड़ रुपये) का निवेश करेंगे और संभावित धन देने वाले सहयोगियों से आगे निवेश की कोशिश करेंगे। भारत-ब्रिटेन कैंसर शोध कार्यक्रम की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 18 अप्रैल, 2018 की ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में की गई थी। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया था कि “उन्नतशील लोकतंत्र के रूप में हम घनिष्टता के साथ काम करने की इच्छा साझा करते हैं और उन सभी के साथ घनिष्टता के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त करते हैं जो सहमत अंतर्राष्ट्रीय तौर-तरीकों, वैश्विक शांति और स्थिरता मर्यादित करने वाली नियम आधाऱित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को समर्थन देने में हमारे उद्देश्यों को साझा करते हैं। एक साथ भारत और ब्रिटेन एक अनिश्चित विश्व में अच्छाई के लिए एक शक्ति हैं। हम वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करते हैं। भारत का जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा कैंसर रिसर्च यूके 10 मिलियन पाउंड (लगभग 90 करोड़ रुपये) की द्विपक्षीय शोध पहल लांच करने का प्रस्ताव करते हैं, जो कैंसर के इलाज के लिए कम लागत पर फोकस करेगी”।

 

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी मदद(एमएलएटी) के लिए भारत और बेलारूस के बीच समझौते को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी मदद (एमएलएटी) के लिए भारत और बेलारूस के बीच समझौते को मंजूरी दे दी है।

इसके अमल में आने के साथ ही समझौता करने वाले दोनों पक्षों के बीच दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्‍पर कानूनी मदद को बढ़ाव मिलेगा। इसका मकसद दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में कानूनी सलाह का अनुरोध करने वाले पक्षों के नागरिकों को लिंग, समुदाय और आय के मामलें में बिना भेदभाव किए लाभ पहुंचाना है।

 

कैबिनेट ने यूपीएससी और सीएससीएम के बीच सहमति-पत्र (एमओयू) को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और सिविल सर्विस काउंसिल ऑफ मंगोलिया (सीएससीएम) के बीच सहमति-पत्र (एमओयू) को स्वीकृति दे दी है।

 

इस एमओयू से सीएससीएम तथा यूपीएससी के बीच मौजूदा संबंध और ज्यादा मजबूत होंगे। इस एमओयू से भर्ती करने के क्षेत्र में दोनों ही पक्षों के अनुभवों और विशेषज्ञता को साझा करने में सुविधा होगी।

 

मंत्रिमंडल ने एमएचईपी के संबंध में ऋण पुनर्भुगतान की अवधि दो वर्ष बढ़ाने के लिए भारत और भूटान के बीच अनुबंध के अनुच्छेद 3 में संशोधन को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मांग्डेछू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (एमएचईपी) के संबंध में ऋण पुनर्भुगतान की अवधि दो वर्ष बढ़ाने के लिए भारत और भूटान के बीच अनुबंध के अनुच्छेद 3 में संशोधन करने की मंजूरी दी है। ऐसा भूटान में इस परियोजना का कार्यान्वयन 15 वर्ष से बढ़ाकर 17 वर्ष करने के लिए किया जा रहा है।

 

लाभ :

 

इस प्रस्ताव का उद्देश्य निम्नलिखित को सुनिश्चित करना है -

 

भूटान में 720 मेगावाट एमएचईपी से विद्युत आयात के लिए पहले साल की दर सूची 4.12 भारतीय रुपया प्रति यूनिट।


एमएचईपी से भूटान द्वारा भारत को अधिशेष विद्युत की निश्चित रूप से आपूर्ति।


भारत-भूटान आर्थिक संबंधों और विशेष रूप से पन-विद्युत सहयोग के क्षेत्र में परस्पर संबंधों और समग्र रूप से भारत-भूटान संबंधों को अधिक मजबूत बनाना।

 

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी मदद(एमएलएटी) के लिए भारत और बेलारूस के बीच समझौते को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी मदद (एमएलएटी) के लिए भारत और बेलारूस के बीच समझौते को मंजूरी दे दी है।

 

इसके अमल में आने के साथ ही समझौता करने वाले दोनों पक्षों के बीच दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्‍पर कानूनी मदद को बढ़ाव मिलेगा। इसका मकसद दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में कानूनी सलाह का अनुरोध करने वाले पक्षों के नागरिकों को लिंग, समुदाय और आय के मामलें में बिना भेदभाव किए लाभ पहुंचाना है।

 

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और आस्ट्रिया के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी-

 

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सड़क आधारभूत संरचना के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए भारत सरकार के केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा ऑस्ट्रिया के परिवहन, नवाचार और तकनीकी मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है।

 

प्रभाव:

 

इस समझौता ज्ञापन के जरिए दोनों देशों के बीच सड़क परिवहन, सड़क/राजमार्ग आधारभूत संरचना विकास, प्रबंधन और प्रशासन तथा सड़क सुरक्षा और आधुनिक परिवहन प्रणाली के लिए द्विपक्षीय सहयोग की एक प्रभावी रूपरेखा तैयार की जा सकेगी।

 

इससे भारत और ऑस्ट्रिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत द्विपक्षीय संबंध और प्रगाढ़ हो सकेंगे। इसके अलावा दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार और क्षेत्रीय निकटता भी बढ़ेगी।

 

लाभ:

 

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सड़क परिवहन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ने से सड़क सुरक्षा तथा इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने की संभावनओं को बल मिलेगा। परिवहन क्षेत्र में सहयोग बढ़ने से इससे दोनों देशों के बीच पहले से बने मजबूत संबंध और प्रगाढ़ हो सकेंगे।

 

पृष्ठभूमि:

 

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच 1949 में राजनयिक संबंध बने थे जो समय के साथ लगातार मजबूत हुए हैं। दोनों देश मैत्रीपूर्ण आर्थिक और राजनयिक संबंधों को साझा करते हैं। सड़क और राजमार्ग तकनीक के मामले में ऑस्ट्रिया काफी विकसित है। खासतौर से इलेक्ट्रॉनिक टोल प्रणाली, अत्याधुनिक परिवहन व्यवस्था, यातायात प्रबंधन प्रणाली, भूमिगत मार्ग निगरानी व्यवस्था, भू-मानचित्र तथा भूस्खलन सुरक्षा के क्षेत्र में ऑस्ट्रिया के पास बेहद उन्नत तकनीक मौजूद है।