आधिकारिक बुलेटिन -3 (5-Mar-2019)
स्‍वच्‍छ भारत ग्रामीण के स्‍वतंत्र सत्‍यापन से शौचालयों के 96 प्रतिशत से भी अधिक उपयोग की पुष्टि हुई(Independent Verification of Swachh Bharat Grameen confirms over 96% usage of toilets)

Posted on March 5th, 2019 | Create PDF File

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स्‍वच्‍छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएमजी) की विश्‍व बैंक सहायता परियोजना के तहत एक स्‍वतंत्र सत्‍यापन एजेंसी (आईवीए) द्वारा आयोजित राष्‍ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्‍वच्‍छता सर्वेक्षण (एनएआरएसएस) से पता चला है कि ग्रामीण भारत के जिन 96.5 प्रतिशत से भी अधिक परिवारों की शौचालय तक पहुंच है वे इसका उपयोग कर रहे हैं। एनएआरएसएस ने यह भी पुष्टि की कि गांवों की खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) की स्थिति 90.7 प्रतिशत है। इन गांवों की विभिन्‍न जिलों और राज्‍यों द्वारा खुले में शौच से मुक्‍त होने की पूर्व घोषणाओं का सत्‍यापन किया गया था। यह सर्वेक्षण नवम्‍बर 2018 और फरवरी 2019 के बीच आयोजित किया गया था। इसमें भारत के राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 6136 गांवों के 92040 परिवारों को शामिल किया गया था।

 

एनएआरएसएस 2018-19 के मुख्‍य निष्‍कर्ष इस प्रकार हैं:-

 

· सर्वेक्षण अवधि के दौरान 93.1 परिवारों की शौचालयों तक पहुंच पाई गई (नवम्‍बर 2018 में एसबीएमजी एनआईएस के अनुसार समतुल्‍य आंकड़ा 96 प्रतिशत था)।

· जिन 96.5 प्रतिशत लोगों की शौचालय तक पहुंच है वे उसका उपयोग करते हैं।

· पहले ओडीएफ घोषित और सत्‍यापित 90.7 गांवों की ओडीएफ की पुष्टि हुई। शेष गांवों में भी स्‍वच्‍छता की कवरेज लगभग 93 प्रतिशत पाई गई।

· 95.4 प्रतिशत गांवों के सर्वेक्षण में भी न्‍यूनतम कचरा और न्‍यूनतम जल ठहराव पाया गया।

 

स्‍वतंत्र सत्‍यापन एजेंसी (आईवीए) ने एनएआरएसएस के निरीक्षण के लिए गठित विशेषज्ञ कार्यसमूह (ईडब्‍ल्‍यूजी) को अपने निष्‍कर्ष प्रस्‍तुत किए थे। एनएआरएसएस में विश्‍व बैंक, यूनिसेफ, वा‍टर ऐड, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, इंडिया सैनिटेशन कोअलिशन, जैसे संगठनों और नीति आयोग और सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हैं। ईडब्‍ल्‍यूजी ने सर्वेक्षण के दूसरे दौर के समापन को संतोषजनक बताया इसके बाद आईवीए ने अपनी अनंतिम संक्षिप्‍त परिणाम रिपोर्ट और रॉ डाटा पेयजल और स्‍वच्छता मंत्रालय को प्रस्‍तुत किया। जिसे मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। सर्वेक्षण में पीपीएस (आकार के लिए संभावना अनुपात) नमूना पद्धति का उपयोग किया। जिससे परिणाम 95 प्रतिशत के विश्‍वास अंतराल पर मिलते हैं। डॉटा कम्‍प्‍यूटर असिस्‍टेड पर्सनल इंटरव्‍यूइंग (सीएपीआई) प्‍लेटफॉर्म का उपयोग करके एकत्र किए गए हैं। इस सर्वेक्षण में इन गांवों के स्‍कूलों, आंगनवाडि़यों और सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों को शामिल किया गया।

 

अक्‍टूबर 2014 में शुरुआत होने के बाद से भी एसबीएम दुनिया का सबसे बड़ा स्‍वच्‍छता कार्यक्रम है। इसने शौचालय पहुंच और उसके उपयोग के बारे में करोड़ों लोगों के व्‍यवहार को बदल दिया है। इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से 500 मिलियन लोगों ने खुले में शौच करना बंद कर दिया है।

 

इस मिशन के तहत ग्रामीण भारत में 9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। 30 ओडीएफ राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 615 जिलों के 5.5 लाख से अधिक गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया है।