आधिकारिक बुलेटिन - 1 (21-Dec-2020)
स्वदेशी खेल तथा खेलो इंडिया
(Swadeshi Sports and Khelo India)

Posted on December 21st, 2020 | Create PDF File

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युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs and Sports) ने हरियाणा में आयोजित होने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स- 2021 (Khelo India Youth Games 2021) में चार स्वदेशी खेलों- गतका, कलारीपयट्टू, थांग-ता और मलखम्ब को शामिल करने को मंज़ूरी दी है।


खेलो इंडिया यूथ गेम्स- 2021 (KIYG) का आयोजन हरियाणा में किया जाएगा। KIYG 2020 का आयोजन गुवाहाटी (असम) में किया गया था।

गतका (Gatka) सिख धर्म से जुड़ा एक पारंपरिक मार्शल आर्ट है।पंजाबी नाम ‘गतका’ इसमें इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी की छड़ी को संदर्भित करता है।यह युद्ध-प्रशिक्षण का एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई रूप है जिसमें तलवारों का उपयोग करने से पहले लकड़ी के डंडे से प्रशिक्षण लिया जाता है।यह खेल दो लोगों द्वारा लकड़ी की लाठी से खेला जाता है जिन्हें गतका कहा जाता है। इस खेल में लाठी के साथ ढाल का भी प्रयोग किया जाता है।यह पहले गुरुद्वारों, नगर कीर्तन और अखाड़ों तक ही सीमित था, परंतु वर्ष 2008 में गतका फेडरेशन ऑफ इंडिया (GFI) के गठन के बाद इसे खेल श्रेणी में शामिल कर लिया गया।

 

कलारिपयट्टू दो शब्दों कलारि और पयट्टू के मेल से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ युद्ध की कला का अभ्यास होता है।कलारिपयट्टू का उल्लेख संगम साहित्य में भी मिलता है। इसके उत्पत्ति के संबंध में दो मत प्रचलित है कुछ लोग इसकी उत्पत्ति का स्थल केरल को मानते हैं जबकि कुछ पूरे दक्षिण भारत को मानते हैं।जिस स्थान पर इस मार्शल आर्ट का अभ्यास किया जाता है, उसे 'कलारी' कहा जाता है। यह एक मलयालम शब्द है जो एक प्रकार का व्यायामशाला है।कलारी का शाब्दिक अर्थ है 'थ्रेसिंग फ्लोर (Threshing Floor) या 'युद्ध का मैदान'।

 

मल्लखम्ब (Mallakhamba),यहाँ मल्ल का अर्थ शारीरिक बल और खम्ब का आशय खम्बे से है।मल्लखम्ब का उल्लेख 12वीं सदी में चालुक्यकालीन ग्रंथों में मिलता है। पेशवा बाजीराव द्वितीय के गुरु बालमभट्ट दादा देवधर ने इसका प्रचलन दोबारा शुरू कियाइसमें जमीन में धंसे एक खम्बे पर चढ़कर खिलाड़ी कौशल का प्रदर्शन करते हैं।मल्लखम्ब के एक अन्य प्रकार में रस्सियों का प्रयोग होता है। इसमें प्रतिभागी रस्सी की सहायता से लटककर विभिन्न योग क्रियाओं का प्रदर्शन करते हैं।इस खेल से शरीर के सभी अंगों का विकास होता है तथा जीवन के लिये आवश्यक शारीरिक बल, सहनशक्ति, गति , धर्य, फुर्ती, लचीलापन तथा साहस आदि को तेजी से विकसित किया जा सकता है।राष्ट्रीय स्तर पर मल्लखम्ब के प्रसिद्द केन्द्रों में उज्जैन को विशिष्ठ स्थान प्राप्त है।वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश सरकार ने इसे इसे अपना राज्य खेल घोषित किया।

 

हुयेन लैंग्लोन मणिपुर की एक भारतीय मार्शल कला है।मेइती भाषा में, हुयेन का अर्थ युद्ध होता है जबकि लैंग्लोन या लैंगलोंग का मतलब शुद्ध, ज्ञान या कला हो सकता है।हुयेन लैंग्लोन में दो मुख्य घटक होते हैं:थांग ता (सशस्त्र लड़ना),सरित सरक (निहत्थे लड़ना)।हुयेन लैंग्लोन के प्राथमिक हथियार थंग (तलवार) और ता (भाला) हैं। अन्य हथियारों में ढाल और कुल्हाड़ी शामिल हैं।