आधिकारिक बुलेटिन - 4 (24-Nov-2020)
राष्ट्रपति 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन केवड़िया, गुजरात में करेंगे
(President of India will inaugurate 80th All India Presiding Officers' Conference at Kevadiya in Gujarat on 25th November)

Posted on November 24th, 2020 | Create PDF File

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संविधान दिवस के उत्सव और पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष को दृष्टिगत रखते हुए इस बार 80वें सम्मेलन का आयोजन 25 व 26 नवम्बर गुजरात की धरती पर केवड़िया में होने जा रहा है। आज गांधीनगर में आयोजित पत्रकार परिषद में लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने यह जानकारी दी।

 

श्री ओम बिरला ने कहा कि 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन माननीय राष्ट्रपति श्रीमान रामनाथ कोविद जी दिनांक 25 नवम्बर 2020 को प्रातः 11 बजे करेंगे । कार्यक्रम में राज्य सभा के उपसभापति तथा माननीय उपराष्ट्रपति श्रीमान वेंकैया नायडू जी भी उपस्थित रहेंगे। पीठासीन अध्यक्षों के सम्मेलन के सभापति भी इस दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल रहेंगे।

 

गुजरात के माननीय राज्यपाल आचार्य देवव्रत, माननीय मुख्य मंत्री श्री विजय रूपाणी सहित कई गणमान्य अतिथि भी सम्मेलन में शिरकत करेंगे। सम्मेलन में देश की सभी विधानसभाओं और विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। 27 विधानसभाओं व विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों की सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि हो चुकी है। सम्मेलन में सभी राज्यों के विधानमंडलों के सचिवों तथा अन्य उच्च अधिकारियों के भी सम्मिलित होने की सम्भावना है।

 

गुजरात की धरती वह पावन भूमि है जहां भारत को गुलामी की जंजीरों से आजाद करवाने वाले भारत माता के महान सपूत महात्मा गांधी का जन्म हुआ। साढ़े पांच सौ से अधिक रियासतों में बंट देश को एक राष्ट्र बनाने वाले लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म भी यहीं हुआ था।

 

गुजरात में 130 करोड़ भारतीयों के देश की एकता और अखण्डता के प्रति समर्पित रहने के प्रतीक के रूप में दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा स्थापित है।

 

श्री ओम बिरला ने कहा कि 26 नवम्बर का दिन लोकतांत्रिक इतिहास का महत्वपूर्ण दिन हैं क्योंकि यह दिन पूरे देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के रूप में भी मनाया जा रहा है। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की परम्परा वर्ष 1921 में प्रारंभ की गई थी। बीती अवधि में यह सम्मेलन लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से अनुभवों, नए विचारों और नवाचारों को साझा करने का एक सशक्त मंच सिद्ध हुआ है। इस बार के सम्मेलन का विषय ‘सशक्त लोकतंत्र हेतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का आदर्श समन्वय’’ रखा गया है।

 

श्री बिरला ने कहा कि सम्मेलन के दौरान विभिन्न समसामयिक विषयों पर विचार-विमर्श के लिए तीन कार्य सत्रों में विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी वर्तमान सन्दर्भ में देश में प्रजातंत्र को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाने हेतु शासन के तीनों अंगों के बीच परस्पर सहयोग, सामंजस्य और बेहतर समन्वय की आवश्यकता के सम्बन्ध में विचार किया जाएगा।

 

सम्मेलन में विधायिका एवं कार्यपालिका की जनता के प्रति संवैधानिक जवाबदेही को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने पर भी विचार किया जाएगा। सम्मेलन में संसद तथा विधान सभाओं की कार्यवाही को अनुशासित तथा प्रक्रिया नियमों के अनुसार संचालित किए जाने पर भी चर्चा की जाएगी।

 

श्री बिरला ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन का समापन दिनांक 26 नवम्बर 2020 को संविधान दिवस के अवसर पर होगा। स्वयं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी समापन समरोह को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करेंगे। सभी प्रतिभागी माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी करेंगे।

 

इसके अलावा पीठासीन अधिकारी व विधायी निकायों के सचिव संविधान के मूल्यों के अनुरूप विधायिका को और अधिक मजबूत, सशक्त व जवाबदेह बनाने का भी संकल्प करेंगे। सम्मलेन पीठासीन अधिकारियों द्वारा एक घोषणापत्र जारी किये जाने के साथ संपन्न होगा। सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि माननीय राष्ट्रपति जी पहली बार सार्वजनिक समारोह में सम्मिलित होने जा रहे हैं।

 

सम्मेलन के साथ ही केवड़िया में संविधान और मूल कर्तव्यों विषय पर आधारित एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। आमजन इस प्रदर्शनी में जहां संविधान के बारे में जान सकेंगे वहीं अपने कर्तव्यों को भी समझ सकेंगे। माननीय प्रधानमंत्री जी भी पहली बार पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में भाग लेंगे।

 

सम्मेलन में भाग लेने आ रहे राज्यों की विधानसभाओं की ओर से भी सम्मेलन स्थल पर विभिन्न प्रकार की स्टेंडीज और प्रेजेंटेशन रखे गए हैं, जिससे प्रतिभागियों को इन राज्यों के बारे और अधिक विस्तार से जानने व समझने को मिलेगा।