आधिकारिक बुलेटिन 5 (2-Feb-2021)^विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर भारत को मिला पहला आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन केन्द्र^(On World Wetlands Day India gets its first Centre for Wetland Conservation and Management)
Posted on February 2nd, 2021
विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर और भारत की आर्द्रभूमियों के संरक्षण, बहाली और प्रबंधन की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता के क्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने आज मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थान राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केन्द्र (एनसीएससीएम), चेन्नई के भाग के रूप में आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र (सीडब्ल्यूसीएम) की स्थापना की घोषणा की है। इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से एनसीएससीएम, राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों और आर्द्रभूमि विभाग के ज्ञान भागीदारों ने भाग लिया था।
पर्यावरण राज्य मंत्री ने इस अवसर पर पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने में आर्द्रभूमियों के महत्व को रेखांकित किया। श्री सुप्रियो ने कहा, “आज शुरू किए गए इस प्रतिबद्ध केन्द्र में विशेष शोध जरूरतों और जानकारियों में कमी का समाधान निकाला जाएगा। साथ ही आर्द्रभूमियों के संरक्षण, प्रबंधन और उचित उपयोग के लिए एकीकृत रणनीतियों के उपयोग में सहयोग लिया जाएगा।”
भारत में लगभग 4.6 प्रतिशत जमीन आर्द्रभूमि है, जिनका क्षेत्रफल 1.526 करोड़ हेक्टेयर है और 42 स्थान अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों (रामसर साइट्स) के रूप में नामित हैं, जिनका क्षेत्रफल 10.8 लाख हेक्टेयर है। वर्ष 2021 को 2 फरवरी, 1971 को रामसर में रामसर समझौते पर हस्ताक्षर की 50वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है, इसी दिन विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
केन्द्र उपयुक्त राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय एजेंसियों के साथ भागीदारी और नेटवर्क विकसित करने में मदद करेगा। डब्ल्यूसीएम एक ज्ञान के केन्द्र के रूप में काम करेगा और राज्य/ संघ शासित क्षेत्रों के आर्द्रभूमि प्राधिकरणों, आर्द्रभूमि के उपयोगकर्ताओं, प्रबंधकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और प्रैक्टिसनर्स के बीच विचारों के आदान प्रदान को सक्षम बनाएगा। केन्द्र उनके संरक्षण के लिए नीति और नियामकीय रूप रेखाओं के निर्माण व उनके कार्यान्वयन, प्रबंधन योजना, निगरानी और लक्षित अध्ययन में भी सहयोग करेगा।
केन्द्रीय मंत्री ने इस अवसर पर देश में सभी रामसर स्थलों की पशु संबंधी विविधता से संबंधित प्रकाशनों और रामसर स्थलों के प्रयोजन पर एक ब्राउशर जारी किया।
आधिकारिक बुलेटिन 5 (2-Feb-2021)विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर भारत को मिला पहला आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन केन्द्र(On World Wetlands Day India gets its first Centre for Wetland Conservation and Management)
विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर और भारत की आर्द्रभूमियों के संरक्षण, बहाली और प्रबंधन की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता के क्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने आज मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थान राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केन्द्र (एनसीएससीएम), चेन्नई के भाग के रूप में आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र (सीडब्ल्यूसीएम) की स्थापना की घोषणा की है। इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से एनसीएससीएम, राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों और आर्द्रभूमि विभाग के ज्ञान भागीदारों ने भाग लिया था।
पर्यावरण राज्य मंत्री ने इस अवसर पर पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने में आर्द्रभूमियों के महत्व को रेखांकित किया। श्री सुप्रियो ने कहा, “आज शुरू किए गए इस प्रतिबद्ध केन्द्र में विशेष शोध जरूरतों और जानकारियों में कमी का समाधान निकाला जाएगा। साथ ही आर्द्रभूमियों के संरक्षण, प्रबंधन और उचित उपयोग के लिए एकीकृत रणनीतियों के उपयोग में सहयोग लिया जाएगा।”
भारत में लगभग 4.6 प्रतिशत जमीन आर्द्रभूमि है, जिनका क्षेत्रफल 1.526 करोड़ हेक्टेयर है और 42 स्थान अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों (रामसर साइट्स) के रूप में नामित हैं, जिनका क्षेत्रफल 10.8 लाख हेक्टेयर है। वर्ष 2021 को 2 फरवरी, 1971 को रामसर में रामसर समझौते पर हस्ताक्षर की 50वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है, इसी दिन विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
केन्द्र उपयुक्त राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय एजेंसियों के साथ भागीदारी और नेटवर्क विकसित करने में मदद करेगा। डब्ल्यूसीएम एक ज्ञान के केन्द्र के रूप में काम करेगा और राज्य/ संघ शासित क्षेत्रों के आर्द्रभूमि प्राधिकरणों, आर्द्रभूमि के उपयोगकर्ताओं, प्रबंधकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और प्रैक्टिसनर्स के बीच विचारों के आदान प्रदान को सक्षम बनाएगा। केन्द्र उनके संरक्षण के लिए नीति और नियामकीय रूप रेखाओं के निर्माण व उनके कार्यान्वयन, प्रबंधन योजना, निगरानी और लक्षित अध्ययन में भी सहयोग करेगा।
केन्द्रीय मंत्री ने इस अवसर पर देश में सभी रामसर स्थलों की पशु संबंधी विविधता से संबंधित प्रकाशनों और रामसर स्थलों के प्रयोजन पर एक ब्राउशर जारी किया।