आधिकारिक बुलेटिन -3 (26-Feb-2019)
राष्‍ट्रीय चावल अनुसंधान संस्‍थान ने धान की चार किस्‍में जारी की
(National Rice Research Institute (NRRI) has released two high-protein and two climate-smart varieties)

Posted on February 26th, 2019 | Create PDF File

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केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज कटक (ओडिशा) में आईसीएआर - राष्‍ट्रीय चावल अनुसंधान संस्‍थान (एनआरआरआई) में केन्‍द्रीय जीनोम विज्ञान एवं गुणता प्रयोगशाला सुविधा का उद्घाटन किया। श्री राधा मोहन सिंह ने पूर्वी क्षेत्र सहित पूरे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कृषि के विकास में एनआरआरआई की अग्रणी भूमिका के लिए उसकी सराहना की। इस संस्‍थान ने वर्ष 1946 में अपनी स्‍थापना से लेकर देश की हरित क्रांति में व्‍यापक योगदान किया और चावल की अधिक पैदावार देने वाली किस्‍मों के विकास में उल्‍लेखनीय अनुसंधान किया। इससे चावल के उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता प्राप्‍त करने में मदद मिली।

 

कृषि मंत्री ने कहा कि पोषाहार सुरक्षा सुनिश्चित करने के क्रम में, विश्‍व में पहली बार, इस संस्‍थान ने हाल में प्रोटीन की अधिकता वाली चावल की दो किस्‍में (सीआर धान 310, सीआर धान 311) तथा दो जलवायु रोधी किस्‍में (सीआर धान 801और सीआर धान 802) जारी की। ये किस्‍में अधिक पानी होने अथवा सूखा पड़ने जैसी दोनों ही स्थितियों में सहनशील हैं। साथ ही, ये जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अन्‍य प्रकार की चुनौतियों का भी सामना कर सकती हैं। उन्‍होंने कहा कि यह संस्‍थान चावल की खेती में अधिक उत्‍पादकता, लाभदायकता, जलवायु रोधी और टिकाऊपन लाने के उद्देश्‍य से अधिक पैदावार वाली किस्‍में और कृषि प्रौद्योगिकियां विकसित करने और उसे लोकप्रिय बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

 

श्री सिंह ने कहा कि भारत के पूर्वी हिस्‍से में हरित क्रांति (बीजीआरईआई) की आयोजना बनाने, क्रियान्वित करने तथा निगरानी करने के लिए एनआरआरआई एक शीर्ष एजेंसी है। इस कार्यक्रम को 7 पूर्वी राज्‍यों के 118 जिलों में लागू किया गया है। उन्‍होंने कहा कि इसके क्रियान्‍वयन से असम, बिहार और छत्तीसगढ़ राज्‍यों में पैदावार में 25 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पैदावार में 12-15 प्रतिशत वृद्धि के बारे में जानकारी मिली है। श्री सिंह ने मोबाइल एप ‘राइस एक्‍सपर्ट’ विकसित करने के लिए एनआरआरआई को बधाई दी। इस एप के माध्‍यम से वैज्ञानिकों से तत्‍काल जानकारी प्राप्‍त करने में किसानों को मदद मिलती है।