आधिकारिक बुलेटिन -1 (17-Sept-2019)
रेल मंत्रालय ने एलएचबी कोच वाली सभी गाडि़यों में एचओजी प्रणाली अपनाने का निर्णय किया
(Ministry of Railways decides to adopt HOG system (Head on Generation technology) in all LHB Coaches trains)

Posted on September 17th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

रेलगाडि़यों में वातानुकूलन और बिजली आपूर्ति की प्रणाली को बदला जाना है। इस नये प्रौद्योगिकी परिवर्तन से प्रतिवर्ष लगभग 1400 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

इस नई प्रौद्योगिकी को ‘हैड ऑन जेनरेशन टेक्‍नोलॉजी’ (एचओजी) कहा जाता है, जिसके तहत ओवरहैड बिजली आपूर्ति का इस्‍तेमाल किया जाएगा। शोर करने और धुआं निकालने वाले जेनरेटर कोचों का इस्‍तेमाल अब नहीं होगा। इनके स्‍थान पर अब एलएसएलआरडी (एलएचबी सेकेंड लगेज, गार्ड और दिव्‍यांग कम्‍पार्टमेंट) होंगे। इस एलएसएलआरडी में ओवरहैड बिजली सप्‍लाई को इस्‍तेमाल करने की क्षमता होगी, जिससे पूरी गाड़ी को बिजली मिलेगी। इसके अलावा इसमें लगेज गार्ड रूम और अतिरिक्‍त यात्रियों के लिए भी जगह होगी। इस समय 36 रुपये प्रति यूनिट बिजली खर्च आता है तथा एचओजी से यह खर्च 6 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगा।

विवरण की जानकारी देते हुए रोलिंग स्‍टॉक सदस्‍य श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि साल भर में सभी एलएचबी गाडि़यों को एचओजी प्रणाली में बदलने की योजना है। अब तक 342 गाडि़यों को एचओजी में बदला जा चुका है, जिसके कारण प्रति वर्ष लगभग 800 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। वर्ष 2017 में एलएचबी प्रौद्योगिकी को अपनाने का निर्णय किया गया था। इस निर्णय के बाद एचओजी परिवर्तन को अपनाने का काम अभियान स्‍तर पर शुरू किया गया। इसके तहत सभी कारों और कोचों की बिजली आपूर्ति प्रणाली में परिवर्तन किया गया। प्रणाली परिवर्तन का काम जोनल रेलवे के सुपुर्द किया गया है। इससे स्‍टेशनों पर यात्रियों को शोर मुक्‍त और प्रदूषण मुक्‍त वातावरण मिलेगा।

 

हैड ऑन जेनरेशन प्रणाली का परिचय :

एचओजी प्रणाली के अंतर्गत गाडि़यों में प्रकाश, वातानुकूलन, पंखें और अन्‍य या‍त्री सुविधाओं के लिए बिजली आपूर्ति की जाती है। विश्‍वभर में रेलवे इसी प्रणाली का इस्‍तेमाल करती है। इस प्रणाली के तहत बिजली इंजन से प्राप्‍त की जाती है और बिजली उत्‍पादन करने के उपकरणों तथा डीजल इंजनों का इस्‍तेमाल नगण्‍य हो जाता है।