आधिकारिक बुलेटिन -1 (27-July-2020)
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संस्थापना दिवस मनाया
(Ministry of Earth Sciences (MoES) celebrates its Foundation Day)

Posted on July 27th, 2020 | Create PDF File

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज कहा कि , ‘ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय विश्व में एक अनूठा संगठन है जो पृथ्वी विज्ञान की सभी शाखाओं-वातावरण, हाइड्रोस्फेयर, क्रायोस्फेयर तथा लिथोस्फेयर पर समग्र रूप से ध्यान देता है।‘ उन्होंने यह भी कहा कि ‘ भारत ऐसा एकमात्र देश है जहां पृथ्वी विज्ञानों के सभी पहलुओं को पूरी तरह से संबोधित करने वाला एकमात्र पूर्ण समर्पित मंत्रालय है। यह अल्पतम समय में समग्र तरीके से योजना निर्माण तथा प्रमुख चिंताओं के समाधान के प्रति समेकित दृष्टिकोण के विकास में सहायता करता है। इस मंत्रालय ने अभी हाल के समय में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं जो अन्य देशों के अनुसरण के लिए वैश्विक मानदंड की मानी जाती हैं। ‘

 

डॉ. हर्षवर्धन आज यहां पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का संस्थापना दिवस मनाने के लिए आयोजित एक समारोह को संबेधित कर रहे थे। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का गठन वर्ष 2006 में भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम रेंज मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय ट्रौपिकल मीटियोरोलोजी संस्थान, पृथ्वी जोखिम मूल्यांकन केंद्र एवं समुद्र विकास मंत्रालय के विलय द्वारा किया गया था।

 

 

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, ‘ पृथ्वी विज्ञान एक संयोजन विज्ञान है जो पृथ्वी के रहस्यों का खुलासा करने के लिए अन्य सभी विज्ञानों को आकर्षित करता है। यह अनूठा और फिर भी अंतरनिर्भर है। पृथ्वी विज्ञान हमें वैश्विक रूप से सोचने एवं स्थानीय रूप से कार्य करने-व्यक्ति विशेषों तथा नागरिकों के रूप में हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में ठोस निर्णय लेने का अधिकार लेने में सक्षम बनाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘ जो लोग यह समझते हैं कि पृथ्वी की प्रणालियां किस प्रकार कार्य करती हैं, वे सूचित निर्णय ले सकते हैं। वे साफ पानी शहरी योजना निर्माण तथा विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग तथा प्रबंधन से जुडें मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और उनका समाधान कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘ 21वीं सदी में, हमें सूचित नागरिक बनने की आवश्यकता है। और विज्ञान हमें ठीक उसी जगह ले जाता है। ‘ उन्होंने कहा कि ‘ चूंकि पृथ्वी विज्ञान कौशल‘ ‘जीवन कौशल‘ बन जाता है और इसलिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को आसानी से ‘जीवन कौशल मंत्रालय‘ के रूप में देखा जा सकता है। ‘

 

मंत्री ने बताया कि ‘ मौसम एवं जलवायु विज्ञानों के साथ, भारत में ऊष्णकटिबंधीय चक्रवातों, गर्म हवाओं, बाढ़ पर सटीक चेतावनी के साथ आपदा प्रबंधन के लिए विश्व की सर्वश्रेष्ठ मौसम सेवाएं हैं। आईएमडी ईएससीएपी पैनल के तहत 13 सदस्य देशों को ऊष्णकटिबंधीय आंधी और तूफान में बढोतरी की परामर्शियां उपलब्ध कराता है। ‘

 

उन्होंने कहा कि ‘ भारत ने पहली बार भविष्य के जलवायु पूर्वानुमानों के लिए भी एक अर्थ सिस्टम मॉडल का विकास किया है। इस मॉडल की क्षमता अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान एवं जर्मनी में अन्य मॉडेलिंग केंद्रों के समक्ष है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने दो वर्षों में दो विमान के साथ प्रयोग का संचालन करने के जरिये कृत्रिम वर्षा कराने तथा क्लाउड सीडिंग के गुणों एवं दुर्गुणों को समझने तथा उसके प्रलेखन के लिए एक प्रयोग आरंभ किया है। इस प्रयोग ने क्लाउड सीडिंग की दक्षता को प्रदर्शित करने के लिए बादलों के 234 नमूनों का संग्रह किया है। बड़े स्तर पर इस प्रकार के क्लाउड सीडिंग प्रयोगों का संचालन अमेरिका जैसे बहुत कम देशों द्वारा ही किए जाते हैं। ‘

 

डॉ. हर्षवर्धन ने घोषणा की कि ‘ वायुमंडलीय अनुसंधान टेस्टबेड्स की स्थापना पर, ट्रौपिक्स में एक अनूठी फैसिलिटी इंस्ट्रूमेंटेशन के पहले चरण के साथ 2021 में लॉन्च की जाएगी। इस ओपेन फील्ड वेधशाला को 100 एकड़ भूमि (भोपाल से 50 किमी दूर) में बनाये जाने की योजना है और मानसून के बादलों तथा भूमि सतह प्रक्रियाओं की बेहतर समझ के लिए यह प्रस्तावित है। इस केंद्र में राडार, विंउ प्रोफाइलर्स, यूण्वी आदि जैसी अत्याधुनिक वेधशाला संबंधी प्रणालियां होंगी। बहुत कम देशों के पास इस प्रकार के रिसर्च टेस्टबेड्स हैं। ‘

 

इस अवसर पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय-नॉलेज रिसोर्स सेंटर नेटवर्क (केआरसीनेट) और भारत मौसम विज्ञान विभाग के लिए मोबाइल ऐप ‘मौसम‘ लॉन्च किया गया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. राजीवन मंत्रालय के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों को उनके असाधारण कार्यों के लिए पुरस्कृतों की सूची भी घोषित की।

 

डॉ. एम. राजीवन ने अपने स्वागत भाषण में मंत्रालय की विभिन्न उपलब्धियों को रेखांकित किया तथा अन्य पहलों की रूपरेखा प्रस्तुत की जिन्हें मंत्रालय निकट भविष्य में करने की योजना बना रहा है।

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सार्वजनिक सुरक्षा एवं सामाजिक-आर्थिक लाभों के लिए मौसम, जलवायु, महासागर, तटीय एवं प्राकृतिक आपदाओं के लिए राष्ट्र को सर्वश्रेष्ठ संभव सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अधिदेशित है। मंत्रालय सामुद्रिक संसाधनों (सजीव एवं निर्जीव) की खोज एवं टिकाऊ दोहन की निगरानी भी करता है तथा अंटार्टिक/आर्कटिक/हिमालय तथा दक्षिणी महासागर अनुसंधान के लिए एक नोडल भूमिका निभाता है।

 

उन्होंने बताया कि, ‘ पिछले कुछ महीनों के दौरान, आईएमडी के ऊष्णकटिबंधीय तूफानों -अम्फान तथा निसर्ग के बारे में सटीक पूर्वानुमान तथा आपदा प्रबंधन एजेन्सियों द्वारा शानदार प्रक्षेत्र कार्यों ने हजारों बहुमूल्य जीवन बचाने में सहायता की। ‘ उन्होंने कहा कि ‘ अगले पांच वर्षों के दौरान, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं जिनमें (1) वैज्ञानिक सेंसरों तथा टूल्स के सूट के साथ समुद्र में 6000 मीटर तक की गहराई तक तीन वैज्ञानिको को ले जाने के लिए एक मानव सहित पनडुब्बी का विकास, (2) 6000 मीटर तक की गहराई से माइनिंग पोलीमैटैलिक नोडुल्स के लिए एक समेकित चनन प्रणाली का विकास, (3) डौपलर वेदर राडारों की संख्या को वर्तमान 28 से बढ़ाकर 50 करना (4) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए समेकित मौसम विज्ञान सेवाओं का विकास (5) वर्तमान उच्च निष्पादन कंप्यूटिंग सिस्टम का 10 पीएफलाप्स से बढ़ाकर 40 पीएफलाप्स तक संवर्धन (6) किसानों को प्रखंड स्तर तक का पूर्वानुमान उपलब्ध कराने में सहायता के लिए मौसम पूर्वानुमान मॉडल के होरीजोंटल रिजोलुशन को वर्तमान 12 किमी से सुधार कर 5 किमी करना।‘

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मुंबई के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में न्यूनीकरण गतिविधियों की सहायता के लिए महाराष्ट्र सरकार के वृहद मुंबई नगर पालिका के घनिष्ठ सहयोग से मुंबई के लिए एक समेकित बाढ़ चेतावनी प्रणाली (आईफ्लोज-मुंबई) का विकास किया है तथा इसे कमीशन किया है।

 

समेकित हिमालयी मौसम विज्ञान कार्यक्रम (आईएचएमपी) के तहत जम्मू एवं कश्मीर के सोनमर्ग तथा मुक्तेश्वर में दो नए डापलर वेदर राडार (डीडब्ल्यूआर) को कमीशन किया गया। अगले एक वर्ष के दौरान आठ और डीडब्ल्यूआर को कमीशन किया गया।

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा लक्षद्वीप प्रशासन की सहायता से लक्षद्वीप द्वीपसमूह में छह नए जल विलवणन संयंत्रों को संस्थापित कर रहा है जिनमें प्रत्येक की क्षमता प्रति दिन 1.5 लाख लीटर जल उत्पादित करने की है। कालपेणी में संस्थापित इन छह संयंत्रों में से पहले संयंत्र ने 09 जनवरी 2020 को पहला पेय जल सृजित किया।

 

देश की तटीय एवं सामुद्रिक अनुसंधान क्षमताओं का संवर्धन हमेशा ही भारत सरकार के लिए एक प्राथमिकता रही है। फरवरी 2020 में एक नए तटीय अनुसंधान पोत ‘सागर अन्वेषिका‘ को कमीशन किया गया। भारत के तटीय अनुसंधान के इतिहास में यह अभी तक की सर्वाधिक उल्लेखनीय उपलब्धि है जिसमें भारत के निजी क्षेत्र ने सरकार के साथ साझीदारी की तथा ‘मेक इन इंडिया‘ के विजन को बढ़ावा दिया।

 

अंत में, स्क्रिीप्स इंस्टीच्यूशन ऑफ ओसनोग्राफी की निदेशक तथा कैलिफोर्निया सैन डियागो विश्वविद्यालय की कुलपति मारग्रेट लैनेन द्वारा ‘ 21वीं सदी के लिए समुद्र विज्ञान‘ पर एक व्याख्यान की वीडियो रिकार्डिंग दिखाई गई।