आधिकारिक बुलेटिन -1 (24-Apr-2019)
पशुधन की उत्‍पादक क्षमता बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एकीकृत खेती जरुरी : उपराष्‍ट्रपति
(Integrated farming needed to increase productivity of livestock and double farmer's income: Vice President)

Posted on April 24th, 2019 | Create PDF File

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उपराष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने पशुधन की उत्‍पादक क्षमता बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एकीकृत खेती को प्रोत्‍साहित करने पर बल दिया है।

 

आज तिरूपति के श्री वेंकटेश्‍वर पशु चिकित्‍सा वि‍श्‍वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह के उद्घाटन भाषण में श्री नायडू ने कहा कि एक टिकाऊ और समावेशी कृषि व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करने के लिए पशुपालन पर ध्‍यान दिया जाना बेहद जरूरी है।

 

एक अध्‍ययन रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्री नायडू ने कहा कि मुर्गीपालन, डेयरी या मत्‍स्‍य पालन जैसी विभिन्‍न गतिविधियां अपनाने वाले कृ‍षक परिवारों में आत्‍महत्‍या की घटनाएं नहीं होती। उन्‍होंने कहा कि पशुधन, विपरीत मौसम और फसल नष्‍ट हो जाने की स्थिति में कृ‍षक परिवारों को वित्‍तीय संकट से उबरने में मदद करता है। 

 

राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन-एनएसएसओ के आंकड़ों और अनुमानों का हवाला देते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण भारत में अनुमानित 90.2 मिलियन कृषक परिवार हैं। इनके लिए एक निश्चित आय सुनिश्चित करना हर किसी की प्राथमिक जिम्‍मेदारी होनी चाहिए।   

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए एक स्वस्थ और मजबूत कृषि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण शर्त है।

 

उन्होंने विशेषकर युवाओं से कृषि को आर्थिक रूप से व्यवहारिक और लाभकारी बनाकर उसे एक आकर्षक करियर के रूप में अपनाने के उपाय तलाशने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि कृषि उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें से 27 प्रतिशत पशुपालन का और 4.4 प्रतिशत हिस्‍सा  डेयरी, पोल्ट्री और मत्‍स्‍य पालन का है।  उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये आंकड़ें हमारी अर्थव्यवस्था में इन क्षेत्रों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को स्‍पष्‍ट करते हैं।

 

श्री नायडू ने पशुधन को लोगों के जीवन का अभिन्‍न हिस्‍सा और उनकी मौजूदगी को मानव अस्तित्‍व के लिए अहम बताते हुए कहा कि इस राष्‍ट्रीय संपत्ति का संरक्षण करना प्रत्‍येक नागरिक का कर्तव्‍य है।

 

कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों जैसे मुर्गी पालन, डेयरी उद्योगों पर ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था की निर्भरता का हवाला देते हुए श्री नायडू ने कहा यह क्षेत्र ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार प्रदान करता है। श्री नायडू ने विश्वविद्यालयों से पशु चिकित्सा विज्ञान पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

 

उपराष्ट्रपति ने सरकार, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विज्ञान केंद्रों से आग्रह किया कि वे किसानों की वित्तीय स्थिति  मजबूत  बनाए रखने के लिए संबद्ध उद्योगों में विविधता को प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि जनसंख्‍या बल का लाभ प्राप्‍त करने के लिए देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है।

 

श्री नायडू ने कहा कि मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, रेशम पालन और ऐसी ही अन्य उद्योगों  में रोजगार और आर्थिक विकास  में योगदान करने की बहुत क्षमता है। उन्होंने स्वदेशी नस्लों के सरंक्षण और उनकी की उत्पादकता में सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे किसानों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान खोजने के लिए लगातार एक दूसरे के साथ सहयोग करें और उद्योगों के साथ मिलकर मानव संसाधन संवर्द्धन और  प्रौद्योगिकी विकास का बेहतर इस्‍तेमाल करें ।    

   

भारत में पशु चिकित्सकों की मांग और आपूर्ति में अंतर पर चिंता व्यक्त करते हुए  श्री नायडू ने अधिकारियों से कहा कि वे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए शैक्षणिक संस्‍थानों में अनुसंधान एवं विकास कार्यों को विस्तार दें और संस्थानों में खाली पदों को जल्‍दी भरने का काम करें। उन्‍होंने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रौद्योगिकी की अंतहीन संभावनाओं का उपयोग करने के लिए सभी पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों और कृषि विश्वविद्यालयों में विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विभाग (आईसीटी) तथा आई टी विभाग हों।

 

श्री नायडू ने कहा कि प्रकृति और जानवरों के प्रति प्रेम भारतीय लोकाचार का मूल रहा है। इसके तहत विविध वनस्पतियों और जीवों को संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त एक ही ईश्वरीय सिद्धांत की अभिव्यक्ति माना गया है । उन्होंने कहा कि पृथ्‍वी की जैव विविधता के संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का अधिक स्पष्ट प्रमाण प्राचीन भारतीय महाकाव्यों से अधिक और कही नहीं मिल सकता है। उन्‍होंने कहा कि “ हमारा यह वैश्विक दृष्टिकोण मानवता और प्रकृति के बीच एक सहजीवी संबंध पर आधारित था। यह वह चीज है जो हमें सतत विकास लक्ष्यों का एहसास कराता है जो हमने अपने लिए एक विश्व समुदाय के रूप में निर्धारित किए हैं।

 

 

उपराष्‍ट्रपति बाद में विश्‍वविद्यालय का पशु चिकित्‍सा नैदानिक संग्रहालय भी देखने गए और वहां देश में पशु चिकित्‍सा के लिए बेह‍तरीन सेवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए विश्‍वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि यह संग्रहालय पशु चिकित्‍सा के क्षेत्र में अध्‍ययन करने वाले छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं को काफी कुछ सीखने का मौका देगा।  

 

विश्‍वविद्यालय के पशु चिकित्‍सा नैदानिक विभाग के डॉ.एन.आर.गोपाल संग्रहालय के मुख्‍य संचालक हैं। संग्रहालय में पशुरोगों के 500 से अधिक नमूनों को 1960 से संरक्षित रखा गया है। संग्रहालय में दुनिया के कई महान वैज्ञानिकों और चिकित्‍सा विज्ञान के क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धियों को भी बखूबी दर्शाया गया है।