आधिकारिक बुलेटिन -3 (23-Apr-2019)
पीएलए (नौसेना) की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय नौसेना के कोलकाता और शक्ति जहाज अंतर्राष्‍ट्रीय बेड़ा समीक्षा (आईएफआर) में भाग लेने के लिए किंगदाओ, चीन पहुंचे
(IN Ships Kolkata and Shakti are at Qingdao, China to participate in IFR to mark 70TH Anniversary of PLA(N))

Posted on April 23rd, 2019 | Create PDF File

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पीएलए (नौसेना) की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय नौसेना के कोलकाता और शक्ति जहाज अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा (आईएफआर) में भाग लेने के लिए 21 अप्रैल, 2019 को किंगदाओ, चीन पहुंचे। नौसेना के जहाजों के प्रवेश के अवसर पर चीन गणराज्‍य द्वारा  21 तोपों की सलामी दी गई। इन जहाजों का पीएलए (नौसेना) उत्‍तर समुद्री बेड़े के अधिकारियों ने भी स्‍वागत किया। इस अवसर पर नौसेना के बैंड ने अपनी प्रस्‍तुति दी।

 

   पीएलए (नौसेना) आईएफआर में भारतीय नौसेना की लगातार तीसरी बार  (2009, 2014 और 2019) भागीदारी हो रही है। यह दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्रीय सहयोग बढ़ाने और दोनों देशों के मध्‍य मित्रता को मजबूत बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन है। भारतीय नौसेना ने आईएफआर के लिए अपने सबसे बेहतरीन जहाजों की तैनाती  की है। इसका उद्देश्‍य मौजूदा सहयोग को मजबूत करना, आपसी विश्‍वास को बढ़ाना, अंतरसक्रियता को बढ़ावा देना और भागीदारी नौसेनाओं की सामूहिक समुद्रीय चिंताओं  को दूर करने के लिए बेहतर तालमेल स्‍थापित करना है।

 

   बंदरगाह में इनके प्रवास के दौरान निर्धारित गतिविधियों में पीएलए (नौसेना) के विभिन्‍न गणमान्‍य व्‍यक्तियों के साथ औपचारिक मुलाकात और प्रसिद्ध मई फोर्थ स्‍क्‍वॉयर में नौसेना बैंड का प्रदर्शन शामिल है। आईएफआरके विभिन्‍न कार्यों में उद्घाटन समारोह, योजना सम्‍मेलन और टेबल टॉप अभ्‍यास शामिल हैं। भारतीय नौसेना के जहाज 23 अप्रैल को आयोजित नौसेना जहाजों की परेड में शामिल होंगे, जिसकी चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग समीक्षा करेंगे। भारतीय नौसेना के जहाजों के कर्मी अनेक खेल आयोजनों, भागीदारी नौसेनाओं के साथ व्‍यावसायिक आदान-प्रदानों और पीएलए (नौसेना) कर्मियों तथा स्‍थानीय लोगों द्वारा जहाजों की यात्रा करने के कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे। चीन में भारत के राजदूत श्री विक्रम मिश्री पीएलए (नौसेना) के अधिकारियों, आईएफआर में भाग ले रहे शिष्‍टमंडलों के लिए आईएनए कोलकाता में एक स्‍वागत समारोह की मेजबानी करेंगे।

 

     इन जहाजों ने किंगदाओ में प्रवेश करने से पहले पोर्ट कैम रान बे की सद्भावना यात्रा की थी। इन जहाजों का पूर्वी बेड़े की विदेश तैनाती के एक हिस्‍से के रूप में अपनी वापसी यात्रा के दौरान पोर्ट बुसान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की यात्रा करने का भी कार्यक्रम है। दक्षिण चीन सागर में वार्षिक विदेशी तैनाती भारत सरकार की ‘एक्‍ट ईस्‍ट’ नीति का एक महत्‍वपूर्ण पहलू है और भारतीय नौसेना का महासागरों के माध्‍यम से राष्‍ट्रों को एकजुट करने का प्रयास है, जिसके माध्यम से भारत पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ 'सांस्कृतिक आर्थिक और समुद्रीय बातचीत के द्वारा मित्रता का विस्‍तार करना चाहता है।

 

***चीनी नौसेना की परेड में भारतीय युद्धपोत शामिल, पाकिस्तान दूर रहा-

 

चीनी नौसेना के 70 साल पूरे होने पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में आईएनएस कोलकाता सहित भारत के दो युद्धपोतों ने भाग लिया। आईएनएस कोलकाता देश में निर्मित सबसे बड़ा विध्वंसक पोत है।



चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस मौके पर आयोजित विशेष परेड की अध्यक्षता की। परेड में ‘‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी’’ के 32 पोतों ने भाग लिया। नौसेना के 39 युद्धक विमानों ने भी परेड में भाग लिया।



शी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अध्यक्ष होने के साथ ही सेना के प्रमुख भी हैं।



चीन ने अपने पहले विमानवाहक पोत ‘‘लिओनिंग’’ के साथ ही अपनी नवीनतम परमाणु पनडुब्बियों, विध्वंसक और लड़ाकू जेट भी परेड में प्रदर्शित किए। लिओनिंग पूर्व सोवियत संघ का पोत है जिसे फिर से तैयार किया गया था।



हालांकि मौसम ने इस कार्यक्रम में साथ नहीं दिया और आसमान में धुंध छाई रही। इस वजह से मेहमानों को कम दृश्यता में ही कार्यक्रम देखना पड़ा।



भारत की ओर से आईएनएस कोलकाता और आईएनएस शक्ति ने परेड में भाग लिया।



इस परेड में पाकिस्तानी नौसेना का कोई भी पोत शामिल नहीं हुआ। फरवरी में पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में कटुता आने के कारण पाकिस्तानी नौसेना ने अपने मित्र देश की नौसेना के महत्वपूर्ण आयोजन में भाग नहीं लिया।



अमेरिका ने भी अपना कोई युद्धपोत नहीं भेजा है। हालांकि, भारत और सिंगापुर के साथ ही रूस और जापान ने भी अपने आधुनिक पोत भेजे हैं।



भारतीय राजनयिकों ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने इस महत्वपूर्ण आयोजन में भारतीय युद्धपोतों की भागीदारी की सराहना की जो सैन्य संबंधों में सुधार का संकेत है।