आधिकारिक बुलेटिन - 4 (25-June-2020)
सिंधु नदी की पथरीली ज्यामिति इसके प्राचीन भौगोलिक इतिहास को स्‍पष्‍ट करती है
(Gravel geometry of the Indus river unravel its paleoclimatic history)

Posted on June 25th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्‍वायत्‍तशासी संस्‍थान, देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्‍ल्‍यूआईएचजी) के शोधकर्ताओं ने, लद्दाख हिमालय में नदी में पत्‍थरों से बनी रेत और पत्‍थरों की ओवरलेपिंग से प्राप्‍त ज्यामितीय आंकड़ों की मदद से सिंधु नदी के प्राचीन भौगोलिक इतिहास का पता लगाया है।

 

उन्होंने इस अवधि के दौरान प्रवाह का अध्‍ययन किया जिसमें नदी के तलछट के रुप में गाद जमा होने और उसके कटाव के कारण जमीन की ऊंचाई में वृद्धि हुई।

 

नदी के मेड़ पहाड़ों में सर्वव्यापी हैं जो मानव समाजों के अतीत, वर्तमान और भविष्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये मेड़ें घाटी की विस्तृत भूमि वृद्धि का हिस्सा हैं, जिनका हिमालय में व्यापक स्तर पर अध्ययन किया गया है ताकि नदी घाटी में समय-समय पर वृद्धि और कटाव की इस तरह की प्रक्रियाओं को समझा जा सके। वैज्ञानिक अभी भी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्‍या अधिक वर्षा और हिमनद पिघलने के साथ नमी वाली जलवायु बढ़े हुए तलछट और गाद के भार से नदी की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं, या इसके बजाय, यह सूखने की स्थिति के दौरान होता है जब जल अनुपात में वृद्धि हुई तलछट से होती है।

 

शोधकर्ताओं ने सिंधु नदी, लद्दाख हिमालय में तलछट के रुप में गाद जमा होने और उसके कटाव की अवधि के दौरान चारों हिस्‍सों (वर्तमान और भूगर्भिक टाइम स्‍केल में तीन अवधियों में से सबसे हालिया का अध्‍ययन किया। उन्होंने नदी की वृद्धि के दौरान 47-23 हजार (हजार वर्ष) में नदी के तलछट की गणना के लिए प्रवाह में पत्‍थरों की ओवरलैपिंग के ज्यामितीय डेटा का उपयोग किया, और नदी के अवरोध के दौरान होने वाले प्राचीन पत्‍थरों को घिसने से रोकने के लिए 14-10 केए पर संरक्षित जल जमाव (एसडब्‍ल्‍यूडी) को संरक्षित किया।

 

उन्होंने देखा कि हिमालय की नदियों में तबाही ग्लेशियल-इंटरग्लिशियल क्षणिक गर्म जलवायु परिस्थितियों (33-21केए और 17-14केए) में हुई जब ग्लेशियल घटनाओं के बाद नदियों में तलछट की मात्रा बढ़ गई।

 

जियोमॉर्फोलॉजी जर्नल में प्रकाशित उनके अध्ययन से पता चलता है कि सिंधु नदी में जलभराव तब हुआ था जब एमआईएस -3 (मरीन आइसोटोप चरणों (एमआईएस), समुद्री ऑक्सीजन-आइसोटोप चरणों और पृथ्‍वी के पालियोक्‍लाइमेट में बारी-बारी से गर्म और ठंडे हो रहे थे। पालियोक्‍लाइमेट, ऑक्सीजन-आइसोटोप डेटा से लगाए गए अनुमान गहरे-समुद्र के प्रमुख नमूनों से प्राप्त तापमान में परिवर्तन को दर्शाते हैं) के दौरान पानी का अनुपात अधिक था और कटाव शुरू हुआ जब हिमनदों में पोस्ट-ग्लेशियल के बाद पानी का अनुपात कम होने लगा (प्रारंभिक होलोसीन)।