आधिकारिक बुलेटिन - 3 (25-June-2020)
शहरी मिशनों की 5वीं वर्षगांठ
(5TH Anniversary of Urban Missions)

Posted on June 25th, 2020 | Create PDF File

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आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि “भारत में विश्व के इतिहास के सबसे व्यापक नियोजित शहरीकरण कार्यक्रमों में से एक की शुरुआत की गई है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री का ‘न्यू इंडिया’ वाला दृष्टिकोण, हमारे प्रमुख कार्यक्रमों की उपलब्धियों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। 12 मई, 2020 को माननीय प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की, जिसमें किसानों, कुटीर उद्योगों, गृह उद्योगों, लघु उद्योगों, एमएसएमई को राहत प्रदान करने के साथ-साथ सहायता प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया और करोड़ों लोगों के लिए आजीविका का साधन है, जिन पर लॉकडाउन उपायों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हैं।” वे प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) (पीएमएवाई-यू), स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) और अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर आवास एवं शहरी मामलों के सचिव, श्री दुर्गा शंकर मिश्रा की उपस्थिति में एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। इस ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शहरी मिशनों की उपलब्धियों और कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। 

 

वेबिनार में निम्न प्रमुख घोषणाओं और लॉन्च इवेंट को शामिल किया गया:

 

1. आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ई-पुस्तक, जिसमें मंत्रालय के सभी मिशनों की प्रगति और उपलब्धियां दर्शायी गई हैं।

2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) वेबसाइट को शहरी विकास में उभरते हुए विषयों के लिए एक ज्ञान बैंक के रूप में मजबूती प्रदान करने के लिए फिर से शुरू किया गया है, जबकि यह शहरी विकास अधिकारियों और व्यावसायियों के लिए रोजमर्रा के संसाधनों का स्रोत बना हुआ है।

3. नेशनल अर्बन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, मुख्य कौशल और ज्ञान को समेकित करने के लिए एक मंच है जो क्षमता निर्माण के लिए आवश्यक है, जिसकी शहर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी शासन और नेतृत्व के लिए एक निरंतर आवश्यकता है।

4. शहरों (सी3) के लिए एनआईयूए जलवायु केंद्र की स्थापना की गई है, जिससे जलवायु परिवर्तन पर हमारे शहरों से प्राप्त अनुभवों से मिले सीख को मुख्यधारा में लाने, मजबूती प्रदान करने और संस्थागत रूप देने का काम किया जा सके।

5. एनआईयूए सेंटर फॉर डिजिटल गवर्नेंस (सीडीजी) एमओएचयूए के डिजिटल प्रयासों को आगे बढ़ाने और सभी राज्यों और शहरों में शहरी शासन के डिजिटल रूपांतरण में तेजी लाने के लिए प्रस्तुतकर्ता बनने वाली एक पहल है।

6. वीडियो लॉन्च: आउटकम ऑफ पीएमएवाई-यू: मिशन के लाभार्थियों के प्रशंसापत्र के साथ-साथ पीएमएवाई-यू की प्रगति और उपलब्धियों को प्रदर्शन।

7. ई-बुक लॉन्च: पीएमएवाई-यू- खुशियां का आशियाना: मिशन के लाभार्थियों के प्रशंसापत्र के साथ-साथ पीएमएवाई-यू की प्रगति और उपलब्धियों का प्रदर्शन।

8. वीडियो लॉन्च: आउटकम ऑफ अमृत: मिशन के लाभार्थियों के प्रशंसापत्र के साथ-साथ अमृत की प्रगति और उपलब्धियों का प्रदर्शन।

9. बुक लॉन्च: कोविड डायरी: स्मार्ट सिटी मिशन टीम के सदस्यों के व्यक्तिगत विचार/ राय का संग्रह है क्योंकि वे कोविड-19 महामारी के दौरान अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में बदलावों को देखते हैं।

10. बुक लॉन्च: द स्मार्ट रिस्पॉंसेज टू कोविड-19: भारतीय शहर कैसे एक्शन एंड इनोवेशन (वॉल्यूम-1) के माध्यम से लड़ रहे हैं, यह प्रदर्शित करने का प्रयास है कि शहरी भारत ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का जवाब किस प्रकार से दिया है।

11. सिटी फाइनेंस पोर्टल: पहली बार सभी शहरों के वित्तीय विवरण प्राप्त करके एकल मंच पर साझा करने का प्रयास और सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने और बाजार के फंड तक पहुंचने में यूएलबी की सहायता करने के लिए।

12. साइकल्स4चेंज चैलेंज: भारत साइकल्स4चेंज चैलेंज कोविड-19 के जवाब में साइकिलिंग के लिए अनुकूल पहलों को जल्द से जल्द लागू करने के लिए भारतीय शहरों को प्रेरित करने और सहायता प्रदान करने के लिए स्मार्ट सिटीज मिशन की एक पहल है। पॉप-अप साइकल लेन और नॉन-मोटराइज्ड जोन जैसे कम लागत वाले उपायों की शुरुआत करके, कार्यक्रमों की शूरुआत करना जैसे समुदाय-आधारित साइकिल रेंटल योजना और सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देना आदि।

 

अमृत, एससीएम एवं पीएमएवाई-(यू) की प्रगति, उपलब्धियां एवं परिणाम

 

अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत)-

 

माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 25 जून, 2015 को आरंभ किया गया अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) सफलता के पांच वर्ष पूरे कर चुका है। मिशन का लक्ष्य पीने के पानी की आपूर्ति का सार्वभौमिक कवरेज तथा वर्षा जल निकासी के साथ-साथ सीवरेज एवं सेप्टेज की कवरेज एवं उपचार क्षमताओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी, गैर-मोटरीकृत शहरी परिवहन एवं हरित स्थान, पार्क आदि सुनिश्चित करना है। यह मिशन 60 प्रतिशत से अधिक शहरी आबादी को कवर करते हुए 500 नगरों में फैला हुआ है।

 

• 77,640 करोड़ रुपये की लागत वाली राज्य वार्षिक कार्य योजनाएं (एसएएपी) अनुमोदित की गईं एवं 75,829 करोड़ रुपये की लागत की परियोजनाएं कार्यान्वित की जा चुकी है। 10,654 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं तथा 65,175 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं कार्यान्वयन के अग्रिम चरणों में हैं।

 

• पीने के पानी की आपूर्ति परियोजनाओं के लिए 39,011 करोड़ रुपये आवंटित किए गए तथा सीवरेज एवं सेप्टेज परियोजनाओं के लिए 32,546 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

 

• लगभग 1.39 करोड़ परिवारों को जल उपलब्ध कराने के लिए तथा लगभग 1.45 करोड़ परिवारों को सीवरेज एवं सेप्टेज सेवाएं सुलभ कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ठोस प्रयास किए गए।

 

• झुग्गियों एवं निम्न आय बस्तियों सहित 79 लाख परिवारों को जल नल कनेक्शन तथा 45 लाख सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराए गए है।

 

• मिशन के तहत प्रभावी शासन और नागरिक सेवा प्रदान करने में नगर स्तरीय संस्थानों की क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए मिशन ने 11 सुधार सुझाए। इन सुधारों के तहत 54 उपलब्धियां हासिल की गई।

 

• सभी भारतीय नगरों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए 76 लाख स्ट्रीटलाइटों की जगह ऊर्जा सक्षम एलईडी स्ट्रीटलाइट लगाई गई है।

 

• डिजिटल रूपांतरण आधारित सुधार के रूप में कार्यान्वित ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन सिस्टम (ओबीपीएस) का लक्ष्य निर्बाधित प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए, भवन योजनाओं के अनुमोदन के लिए जाने वाले समग्र समय में कमी लाना है। 444 अमृत शहरों सहित 2,057 शहरों में सुधार के कार्यान्वयन के कारण भारत की रैंकिंग जो निर्माण अनुमतियों में व्यवसाय करने की सुगमता में डीबीआर 2018 में 181 के स्थान पर थी, विश्व बैंक डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर) 2020 में 27वें स्थान पर पहुंच गई। यह सुधार के कार्यान्वयन के बाद से उल्लेखनीय बेहतरी प्रदर्शित करता है।

 

• 500 मिशन शहरों में से 469 शहरों में क्रेडिट रेटिंग का प्रयोग किया, जिसमें से 163 नगरों को इनवंटिबल ग्रेड में पाया गया है। 2019-20 के दौरान 8 शहरों ने सेवा प्रदायगी तथा शहरी स्तर अवसंरचना में सुधार लाने के लिए लक्षित पूंजी निवेश परियोजनाओं को शुरू करने के लिए म्युनिसिपल बांडों के जरिये 3,390 करोड़ रुपये जुटाए। मंत्रालय ने सुधार कार्यान्वयन के लिए 26 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहन के रूप में म्युनिसिपल बांडों को जारी करने के लिए 181 करोड़ रुपये सहित 1,839 करोड़ रुपये प्रदान किए। मिशन के तहत, 45,000 पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य से बढ़कर अब तक 53,000 पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

 

स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम)-

 

स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) की स्थापना 25 जून, 2015 को ऐसे शहरों के निर्माण के उद्देश्य से की गई जिसमें अहम बुनियादी ढांचे का विकास हो और जो अपने निवासियों को गुणवत्तापूर्ण जीवन, एक स्वस्छ और दीर्घकालिक वातावरण और ‘स्मार्ट’ साधनों से पूर्ण सुविधा प्रदान करे। आज तक, निविदित स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का मूल्य 1,66,000 करोड़ रुपये से अधिक, कार्यादेश जारी की गई परियोजनाओं का मूल्य लगभग 1,25,000 करोड़ रुपये और पूरी की गई सभी परियोजनाओं का मूल्य 27,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

 

• 32,500 करोड़ रुपये मूल्य की अतिरिक्त 1000 परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की जा चुकी हैं और पिछले एक साल के दौरान 36,000 करोड़ रुपये मूल्य की 1000 परियोजनाएं कार्यान्वित की गई है।

 

• पिछले एक साल के दौरान पूरी की गई परियोजनाओं में 180 फीसदी की वृद्धि हुई जो 12,100 करोड़ रुपये के बराबर है।

 

• स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकसित एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) ने शहरों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में काफी मदद की है। 47 क्रियाशील आईसीसीसी को कोविड-19 के खिलाफ वॉर-रूम के बन गये हैं और कोविड से मुकाबला करने में काफी प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं।

 

• 33 आईसीसीसी अभी पूरे होने के विभिन्न चरणों में हैं। मिशन में स्मार्ट सड़कें/तैयार गलियां, स्मार्ट सोलर, स्मार्ट वॉटर, पीपीपी और महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल परियोजनाएं पूरे होने की राह पर हैं।

 

• सभी यूएलबी और स्मार्ट सिटी एसपीवी में नए स्नातकों को इंटर्न के रूप में शामिल करने के लिए द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम (टीयूएलआईपी-ट्यूलिप) तैयार किया गया है। इसके लिए ट्यूलिप के जरिए अब तक 25,000 से ज्यादा छात्रों ने पंजीकरण कराया है और स्मार्ट सिटी में 1000 से अधिक इंटर्नशिप पदों पर छात्रों को लगाया जा चुका है। इससे हमारे शहरों की क्षमता में बढ़ोतरी होगी और छात्रों को बाजार के अनुरूप तैयार करने के लिए उन्हें सकारात्मक रूप से काम से जोड़ा जाएगा।

 

• स्मार्ट सिटी मिशन के तहत क्लाइमेट स्मार्ट सिटी और डेटा स्मार्ट सिटी दो प्रमुख कार्यक्रम हैं। ये सक्षम बनाने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं जो डाटा आधारित प्रदर्शन प्रबंधन के जरिए भविष्य के काम को आगे बढ़ाएंगे और शहरी नवाचार तथा सांस्थानिक क्षमता निर्माण में मदद करेंगे।

 

• आसान रहन-सहन और नगर-निगम प्रदर्शन सूचकांक (ईओएल और एमपीआई) में 114 भारतीय शहरों ने भाग लिया। ज्यादातर शहरों ने नागरिक अनुभूति सर्वेक्षण अभ्यास में भाग लिया जिसका आयोजन मंत्रालय द्वारा ईओएल के तहत किया गया। 30 लाख से ज्यादा लोगों ने इस सर्वेक्षण में भाग लिया और अपने शहरों को लेकर रचनात्मक प्रतिपुष्टि (फीडबैक) दी।

 

• सर्वोच्च 20 शहरों को रैंकिंग में पीछे अन्य 20 शहरों के साथ ‘सिस्टर सिटी’ की जोड़ी के रूप में रखा गया। इससे इन शहरों और हितधारकों में काफी उत्साह दिखा। ये शहर सीखने और प्रदर्शन करने में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।

 

• स्मार्ट सिटी मिशन म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए धन उगाहने में रुचि लेने वाले शहरों की मदद कर रहा है। हाल ही में, म्युनिसिपल बॉन्ड के लिए यूएस ट्रेजरी विभाग से तकनीकी मदद हासिल करने के लिए 6 शहरों का चयन किया गया है।

 

• अग्नि (एजीएनआई) और इन्वेस्ट इंडिया के साथ संयुक्त प्रयास में स्मार्ट सिटी मिशन स्मार्ट शहरों में पनप रही स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। मिशन द्वारा स्टार्ट-अप्स और हमारे शहर प्रशासकों के बीच स्मार्ट प्रौद्योगिकी शोकेस का आयोजन किया गया।

 

प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी (पीएमएवाई-यू)-

 

प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी (पीएमएवाई-यू) के पांच साल 25 जून 2020 को पूरे हो गए। यह योजना ‘सभी के लिए आवास’ के विजन के साथ वर्ष 2022 तक शहरी भारत के सभी पात्र लाभार्थियों को पक्का मकान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में लॉन्च की गई थी। इस मिशन के पांच साल के सफर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की गईं। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) को पीएमएवाई (यू) के तहत लगभग 1.12 करोड़ मकानों की सत्यापित मांग प्राप्त हुई है। 1.05 करोड़ मकानों के लिए स्वीकृतियां पहले ही मिल गई हैं जिनमें से 65 लाख मकानों की नींव डाल दी गई है और 35 लाख मकान निर्मित किए जा चुके हैं एवं देश भर में लाभार्थियों के बीच इनका वितरण हो चुका है।

 

• मिशन के तहत पिछले पांच वर्षों में मंजूर किए गए मकानों की संख्या दरअसल 10 वर्षों की अवधि के दौरान पूर्ववर्ती शहरी आवास योजनाओं के तहत स्वीकृत मकानों की कुल संख्या की तुलना में लगभग आठ गुना अधिक है।

 

• पीएमएवाई (यू) के कार्यान्वयन के लिए धन का नियमित प्रवाह सुनिश्चित करने हेतु मिशन के लिए बजटीय आवंटन के अलावा बजटेत्तंर संसाधनों के माध्यम से 60,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए राष्ट्रीय शहरी आवास कोष बनाया गया है।

 

• ऋण संबद्ध सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के माध्यम से पहली बार मध्यम आय समूह (एमआईजी) को उनकी आवास जरूरतों के लिए विभिन्न लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय समूह (एलआईजी) और एमआईजी से जुड़े 10 लाख से भी अधिक लाभार्थी अब तक सीएलएसएस के दायरे में लाए गए हैं।

 

• सरकार ने वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चैलेंज- भारत के माध्यम से कई वैकल्पिक और अभिनव तकनीकों की पहचान की है। 6 लाइट हाउस प्रोजेक्ट को देश भर के छह राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है, जो लाइव प्रयोगशालाओं के रूप में काम करेंगे। ये ऐसे मकानों के त्वरित और किफायती निर्माण के लिए अभिनव एवं प्रमाणित निर्माण प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगी जो टिकाऊ, हरित, पर्यावरण अनुकूल और आपदा-रोधी हैं।

 

• अकेले वर्ष 2019 में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने 4000 से भी अधिक शहरों एवं कस्बों में अंगीकार- परिवर्तन प्रबंधन के लिए एक अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान ने लाभार्थियों को जीवन में उस बदलाव को अंगीकार करने के अनुकूल बनाया जो किसी नवनिर्मित मकान में स्थानांतरित होने के साथ ही स्वत: होने लगता है। यह अभियान इसके साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं जैसे कि आयुष्मान भारत और उज्ज्वला के साथ भी संयोजित हो गया, ताकि लाभार्थी इन योजनाओं का लाभ उठा सकें। इस अभियान में लगभग 20 लाख परिवारों को कवर किया गया।

 

• ‘आत्मनिर्भर भारत’ की तर्ज पर शहरी प्रवासियों/गरीबों को जीवन यापन में आसानी प्रदान करने के लिए किफायती किराया आवास परिसर (एआरएचसी) योजना की घोषणा 14 मई, 2020 को माननीय वित्त मंत्री द्वारा की गई है। एआरएचसी योजना के लाभार्थी ईडब्ल्यूएस/एलआईजी श्रेणियों के शहरी प्रवासी/गरीब होंगे जिनमें मजदूर, शहरी गरीब (रेहड़ी-पटरी वाले या स्ट्रीट वेंडर, रिक्शा चालक, अन्य सेवा प्रदाता, इत्यादि), औद्योगिक श्रमिक, शैक्षणिक/स्वास्थ्य संस्थान, आतिथ्य सेक्टर, दीर्घकालिक पर्यटक, विद्यार्थी या ऐसी अन्य कोई भी श्रेणी शामिल है जिसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपयुक्त माना जाता है।

 

• योजना के तहत निर्माण गतिविधि का अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्ट्ररों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। यही नहीं, रोजगार सृजन पर तो इसका कई गुना सकारात्मक असर पड़ा है। कच्चे माल की आपूर्ति एवं तैयार मकानों की बिक्री की व्यवस्था के माध्यम से लगभग 1.65 करोड़ नागरिकों के लिए रोजगार सृजित हुए हैं। जिन मकानों की नींव डाली जा चुकी है उनमें किए जा रहे निवेश की बदौलत लगभग 370 लाख मीट्रिक टन सीमेंट और 84 लाख मीट्रिक टन इस्पात (स्टील) की खपत हुई है।