आधिकारिक बुलेटिन -1 (17-Sept-2020)
सरकार का मार्च 2025 के अंत तक देश में जनऔषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10500 तक करने का लक्ष्य
(Govt. has set a target to increase the number of Janaushadhi Kendras to 10500 by the end of March 2025)

Posted on September 17th, 2020 | Create PDF File

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केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी वी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि आम आदमी विशेषकर गरीबों के लिए सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से मार्च 2025 तक प्रधानमन्त्री जनऔषधि केन्द्रों की संख्या को बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा गया है। देश में इस समय 15 सितंबर 2020 तक ऐसी दुकानों की संख्या 6606 हो चुकी है।

 

जनऔषधि केन्द्रों का नेटवर्क बढ़ने के साथ ही देश के सभी जिलों में जनऔषधि केंद्र हो जाएंगे जिससे देश के हर कोने में लोगों को किफायती ​कीमतों पर आसानी से दवाएं मिल सकेंगी।

 

मार्च से जून, 2020 तक जनऔषधि केन्द्रों को कई तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा। परिवहन के लिए वाहनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण केन्द्रीय और क्षेत्रीय गोदामों से जनऔषधि केंद्रों तक दवा तथा दवाओं के लिए जरुरी कच्चे माल की समय पर और आवश्यकतानुरुप आपूर्ति नहीं हो पाई। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रों पर दवाओं का सही समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी आईटी सक्षम लाजिस्टिक आपूर्ति-श्रृंखला प्रणाली विकसित करने पर काम हो रहा है।

 

वर्तमान में, गुरुग्राम, चेन्नई, बेंगलुरु और गुवाहाटी में प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के चार गोदाम कार्य कर रहे है। इसके अलावा, पश्चिमी और मध्य भारत में दो और गोदाम खोलने की योजना है। आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में वितरकों की नियुक्ति भी की जा रही है।

 

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना को 490 करोड़ रुपए के बजट के साथ 2020-21 से 2024- 25 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है।

 

कोविड लॉकडाउन के कठिन समय के बावजूद इन केन्द्रों ने बिक्री का शानदार प्रदर्शन करते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कुल 146.59 करोड़ रुपए का कारोबार किया जबकि 2019 20 की पहली तिमाही मे यह आंकड़ा 75.48 करोड़ रुपए रहा था। जुलाई से 15 सितंबर तक इन केन्द्रों से कुल 109.43 करोड़ रुपए की बिक्री हुई जिसे मिलाकर 15 सितंबर तक कुल 256.02 करोड़ रुपए की बिक्री हो चुकी है।

 

जनऔषधि केन्द्रों ने गुणवत्ता वाली दवाओं की कीमतों में भारी कमी करते हुए देश की एक बड़ी आबादी विशेषकर गरीबों तक इन दवाओं की पहुंच आसान बना दी है।

 

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना-

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना भारत सरकार के ‘रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय’ के अंतर्गत कार्यरत ‘फार्मास्यूटिकल्स विभाग’ द्वारा प्रारंभ की गई है।इसका उद्देश्य ‘प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ के माध्यम से देश की जनता को सस्ती एवं गुणवत्ता युक्त दवाइयाँ प्रदान करना है।इन जन औषधि केन्द्रों को गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता में महँगी ब्रांडेड दवाओं के समतुल्य जेनेरिक दवाइयों को कम कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिये स्थापित किया गया है। इस परियोजना का मूल उद्देश्य है- “Quality Medicines at Affordable Prices for All”.

 

जेनेरिक दवाएँ -

 

किसी बीमारी के इलाज के लिये तमाम तरह के अनुसंधान और खोज के बाद एक रसायन (साल्ट) तैयार किया जाता है जिसे आसानी से उपलब्ध करवाने के लिये दवा की शक्ल दे दी जाती है। इस सॉल्ट को हर कंपनी अलग-अलग नामों से बेचती है, कोई इसे महँगे दामों में बेचती है तो कोई सस्ते दामों में। लेकिन इस सॉल्ट का जेनेरिक नाम सॉल्ट के रासायनिक गुणों और संबंधित बीमारी का ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि किसी भी सॉल्ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही रहता है।

 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, यदि डॉक्टरों द्वारा मरीज़ों को जेनेरिक दवाओं को लेने का सुझाव (Prescription) दिया जाता है तो इससे विकसित देशों में स्वास्थ्य खर्च 70 फीसदी और विकासशील देशों में इससे भी कम हो सकता है।