आधिकारिक बुलेटिन - 2 (23-Dec-2019)
मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) के तहत प्रथम त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर (First tripartite Memorandum of Agreement (MoA) signed under Fisheries and Aquaculture Development Fund (FIDF))

Posted on December 24th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) पर अमल के लिए भारत सरकार के मत्‍स्‍य पालन विभाग, नाबार्ड और तमिलनाडु सरकार के बीच प्रथम त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्‍ताक्षर किये गये। इस अवसर पर केन्‍द्रीय मत्‍स्‍य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मत्‍स्‍य पालन क्षेत्र में बुनियादी ढांचागत जरूरतों की पूर्ति के लिए ‘मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष’ के नाम से एक विशेष कोष सृजित किया गया है, जिसमें कुल मिलाकर 7522.48 करोड़ रुपये है। उन्‍होंने तटीय राज्‍यों से गहरे समुद्र में मत्‍स्‍य पालन, मछली पकड़ने के बाद की व्‍यवस्‍था करने और निर्यात संवर्धन पर विशेष ध्‍यान देने का अनुरोध किया। मत्‍स्‍य पालन से जुड़ी चिन्ह्ति अवसंरचना के विकास के लिए पात्र निकायों, सहकारी समितियों, लोगों और उद्यमियों को एफआईडीएफ से रियायती वित्‍त मुहैया कराया जाता है। राष्‍ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और सभी अनुसूचित बैंक दरअसल एफआईडीएफ से रियायती वित्‍त मुहैया कराने वाले प्रमुख ऋण प्रदाता निकाय (एनएलई) हैं।

मत्‍स्‍य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय का मत्‍स्‍य पालन विभाग एफआईडीएफ के तहत एनएलई की ओर से रियायती वित्‍त मुहैया कराने के लिए 3 प्रतिशत तक की वार्षिक ब्‍याज सब्सिडी मुहैया कराता है। हालांकि, यह ब्‍याज दर 5 प्रतिशत वार्षिक से कम नहीं होनी चाहिए।

तमिलनाडु सरकार ने राज्‍य में तीन मत्‍स्‍य पालन हार्बर को विकसित करने के लिए नाबार्ड से 420 करोड़ रुपये का आरम्भिक रियायती वित्‍त प्राप्‍त करने के लिए प्रथम त्रिपक्षीय एमओए पर हस्‍ताक्षर किये हैं। मत्‍स्‍य पालन हार्बर में ये शामिल हैं : (i) नागापट्टिनम जिले में थारंगमपदी, (ii) तिरुवल्लुर जिले में थिरुवोत्रियूर कुप्पम और (iii) कुड्डालोर जिले में मुधुनगर। ये हार्बर इस क्षेत्र में बड़ी संख्‍या में चलने वाले मत्‍स्‍य पालन पोतों को इन स्‍थलों पर पहुंचने एवं लंगर डालने (बर्थिंग) के लिए सुरक्षित सुविधाएं प्रदान करेंगे और इसके साथ ही इन क्षेत्रों में म‍छलियों का उत्‍पादन बढ़ाने, मछलियां पकड़ने के बाद स्‍वच्‍छ सुविधाएं प्रदान करने, आर्थिक गतिविधियों से जुड़े मत्‍स्‍य पालन के विकास में तेजी लाने और रोजगार अवसर सृजित करने में भी मददगार साबित होंगे।

एक प्रमुख ऋणदाता निकाय के रूप में नाबार्ड त्रिपक्षीय एमओए पर अमल के बाद एफआईडीएफ के तहत राज्‍य सरकारों/राज्‍यों के निकायों के जरिये मत्‍स्‍य पालन से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए रियायती वित्‍त मुहैया कराता है। विभिन्‍न राज्‍य सरकारों एवं अन्‍य पात्र निकायों (ईई) से प्राप्‍त 1715.04 करोड़ रुपये के प्रस्‍तावों की सिफारिश अब तक एफआईडीएफ के तहत विचार करने के लिए विभाग में गठित केन्‍द्रीय अनुमोदन एवं निगरानी समिति द्वारा की गई है। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मत्‍स्‍य पालन हार्बरों के विकास के लिए इन राज्‍यों की सरकारों से प्राप्‍त परियोजना प्रस्‍ताव इन अनुशंसित परियोजनाओं में प्रमुख हैं।

भारत सरकार के मत्‍स्‍य पालन विभाग में सचिव श्रीमती रजनी सेखरी सिबल, नाबार्ड के चेयरमैन डॉ. हर्ष कुमार भानवाला, संयुक्‍त सचिव (मत्‍स्‍य पालन) डॉ. जे.बालाजी, संयुक्‍त सचिव (मत्‍स्‍य पालन) श्री सागर मेहरा, विभिन्‍न राज्‍यों में मत्‍स्‍य पालन के प्रभारी प्रधान सचिव एवं सचिव और मत्‍स्‍य पालन विभाग के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।