आधिकारिक बुलेटिन -2 (2-Sept-2019)
सीबीडीटी ने स्टार्ट-अप कंपनियों द्वारा अनुपालन में आसानी के लिए निर्देशों को समेकित किया
(CBDT consolidates Circulars for ease of compliance of Start-ups)

Posted on September 2nd, 2019 | Create PDF File

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स्टार्ट-अप कंपनियों को आसान टैक्स व्यवस्था की सुविधा देने के लिए केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2019 में और 23 अगस्त, 2019 को कई घोषणाएं की। इन घोषणाओं को प्रभावी बनाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने समय-समय पर विभिन्न परिपत्र / स्पष्टीकरण जारी किए हैं। परिपत्र संख्या 22/2019 दिनांक 30 अगस्त, 2019 के माध्यम से सीबीडीटी ने स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए अनुपालन में आसानी से संबंधित सभी परिपत्रों / स्पष्टीकरण का समेकन किया है। वर्तमान परिपत्र निम्न विषयों को रेखांकित करता है:

 

*स्टार्ट-अप कंपनियों की आकलन प्रक्रिया को सरल बनाना : परिपत्र संख्या 16/2019 दिनांक 07 अगस्त, 2019 के माध्यम से डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप कंपनियों की आकलन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इस परिपत्र में उन स्टार्ट-अप के लिए सीमित जांच की व्यवस्था है जहां धारा 56(2)(7बी) समेत अन्य मुद्दे जुड़े हुए हैं या वैसे मामले जिसमें स्टार्ट-अप कंपनी ने फॉर्म नं. 2 दाखिल नहीं किया है। इस परिपत्र में स्टार्ट-अप कंपनियों की जांच करने के लिए जांच प्राधिकरण को अनिवार्य अनुमोदन प्राप्त करने हेतु विस्तृत प्रक्रिया का उल्लेख है।


*स्टार्ट-कंपनियं के लंबित आकलनों को पूरा करने के लिए समय-सीमा : सीबीडीटी ने स्टार्ट-कंपनियं के लंबित आकलनों को पूरा करने के लिए समय-सीमा का भी उल्लेख किया है। सीमित जांच वाले सभी मामलों के आकलन का कार्य प्राथमिकता के आधार पर 30 सितंबर, 2019 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए। स्टार्ट अप के अन्य मामलों को प्राथमिकता के आधार पर 31 अक्टूबर, 2019 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए।


*पूर्व आकलन में धारा 56(2)(7बी) के तहत जोड़ने की प्रक्रिया : 09 अगस्त, 2019 को जारी स्पष्टीकरण में यह जानकारी दी गई थी कि 19 फरवरी, 2019 के पहले किए गए आकलन के संदर्भ में धारा 56(2)(7बी) के प्रावधान लागू नहीं होंगे। यदि मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप ने फॉर्म संख्या 2 फाइल किया है। अपीलों के अंतिम निपटारे की समय-सीमा का भी उल्लेख किया गया है।


*आयकर : सीबीडीटी ने बार-बार यह कहा है कि धारा 56(2)(7बी) के तहत जोड़ी गई प्रविष्टियों से संबंधित बकाया आयकर की मांग नहीं की जाएगी और बकाया मांग के संदर्भ में कोई पत्राचार / संवाद नहीं किया जाएगा। स्टार्ट-अप की आयकर से संबंधित किसी मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, यदि आईटीएटी ने इस आयकर संबंधी मांग की पुष्टि नहीं की हो।


*स्टार्ट-अप प्रकोष्ठ का गठन : स्टार्ट-अप कंपनियों के टैक्स संबंधी शिकायतों को दूर करने के लिए एक स्टार्ट-अप प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। प्रकोष्ठ का गठन सीबीडीटी द्वारा जारी आदेश दिनांक 30 अगस्त, 2019 के तहत किया गया है। शिकायतों को ऑनलाइन - startupcell.cbdt@gov.in. भी दाखिल किया जा सकता है।