आधिकारिक बुलेटिन -4 (31-July-2019)
कैबिनेट ने अंतर्राष्ट्रीय निपटान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी
(Cabinet approves signing of the UN Convention on International Settlement Agreements resulting from mediation by India)

Posted on July 31st, 2019 | Create PDF File

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय गणराज्य द्वारा 7 अगस्त, 2019 को सिंगापुर में या संयुक्त राष्ट्र मुख्यालयों होने वाली मध्यस्थता के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनआईएसए) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है।

 

लाभः

संधि पर हस्ताक्षर से निवेशकों का आत्म-विश्वास बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों को वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) पर अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया के पालन की भारत की प्रतिबद्धता को लेकर सकारात्मक संदेश भेजा जा सकेगा।

 

एडीआर व्यवस्था को प्रोत्साहन देने की पहल-

भारत में अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता को प्रोत्साहन देने के क्रम में मध्यस्थता के लिए एक व्यापक तंत्र विकसित करने के लिए सरकार एक वैधानिक संस्था के रूप में नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एनडीआईएसी) स्थापित करने जा रही है। वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 में संशोधन कर दिया गया है और मध्यस्थता व सुलह अधिनियम, 1996 में संशोधन के लिए वैधानिक प्रक्रिया फिलहाल जारी है। इन पहलों का उद्देश्य भारत में मध्यस्थता और सुलह के एडीआर तंत्र के माध्यम से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक विवादों के समाधान को प्रोत्साहन देना है। कुछ चुनिंदा श्रेणी के मामलों में पूर्व-संस्थान स्तर पर मध्यस्थता और समाधान को अनिवार्य बनाने के लिए वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 में एक नया चैप्टर (3ए) शामिल किया गया है। इस प्रकार ‘संधि’ के प्रावधान घरेलू कानूनों और वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों को मजबूत के प्रयासों के अनुरूप है।

 

पृष्ठभूमिः

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2018 को मध्यस्थता (“संधि”) के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र संधि को स्वीकार किया था। महासभा को 7 अगस्त, 2019 को सिंगापुर में होने वाले एक समारोह में समझौते पर हस्ताक्षर कराने के लिए अधिकृत किया गया था और इसे “मध्यस्थता पर सिंगापुर संधि” (संधि) के नाम से जाना जाएगा।

 

संधि, मध्यस्थता के परिणामस्वरूप होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सुलह समझौतों को लागू करने के लिए एक समान और कुशल तंत्र उपलब्ध कराती है और विभिन्न पक्षों के लिए ऐसे समझौतों, मध्यस्थता फैसले देने के लिए विदेशी पंचाट फैसलों को मान्यता देने और लागू कराने पर संधि (न्यू यॉर्क, 1958) (“न्यू यॉर्क संधि”) से संबंधित तंत्र के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करती है। संधि दो अतिरिक्त आधारों का भी वर्णन करती है, जिनके आधार पर एक अदालत राहत देने से इनकार कर सकती है। ये आधार इस वास्तविकता से संबंधित हैं कि एक विवाद का मध्यस्थता के द्वारा समाधान नहीं हो पाएगा या यह सार्वजनिक नीति के विरुद्ध है।