आधिकारिक बुलेटिन -2(28-Feb-2019)
प्रधानमंत्री जी-वन योजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी
(Cabinet approves 'Pradhan Mantri Jl-VAN yojana')

Posted on February 28th, 2019 | Create PDF File

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना के लिए वित्तीय मदद को मंजूरी दे दी है। इसके तहत ऐसी एकीकृत बायो-इथेनॉल परियोजनाओं को, जो लिग्नोसेलुलॉसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का इस्तेमाल करती हैं, के लिए वित्तीय मदद का प्रावधान है।

 

वित्तीय प्रभावः

 

जी-वन योजना के लिए 2018-19 से 2023-24 की अवधि में कुल 1969.50 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय को मंजूरी दी गई है। परियोजनाओं के लिए स्वीकृत कुल 1969.50 करोड़ रुपये की राशि में से 1800 करोड़ रुपये 12 वाणिज्यिक परियोजनाओं की मदद के लिए, 150 करोड़ रुपये प्रदर्शित परियोजनाओं के लिए और बाकी बचे 9.50 करोड़ रुपये केन्द्र को उच्च प्रौद्योगिकी प्रशासनिक शुल्क के रूप में दिए जाएंगे।

 

विवरणः

 

इस योजना के तहत वाणिज्यिक स्तर पर 12 परियोजनाओं को और प्रदर्शन के स्तर पर दूसरी पीढ़ी के 10 इथेनॉल परियोजनाओं को दो चरणों में वित्तीय मदद दी जाएगी।

 

1. पहला चरण (2018-19 से 2022-23)- इस अवधि में 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं और 5 प्रदर्शन के स्तर वाली परियोजनाओं को आर्थिक मदद दी जाएगी।

 

2. दूसरा चरण (2020-21 से 2023-24)- इस अवधि में बाकी बची 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं और 5 प्रदर्शन स्तर वाली परियोजनाओं को मदद की व्यवस्था की गई है।

 

 

* परियोजना के तहत दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और मदद करने का काम किया गया है। इसके लिए उसे वाणिज्यिक परियोजनाएं स्थापित करने और अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का काम किया गया है।

 

* ईबीपी कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को मदद पहुंचाने के अलावा निम्नलिखित लाभ भी होंगे-

 

1. जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता घटाने की भारत सरकार की परिकल्पना को साकार करना।

2. जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल का विकल्प लाकर उत्सर्जन के सीएचजी मानक की प्राप्ति।

3. बायोमास और फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का समाधान और लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना।

4. दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल परियोजना और बायोमास आपूर्ति श्रृंखला में ग्रामीण और शहरी लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना।

5. बायोमास कचरे और शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे के संग्रहण की समुचित व्यवस्था कर स्वच्छ भारत मिशन में योगदान करना।

6. दूसरी पीढ़ी के बायोमास को इथेनॉल प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करने की विधि का स्वदेशीकरण।

7. योजना के लाभार्थियों द्वारा बनाए गए इथेनॉल की अनिवार्य रूप से तेल विपणन कम्पनियों को आपूर्ति, ताकि वे ईबीपी कार्यक्रम के तहत इनमें निर्धारित प्रतिशत में मिश्रण कर सके।

 

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2022 तक पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इथेनॉल की कीमत ज्यादा रखने और इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद 2017-18 के दौरान इथेनॉल की खरीद 150 करोड़ लीटर ही रही, हालांकि यह देशभर में पेट्रोल में इथेनॉल के 4.22 प्रतिशत मिश्रण के लिए पर्याप्त है। इथेनॉल इसी वजह से बायोमास और अन्य कचरों से दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल प्राप्त करने की संभावनाएं पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा तलाशी जा रही हैं। इससे ईबीपी कार्यक्रम के तहत किसी तरह होने वाली कमी को पूरा किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री जी-वन योजना इसी को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है। इसके तहत देश में दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल क्षमता विकसित करने और इस नए क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।

 

इस योजना को लागू करने का अधिकार पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत काम करने वाली एक तकनीकी इकाई सेंटर फॉर हाई टेक्नोलॉजी को सौंपा गया है। इस योजना का लाभ उठाने के इच्छुक प्रोजेक्ट डेवलपरों को अपने प्रस्ताव समीक्षा के लिए मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति को सौंपने होंगे। समिति जिन परियोजनाओं की अनुशंसा करेगी उन्हें मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में संचालन समिति द्वारा मंजूरी दी जाएगी।

 

पृष्ठभूमिः

 

भारत सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम 2003 में लागू किया था। इसके जरिए पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण कर पर्यावरण को जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाना तथा कच्चे तेल के आयात को कम कर विदेशी मुद्रा बचाना है। वर्तमान में ईबीपी 21 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत तेल विपणन कम्पनियों के लिए पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाना अनिवार्य बनाया गया है। मौजूदा नीति के तहत पेट्रोकेमिकल के अलावा मोलासिस और नॉन फीड स्‍टाक उत्पादों जैसे सेलुलोसेस और लिग्नोसेलुलोसेस जैसे पदार्थों से इथेनॉल प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।