आधिकारिक बुलेटिन -2 (1-Aug-2020)
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100वीं पुण्यतिथि पर ‘लोकमान्य तिलक - स्वराज से आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन किया
(Union Home Minister Shri Amit Shah inaugurated a two-day international webinar on 'Lokmanya Tilak - Swaraj to Self-Reliant India' 100th death anniversary of great freedom fighter Lokmanya Bal Gangadhar Tilak )

Posted on August 1st, 2020 | Create PDF File

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केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100वीं पुण्यतिथि पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा आयोजित ‘लोकमान्य तिलक - स्वराज से आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन किया ।

 

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ही वास्तव में भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन को भारतीय बनाया । लोकमान्य तिलक का स्वतंत्रता आन्दोलन में अतुलनीय योगदान है, उन्होंने अपने जीवन का क्षण-क्षण राष्ट्र को समर्पित कर क्रांतिकारियों की एक वैचारिक पीढ़ी तैयार की। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि तिलक ने अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज बुलंद कर ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का जो नारा दिया वह भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा रहेगा । श्री अमित शाह ने कहा कि आज यह बहुत सहज लगता है लेकिन 19 वीं शताब्दी में यह बोलना और उसे चरितार्थ करने के लिए अपना पूरा जीवन खपा देने का काम बहुत कम लोग ही कर सकते थे । लोकमान्य तिलक के इस वाक्य ने भारतीय समाज को जनचेतना देने और स्वतन्त्रता आंदोलन को लोक-आंदोलन में बदलने का काम किया, इस कारण स्वतः ही लोकमान्य की उपाधि उनके नाम से जुड़ गई । केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि तिलक जी से पूर्व ‘गीता’ के सन्यास भाव को लोग जानते थे लेकिन जेल में रहते हुए तिलक जी ने ‘गीता रहस्य’ लिखकर गीता के अन्दर के कर्मयोग को लोगो के सामने लाने का काम किया और लोकमान्य तिलक द्वारा रचित ‘गीता रहस्य’ आज भी लोगों का मार्गदर्शन कर रही है।

 

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि लोकमान्य तिलक मूर्धन्य चिंतक, दार्शनिक, सफल पत्रकार और समाज सुधारक सहित एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे । इतनी उपलब्धियां होते हुए भी जमीन से जुड़े रहने की कला उनसे सीखी जा सकती है । श्री अमित शाह ने कहा कि भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय जनमानस को समझने वाले लोकमान्य तिलक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं । उन्होने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि यदि भारत और भारत के गरिमामय इतिहास को जानना है तो बाल गंगाधर तिलक को बार-बार पढ़ना होगा । उन्होने युवाओं से यह भी कहा कि हर बार पढ़ने से तिलक जी के महान व्यक्तित्व के बारे में कुछ नया ज्ञान प्राप्त होगा और उनसे प्रेरणा लेकर युवा जीवन में नई ऊंचाई हासिल कर सकेंगे ।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि लोकमान्य तिलक का स्वभाषा और स्वसंस्कृति का जो आग्रह था उसे मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया है । तिलक जी के विचारों को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है । लोकमान्य तिलक ने कहा था कि सच्चे राष्ट्रवाद का निर्माण पुरानी नींव के आधार पर ही हो सकता है, जो सुधार पुरातन के प्रति घोर असम्मान की भावना पर आधारित है उसे सच्चा राष्ट्रवाद रचनात्मक कार्य नहीं समझता| हम अपनी संस्थाओं को ब्रिटिश ढाँचे में नहीं ढालना चाहते, सामाजिक तथा राजनीतिक सुधार के नाम पर हम उनका अराष्ट्रीयकरण नहीं करना चाहते | श्री अमित शाह ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक भारतीय संस्कृति के गौरव के आधार पर देशवासियों में राष्ट्रप्रेम उत्पन्न करना चाहते थे, इस संदर्भ में उन्होंने व्यायामशालाएं, अखाड़े, गौ-हत्या विरोधी संस्थाएं स्थापित की।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि लोकमान्य तिलक अस्पृश्यता के प्रबल विरोधी थे उन्होंने जाति और संप्रदायों में बंटे समाज को एक करने के लिए बड़ा आंदोलन चलाया। तिलक जी का कहना था कि यदि ईश्वर अस्पृश्यता को स्वीकार करते हैं तो मैं ऐसे ईश्वर को स्वीकार नहीं करता । केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मजदूर वर्ग को राष्ट्रीय आंदोलन में जोड़ने के लिए भी लोकमान्य तिलक ने महत्वपूर्ण काम किया । साथ ही लोगों को स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ने के लिए लोकमान्य तिलक ने शिवाजी जयंती और सार्वजनिक गणेश उत्सवों को लोकउत्सव के रूप में मनाने की शुरूआत की जिससे भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन की दिशा और दशा दोनों बदल गई।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि मरण और स्मरण में आधे अक्षर का अंतर है, लेकिन यह आधा ‘स’ जोड़ने के लिए पूरे जीवन का त्याग करना पड़ता है और तिलक जी इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं । लोकमान्य तिलक ने गांधी, वीर सावरकर सहित अनेक स्वाधीनता सेनानियों को प्रोत्साहित करने का काम किया और महात्मा गांधी नंगे पाँव चलकर बाल गंगाधर तिलक की अंतिम यात्रा में शामिल हुए जो तिलक जी के लिए गांधी जी के सम्मान का सूचक है ।

 

कार्यक्रम में प्रख्यात समाज सुधारक, लोकशाहीर अण्णा भाऊ साठे जी की जन्मशताब्दी के अवसर पर उनको भी नमन कर पुष्पांजलि अर्पित की गयी। वेबिनार के उदघाटन सत्र में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष और सांसद डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे, तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ के उपकुलपति श्री दीपक तिलक और डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ शरद कुंटे सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।