आधिकारिक बुलेटिन -1 (23-July-2019)
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश किया गया (The Code on Occupational Safety, Health and Working Conditions Bill, 2019 Introduced in Lok Sabha Today)

Posted on July 23rd, 2019 | Create PDF File

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श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज लोकसभा में व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति को विनियमित करने वाले कानूनों में संशोधन करने के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता विधेयक, 2019 पेश किया। श्री गंगवार ने कहा कि प्रस्तावित बिल मजदूर यूनियनों, नियोक्ताओं और अन्य सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद पेश किया जा रहा है।

 

सुरक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण और बेहतर कामकाजी परिस्थितियां कामगार की भलाई के लिए और देश के आर्थिक विकास के लिए भी आवश्यक हैं क्योंकि देश का स्वस्थ कार्यबल अधिक उत्पादक होगा और दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं में कमी से नियोक्ताओं को आर्थिक रूप से लाभ होगा।

 

संहिता देश के सभी कार्यबल के लिए सुरक्षा और स्वस्थ कार्य स्थितियों का विस्तार करने के अंतिम उद्देश्य के साथ सुरक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण और कार्य स्थितियों के प्रावधानों के दायरे को मौजूदा 9 प्रमुख क्षेत्रों से लेकर 10 या अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों तक बढ़ाती है। प्रस्तावित संहिता श्रमिकों के कवरेज को कई गुना बढ़ाती है क्योंकि यह 10 या अधिक श्रमिकों को नियुक्त करने वाले सभी उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और विनिर्माण प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। इसमें आईटी क्षेत्र या सेवा क्षेत्र के प्रतिष्ठान शामिल हैं। इसके अलावा संहिता में खदानों और बंदरगाहों को छोड़कर 10 कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों के लिए विभिन्न उपयुक्तताओं को एक साथ दिया गया है। एक मात्र कर्मी वाले खदानों और गोदी में यह संहिता लागू होगी। संहिता में व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए श्रमजीवी पत्रकारों और सिनेमा कर्मियों की परिभाषाओं के अंदर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत श्रमिकों और ऑडियो विजुअल उत्पादन के सभी रूपों को शामिल करने के लिए भी संशोधन किया गया है। इसी तरह, अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिक की परिभाषा में उन प्रवासी श्रमिकों को शामिल करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव है, जिन्हें ठेकेदार या एजेंट के बिना दूसरे राज्यों के नियोक्ता द्वारा सीधे नियोजित किया जा रहा है। यह प्रस्ताव सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों के प्रावधानों के कवरेज को कई गुना बढ़ा देगा।

 

सभी क्षेत्रों में व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों के दायरे को बढ़ाने के अलावा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर संहिता की अन्य मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :

 

*संहिता में व्यापक विधायी रूपरेखा का प्रावाधान है, जो विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुसार नियम-विनियम बनाने, मानक तय करने और उप-विधि बनाने में सहायक है। इसके परिणामस्वरूप संहिता में अनुच्छेद की संख्या 622 से घटकर 134 हो गई है। इससे कानून सरल होगा और उसमें उभरती टेक्नॉलाजी के अनुरूप परिवर्तन की गुंजाइश होगी और कानून गतिशील होगा।


*विधेयक में अनेक पंजीकरणों के बदले एक प्रतिष्ठान के लिए एक पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है। अभी 13 श्रम कानूनों में से 6 में प्रतिष्ठान के लिए अगल से पंजीकरण की व्यवस्था है। इससे एक केंद्रीकृत डाटा बेस बनेगा और व्यावसायिक सुगमता को प्रोत्साहन मिलेगा। अभी 6 कानूनों के अंतर्गत अलग पंजीकरण की आवश्यकता पड़ती है।


*नियोक्ता निर्धारित प्रतिष्ठान के निर्धारित आयु के ऊपर के कर्मियों के लिए निर्धारित स्वास्थ्य जांच की वार्षिक निःशुल्क सुविधा देंगे। इससे उत्पादता बढ़ेगी क्योंकि बीमारी का पता लगाना संभव हो सकेगा। स्वास्थ्य परिक्षण के लिए एक निश्चित उम्र के कर्मचारियों की कवरेज से समावेश को प्रोत्साहन मिलेगा।


*संहिता में पहली बार प्रतिष्ठान के प्रत्येक कर्मचारी को सरकार द्वारा तय न्यूनतम सूचना के साथ वैधानकि प्रावधान किया गया है। नियुक्ति पत्र के प्रावधान से रोजागर का औपचारिकरण होगा और कर्मचारी का शोषण रूकेगा।


*पांच श्रम कानूनों के अंतर्गत अनेक समितियों का स्थान एक राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा तथा स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड लेगा। राष्ट्रीय बोर्ड स्वरूप में त्रिपक्षीय होगा और इसमें मजदूर यूनियनों, नियोक्ता संगठनों तथा राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व होगा। इससे विभिन्न कानूनों में निकायों / समितियों की संख्या कम होगी और सरल तथा समन्वित नीति बनेगी।


*सरकार द्वारा किसी भी श्रेणी के प्रतिष्ठान में द्विपक्षीय सुरक्षा समिति बनाने का प्रावधान होगा। इससे प्रतिष्ठान में सुरक्षा और स्वस्थ्य कामकाजी माहौल को प्रोत्साहन मिलेगा। समिति के भागीदारी मूलक स्वरूप से प्रबंधन द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करने में प्रोत्साहन मिलेगा।


*मृत्यु या किसी व्यक्ति के गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में नियोक्ता के कर्तव्यों से संबंधित प्रावधानों के उल्लंधन पर दंड का एक हिस्सा अदालत द्वारा पीड़ित या पीड़ित व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी को दिया जाएगा। दंड के इस हिस्से से घायल कर्मी को सहायता मिलेगी या मृतक के परिवार को वित्तीय सहायता मिलेगी।


*वर्तमान में विभिन्न कानूनों में क्रेच, कैंटीन, प्रथम चिकित्सा सहायता, कल्याण अधिकारी जैसे विभिन्न प्रावधानों को लागू करने की अलग–अलग शर्तें हैं। प्रस्तावित संहिता में सभी प्रतिष्ठानों के लिए जहां तक व्यावहारिक रूप से संभव है उनके कर्मचारियों के कल्याण के लिए एकरूप प्रावधान होंगे।


*निर्धारित प्रतिष्ठानों के मामले में सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा, अवकाश, काम के घंटे या अन्य शर्त के अधीन महिलाओं को शाम 7 बजे से आगे और सुबह 6 बजे से पहले काम करने के लिए अनुमति लेनी होगी। लेकिन रात्रि कार्य के लिए उनकी सहमति लेने के बाद ही ऐसा होगा। इससे लैंगिग समानता को प्रोत्साहन मिलेगा और यह अंतर्राष्ट्रीय संघटनो सहित विभिन्न मंचों की मांग के अनुरूप है। रात्रि कार्य के लिए महिला कर्मचारी की सहमति और इच्छा की शर्त से प्रावधान का दुरूपयोग टलेगा।

 

*13 श्रम कानूनों में अनेक लाइसेंसों और रिटर्न के स्थान पर एक लाइसेंस तथा एक रिटर्न के प्रावधान से समय तथा संसाधनों और प्रतिष्ठान के प्रयासों में बचत होगी।

 

संहिता की उपरोक्त विशेषताओं से यह स्पष्ट है कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थितियों में श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों के लिए विशिष्ट नई पहलें की गई हैं। संहिता वर्तमान क्षेत्र विशेष दृष्टिकोण की तुलना में कानून के दायरे को बढ़ाकर कार्यबल के स्वास्थ्य, सुरक्षा कल्याण और बेहतर कार्य स्थितियों को प्रोत्साहित करती है। इसके अलावा संहिता परिपालन व्यवस्था को एक लाइसेंस, एक पंजीकरण तथा एक रिटर्न के साथ विवेक संगत बनाती है जिससे नियोक्ता के संसाधनों और प्रयासों की बचत होगी। इस तरह संहिता श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच संतुलन कायम करती है और यह दोनों के लिए लाभकारी है।

 

13 केंद्रीय श्रम अधिनियमों के प्रासंगिक प्रावधानों को मिलाकर, उन्हें सरल और युक्तिसंगत बनाने के बाद संहिता का मसौदा तैयार किया गया है। इनमें फैक्ट्री कानून, 1948; खदान कानून, 1952; डॉक वर्कर्स (सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण अधिनियम, 1986), भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996, प्लांट श्रमिक कानून, 1951; अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970; अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979; श्रमजीवी पत्रकार और अन्य न्यूज़ पेपर एम्प्लाइज (सेवा की शर्तें और प्रावधान) अधिनियम, 1955; श्रमजीवी पत्रकार (मजदूरी की दरों का निर्धारण) अधिनियम, 1958; मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट, 1961; बिक्री संवर्धन कर्मचारी (सेवा की स्थिति) अधिनियम, 1976; बीड़ी और सिगार श्रमिक (रोजगार की स्थितियां) अधिनियम, 1966 और द सिने वर्कर्स और सिनेमा थियेटर वर्कर्स एक्ट, 1981 शामिल हैं। संहिता लागू होने के बाद, संहिता में शामिल किए जा रहे सभी अधिनियमों को निरस्त कर दिया जाएगा।