बाबा कल्‍याणी की अध्‍यक्षता वाली समिति ने सेज नीति पर अपनी रिपोर्ट वाणिज्‍य मंत्री को सौंपी(The Baba Kalyani headed committee submitted SEZ policy report to Commerce Minister)

Posted on November 19th, 2018 | Create PDF File

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भारत की वर्तमान सेज (विशेष आर्थिक जोन) नीति के अध्‍ययन के लिए वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बाबा कल्‍याणी की अध्‍यक्षता में गठित की गई समिति ने अपनी रिपोर्ट आज नई दिल्‍ली में केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु को सौंप दी।

 

समिति को सेज नीति का आकलन करने एवं इसे विश्‍व व्‍यापार संगठन (डब्‍ल्‍यूटीओ) के मानकों के अनुरूप बनाने, सेज की खाली पड़ी भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्‍चित करने के उपाय सुझाने, अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों के आधार पर सेज नीति में आवश्‍यक बदलाव सुझाने और तटीय आर्थिक जोन, दिल्‍ली-मुंबई आर्थिक कॉरिडोर, राष्‍ट्रीय औद्योगिक विनिर्माण जोन एवं टेक्‍सटाइल पार्कों जैसी अन्‍य सरकारी योजनाओं के साथ सेज नीति का विलय करने के बारे में सुझाव देने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी।

 

वाणिज्‍य मंत्री को रिपोर्ट सौंपते हुए भारत फोर्ज लिमिटेड के चेयरमैन श्री बाबा कल्‍याणी ने कहा कि यदि भारत को वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था में तब्‍दील होना है तो विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्‍पर्धी क्षमता के साथ-साथ सेवाओं से जुड़े मौजूदा परिवेश में भी बुनियादी बदलाव सुनिश्‍चित करने होंगे। उन्‍होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और इससे जुड़ी सेवाओं के क्षेत्र में मिली उल्‍लेखनीय कामयाबी को स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, वित्‍तीय सेवाओं, कानूनी,मरम्‍मत और डिजाइन सेवाओं जैसे अन्‍य सेवा क्षेत्रों (सेक्‍टर) में भी सुनिश्‍चित करना होगा।  

 

भारत सरकार ने अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ के तहत वर्ष 2022 तक 100 मिलियन रोजगारों को सृजित करने और सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की 25 प्रतिशत हिस्‍सेदारी सुनिश्‍चित करने का लक्ष्‍य रखा है। इसके अलावा, सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े मूल्‍य को वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 1.2 ट्रिलियन डॉलर करने की योजना बनाई है। वैसे तो ये भारत को विकास की पटरी पर निरंतर अग्रसर रखने की महत्‍वाकांक्षी योजनाएं हैं, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र में विकास की गति तेज करने के लिए मौजूदा नीतिगत रूपरेखाओं का आकलन करने की जरूरत है। इसके साथ ही संबंधित नीति को डब्‍ल्‍यूटीओ के प्रासंगिक नियम-कायदों के अनुरूप बनाने की भी आवश्‍यकता है।

 

श्री सुरेश प्रभु ने समिति के साथ अपने संवाद के दौरान कहा कि समिति के सुझाव अत्‍यंत रचनात्‍मक हैं और वाणिज्‍य मंत्रालय अति शीघ्र वित्‍त मंत्रालय एवं अन्‍य मंत्रालयों के साथ औपचारिक सलाह-मशविरा शुरू कर देगा, ताकि विलम्‍ब हुए बिना ही समिति की सिफारिशों पर अमल संभव हो सके।