आधिकारिक बुलेटिन -2 (8-Aug-2019)
‘फेम’ के दूसरे चरण के तहत 5595 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी
(Sanction for 5595 electric Buses under Fame Phase-II)

Posted on August 9th, 2019 | Create PDF File

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भारी उद्योग विभाग ने ‘फेम इंडिया स्‍कीम’ के दूसरे चरण के तहत शहर के अन्‍दर परिचालन के साथ-साथ एक शहर से दूसरे शहर के बीच परिचालन के उद्देश्‍य से 64 शहरों, राज्‍य सरकारों के निकायों और राज्‍य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) के लिए 5595 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य सार्वजनिक परिवहन में स्‍वच्‍छ ईंधन वाली गतिशीलता को और ज्‍यादा बढ़ावा देना है।

 

भारी उद्योग विभाग ने 10 लाख से ज्‍यादा की आबादी वाले शहरों, स्‍मार्ट सिटी, राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों और विशेष श्रेणी वाले राज्‍यों के शहरों से अभि‍रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे, ताकि वे परिचालन लागत के आधार पर इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती अथवा इस्‍तेमाल के लिए अपने-अपने प्रस्‍ताव पेश कर सकें।

 

14,988 इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती अथवा उपयोग के लिए 26 राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों से 86 प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुए थे। अभिरुचि पत्र के अनुसार इन प्रस्‍तावों पर गौर करने के पश्‍चात परियोजना कार्यान्‍वयन एवं मंजूरी समिति (पीआईएससी) से परामर्श के बाद सरकार ने एक शहर से दूसरे शहर तक परिचालन के उद्देश्‍य से 64 शहरों/राज्‍य परिवहन निगमों के लिए 5095 इलेक्ट्रिक बसों, शहर के अन्‍दर परिचालन के लिए 400 इलेक्ट्रिक बसों और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी हेतु दिल्‍ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के लिए 100 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी।

 

परिचालन लागत के आधार पर स्‍वीकृत इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती अथवा इस्‍तेमाल सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से प्रत्‍येक चयनित शहर/राज्‍य परिवहन उपक्रम के लिए खरीद प्रक्रिया को समयबद्ध ढंग से शुरू करने की जरूरत है। अभिरुचि पत्र के अनुसार वे बसें फेम इंडिया स्‍कीम के दूसरे चरण के तहत वित्‍त पोषण के योग्‍य मानी जाएंगी, जो आवश्‍यक स्‍थानीयकरण स्‍तर और फेम इंडिया स्‍कीम के दूसरे चरण के तहत अधिसूचित तकनीकी अर्हता पर खरी उतरेंगी।

 

ये बसें अपनी अनुबंध अवधि के दौरान लगभग 4 अरब किलोमीटर की दूरी तय करेंगी और इन बसों के द्वारा अनुबंध अवधि के दौरान कुल मिलाकर तकरीबन 1.2 अरब लीटर ईंधन की बचत होने की आशा है। इसकी बदौलत 2.6 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्‍साइड (सीओ2) के उत्‍सर्जन से बचा जा सकेगा।

 

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