आधिकारिक बुलेटिन -1 (19-Aug-2019)^सरकार ने सूचीबद्ध कंपनियों, एनबीएफसी और एचएफसी के लिए डिबेंचर विमोचन रिजर्व आवश्यकता हटाई^(Government removes Debenture Redemption Reserve requirement for Listed Companies, NBFCs and HFCs)
Posted on August 19th, 2019
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सूचीबद्ध कंपनियों, एनबीएफसी और एचएफसी के लिए डिबेंचर विमोचन रिजर्व आवश्यकता को हटाते हुए कंपनी (शेयर पूंजी एवं डिबेंचर) नियमों में संशोधन कर दिए हैं।
यह निर्णय केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए की गई बजट घोषणाओं के साथ-साथ सरकार के 100 दिवसीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में देश की कंपनियों को ‘कारोबार में और सुगमता’ प्रदान करने संबंधी सरकार के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
इन संशोधनों के जरिए डिबेंचर विमोचन रिजर्व (डीआरआर) के सृजन से संबंधित प्रावधानों को निम्नलिखित उद्देश्य के साथ संशोधित किया गया है:
ए. इसका उद्देश्य सार्वजनिक निर्गम और प्राइवेट प्लेसमेंट दोनों ही के लिए सूचीबद्ध कंपनियों, आरबीआई में पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कपंनियों (एनबीएफसी) और राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) में पंजीकृत आवास वित्त कंपनियों के संबंध में बकाया डिबेंचरों के कुल मूल्य के 25 प्रतिशत के डीआरआर के सृजन की आवश्यकता को हटाना है।
बी. इसका उद्देश्य गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डीआरआर को 25 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से घटाकर बकाया डिबेंचरों के 10 प्रतिशत पर लाना है।
अब तक सूचीबद्ध कपंनियों को सार्वजनिक निर्गम के साथ-साथ डिबेंचरों के प्राइवेट प्लेसमेंट के लिए भी डीआरआर सृजित करना पड़ता था, जबकि एनबीएफसी और एचएफसी को केवल तभी डीआरआर सृजित करना पड़ता था जब वे डिबेंचरों के सार्वजनिक निर्गम (पब्लिक इश्यू) का विकल्प अपनाती थीं। इसका उद्देश्य जहां एक ओर एनबीएफसी, एचएफसी और सूचीबद्ध कपंनियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है, वहीं दूसरी ओर इनके और बैंकिंग कंपनियों तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के बीच भी समान अवसर सुनिश्चित करना है, जिन्हें पहले ही डीआरआर की अनिवार्यता से मुक्त कर दिया गया है।
सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है, ताकि डिबेंचरों के निर्गम के जरिए कंपनियों द्वारा जुटाई जाने वाली पूंजी की लागत कम हो सके। यही नहीं, इस कदम से बांड बाजार का और ज्यादा विस्तार होने की आशा है।
इन नियमों के तहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए तो डीआरआर संबंधी आवश्यकता को बरकरार रखा गया है, जबकि इस तरह की कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत डीआरआर को घटाकर 10 प्रतिशत डीआरआर कर दिया गया है, ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके।
आधिकारिक बुलेटिन -1 (19-Aug-2019)सरकार ने सूचीबद्ध कंपनियों, एनबीएफसी और एचएफसी के लिए डिबेंचर विमोचन रिजर्व आवश्यकता हटाई(Government removes Debenture Redemption Reserve requirement for Listed Companies, NBFCs and HFCs)
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सूचीबद्ध कंपनियों, एनबीएफसी और एचएफसी के लिए डिबेंचर विमोचन रिजर्व आवश्यकता को हटाते हुए कंपनी (शेयर पूंजी एवं डिबेंचर) नियमों में संशोधन कर दिए हैं।
यह निर्णय केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए की गई बजट घोषणाओं के साथ-साथ सरकार के 100 दिवसीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में देश की कंपनियों को ‘कारोबार में और सुगमता’ प्रदान करने संबंधी सरकार के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
इन संशोधनों के जरिए डिबेंचर विमोचन रिजर्व (डीआरआर) के सृजन से संबंधित प्रावधानों को निम्नलिखित उद्देश्य के साथ संशोधित किया गया है:
ए. इसका उद्देश्य सार्वजनिक निर्गम और प्राइवेट प्लेसमेंट दोनों ही के लिए सूचीबद्ध कंपनियों, आरबीआई में पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कपंनियों (एनबीएफसी) और राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) में पंजीकृत आवास वित्त कंपनियों के संबंध में बकाया डिबेंचरों के कुल मूल्य के 25 प्रतिशत के डीआरआर के सृजन की आवश्यकता को हटाना है।
बी. इसका उद्देश्य गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डीआरआर को 25 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से घटाकर बकाया डिबेंचरों के 10 प्रतिशत पर लाना है।
अब तक सूचीबद्ध कपंनियों को सार्वजनिक निर्गम के साथ-साथ डिबेंचरों के प्राइवेट प्लेसमेंट के लिए भी डीआरआर सृजित करना पड़ता था, जबकि एनबीएफसी और एचएफसी को केवल तभी डीआरआर सृजित करना पड़ता था जब वे डिबेंचरों के सार्वजनिक निर्गम (पब्लिक इश्यू) का विकल्प अपनाती थीं। इसका उद्देश्य जहां एक ओर एनबीएफसी, एचएफसी और सूचीबद्ध कपंनियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है, वहीं दूसरी ओर इनके और बैंकिंग कंपनियों तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के बीच भी समान अवसर सुनिश्चित करना है, जिन्हें पहले ही डीआरआर की अनिवार्यता से मुक्त कर दिया गया है।
सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है, ताकि डिबेंचरों के निर्गम के जरिए कंपनियों द्वारा जुटाई जाने वाली पूंजी की लागत कम हो सके। यही नहीं, इस कदम से बांड बाजार का और ज्यादा विस्तार होने की आशा है।
इन नियमों के तहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए तो डीआरआर संबंधी आवश्यकता को बरकरार रखा गया है, जबकि इस तरह की कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत डीआरआर को घटाकर 10 प्रतिशत डीआरआर कर दिया गया है, ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके।