आधिकारिक बुलेटिन -2 (3-Nov-2019)
ब्रह्मपुत्र पर कंटेनर कार्गो अबतक की पहली आवाजाही (राष्ट्रीय जलमार्ग -2)
(First ever movement of container cargo on Brahmaputra (National Waterway -2))

Posted on November 3rd, 2019 | Create PDF File

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पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के साथ संपर्क में सुधार पर सरकार के फोकस के अनुरूप, एक ऐतिहासिक कंटेनर कार्गो की खेप हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स (एचडीसी) से अंतर्देशीय जलमार्ग पर भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) टर्मिनल के लिए 4 नवंबर, 2019 को गुवाहाटी के पांडु में रवाना होगी।

 

सचिव (नौपरिवहन) श्री गोपाल कृष्ण पेट्रोरसायन, खाद्य तेल और पेय पदार्थ आदि के 53 टीईयू (कंटेनर) लेकर चलने वाले अंतर्देशीय पोत एमवी माहेश्वरी को झंडी दिखाएंगे। 12-15 दिनों की यह जलयात्रा राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी), राष्ट्रीय जलमार्ग-97 (सुंदरबन), भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्ग और राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र नदी) के बरास्ते एक एकीकृत आईडब्ल्यूटी आवाजाही होगी। इस अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) मार्ग पर यह पहला कंटेनरीकृत कार्गो आवाजाही है। इस 1425 किलोमीटर लंबी आवाजाही से इन विविध जलमार्गों का उपयोग करके आईडब्ल्यूटी मोड की तकनीकी और वाणिज्यिक व्यवहार्यता स्थापित किये जाने की उम्मीद है, साथ ही इस भू-भाग पर अग्रगामी आवाजाहियों की एक श्रृंखला की योजना भी बनाई गई है। इस नवीनतम आईडब्ल्यूटी आवाजाही का उद्देश्य कच्चे माल और तैयार माल के परिवहन के लिए एक वैकल्पिक मार्ग खोलने के द्वारा उत्तर पूर्व क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा प्रदान करना है।

 

आईडब्ल्यूटी को बढ़ावा देने के सरकार के विजन को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली) पर कंटेनरीकृत कार्गो की पहली खेप 12 नवंबर 2018 को प्रधानमंत्री द्वारा प्राप्त की गई जब उन्होंने वाराणसी में मल्टी मॉडल टर्मिनल को राष्ट्र को समर्पित किया। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर आईडब्ल्यूटी द्वारा जल मार्ग विकास परियोजना के तहत गंगा की नेविगेशन क्षमता में संवर्धन में अच्छी वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर यातायात 2017-18 के 5.48 मिलियन टन से बढ़कर 2018-19 में 6.79 मिलियन टन तक पहुंच गया है। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर 6.79 मिलियन टन के कुल ट्रैफ़िक में से, लगभग 3.15 मिलियन टन भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्गों का उपयोग करके भारत और बांग्लादेश के बीच एक्जिम व्यापार है।

 

भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार (पीआईडब्ल्यूटीटी) पर नयाचार दोनों देशों के पोतों द्वारा दोनों देशों के बीच माल की आवाजाही हेतु अपने जलमार्ग के उपयोग के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यवस्था की अनुमति देता है। आईबीपी मार्ग राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर कोलकाता (भारत) से राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (नदी ब्रह्मपुत्र) पर सिलघाट (असम) और करीमगंज (असम) पर राष्ट्रीय जलमार्ग-16 (रिवर बराक) पर फैला हुआ है। बांग्लादेश के अंतर्देशीय जलमार्गों के आईबीपी मार्ग पर दो भू-भागों नामत:सिराजगंज-दाइखवा और आशूगंज-जाकिगंज मार्ग का विकास कुल 305.84 करोड़ रुपये की लागत से 80:20 लागत साझाकरण के आधार पर (भारत द्वारा 80% और बांग्लादेश द्वारा 20% वहन किया जा रहा है) किया जा रहा है। । इन दोनों खंडों के विकास से आईबीपी मार्ग के बरास्ते जलमार्ग के जरिये उत्तर पूर्व भारत को निर्बाध नेविगेशन प्रदान किये जाने की उम्मीद है। अपेक्षित गहराई हासिल करने और बनाए रखने के लिए दो हिस्सों पर ड्रेजिंग के अनुबंध दिए गए हैं।

 

उपरोक्त के अलावा, भारत और बांग्लादेश ने हाल के दिनों में जलमार्गों के उपयोग को बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। इनमें भारत में कोलाघाट में पीआईडब्ल्यूटी एंड टी, धुलियान, माया, सोनमुरा और बांग्लादेश में चिलमारी, राजशाही, सुल्तानगंज, दौखंडी में अतिरिक्त पोर्ट ऑफ कॉल की घोषणा पर समझौता शामिल है। दोनों देशों ने निम्नलिखित पर भी सहमत जताई है:-

 

*करीमगंज (असम, भारत) के विस्तारित पोर्ट ऑफ कॉल के रूप में बदरपुर और बांग्लादेश में आशूगंज का घोरासल

*कोलकाता, भारत के विस्तारित पोर्ट ऑफ कॉल के रूप में ट्रिबेनी और बांग्लादेश में पनगाँव का मुक्तारपुर

*प्रोटोकॉल रूट नंबर 5 और 6 यानी राजशाही-गोडागरी- धुलियान को अरिचा (बांग्लादेश) तक विस्तारित किया जाएगा।

*नये रूट नम्बर 9 और 10 के रूप में गुमटी नदी पर दाउदखंडी-सोनमुरा खंड का समावेश।

 

बांग्लादेश में चटगांव और मोंगला बंदरगाहों के जरिये भारत से माल की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए एक एसओपी पर दोनों देशों द्वारा 5 अक्टूबर 2019 को हस्ताक्षर किए गए हैं। इन दोनों बंदरगाहों की निकटता से संभारतंत्र लागत में कमी आएगी और उत्तर पूर्व राज्यों की व्यापार प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।