आधिकारिक बुलेटिन -3 (3-Mar-2019)
निर्माण प्रौद्योगिकी भारत - 2019 - एक्सपो-सह-सम्मेलन - वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चुनौती और भारत(Construction Technology India – 2019 – Expo-Cum-Conference – Global Housing Technology Challenge – India)

Posted on March 3rd, 2019 | Create PDF File

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आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि सीटीआई-2019 में 32 देशों के 2500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज एक्सपो-सह-सम्मेलन के आयोजन में आज नई दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए, श्री मिश्र ने बताया कि लाइटहाउस परियोजनाओं के लिए छह शहरों की पहचान की गई है, जो "लाइव प्रयोगशालाओं" के रूप में काम करेंगे। ये हैं 1. राजकोट (गुजरात) 2. रांची (झारखंड) 3. इंदौर (मध्य प्रदेश) 4. चेन्नई (तमिलनाडु) 5. अगरतला (त्रिपुरा) और 6. लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) द्वारा अमेरिका, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और इटली की तकनीकों सहित 25 देशों की 32 नई प्रौद्योगिकियों के साथ 54 प्रमाणित प्रौद्योगिकी प्रदाताओं का मूल्यांकन किया गया था। विजेता राज्यों सहित, अन्य राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में भी प्रौद्योगिकी अपनाये जाने की उम्मीद है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय  में अन्य मिशन और निर्माण से संबंधित अन्य मंत्रालय भी सीटीआई-2019 में प्रदर्शित आधुनिक और नवीन तकनीकों को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। जून, 2019 के लिए लाइटहाउस प्रोजेक्ट्स की शुरूआत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और आशा- इंडिया उन संभावित प्रौद्योगिकी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगा, जो उन्हें बाजार के अनुकूल और मापनयोग्य बनाने के लिए मेंटरशिप, प्रशिक्षण कार्यशालाएं और त्वरण मार्गदर्शन प्रदान कर रही हैं।

 

श्री मिश्र ने बताया कि 55 पोस्ट-प्रोटोटाइप और 23 पूर्व-प्रोटोटाइप के साथ देश भर के 78 संभावित प्रौद्योगिकी प्रदाताओं ने विशेषज्ञ जूरी को अपनी प्रस्तुतियां दीं, जिसमें मुंबई से रोबोटिक मोबाइल कंस्ट्रक्शन, बैंगलोर से निर्माण के क्षेत्र में 3डी प्रिंटिंग, हेम्पकार्ट कंस्ट्रक्शन सिस्टम से प्रस्तुतियां शामिल थीं। अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सलेरेटर   विशेषज्ञ जूरी द्वारा चयनित किये जाने वाले संभावित विचारों / उत्पादों / तकनीकों को सहायता प्रदान की जाएगी और इसे मार्केट-रेडी बनाने में मदद की जाएगी।

 

कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी इंडिया (सीटीआई) एक द्विवार्षिक कार्यक्रम होगा। एनएआरईडीसीओ   और सीआरईडीएआई इस आयोजन में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का सहयोग ले रहे हैं। यह कार्यक्रम निर्माण क्षेत्र के लिए अंतरराष्ट्रीय इवेंट कैलेंडर में एक नियमित स्थान बनाएगा, जहां दुनिया भर में इस क्षेत्र की अग्रणी संस्थाएं अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगी।

 

सम्मेलन में चार पूर्ण सत्र, छह तकनीकी सत्र शामिल थे, जिनमें एक विश्व कैफे और तीन मास्टर कक्षाएं शामिल थीं। सत्र में चर्चा के विषयों में शहरी चुनौतियों को दूर करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के साथ एक शहरी पुनर्जागरण लाने के लिए सुधार, निर्माण क्षेत्र में किफायती आवास, कौशल और मानव संसाधनों की सुनिश्चितता, निर्माण क्षेत्र में इको-सिस्टम को सक्षम बनाने, निर्माण में नवाचारों को सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं। मास्टर कक्षाएं संभावित प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के लिए निर्माण के क्षेत्र में  विपणन व्यवधान, प्रमाणन और स्थिरता मैट्रिक्स के आसपास के विषयों को शामिल करती हैं।

 

इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप एस पुरी की उपस्थिति में किया गया था। जीएचटीसी प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का परिणाम है। उन्होंने सभी सरकारी गतिविधियों में एक प्रमुख इंजन के रूप में "न्यू इंडिया" के निर्माण में अपनी दृष्टि को स्पष्ट किया। अपने संबोधन में उन्होंने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में भविष्य की परियोजनाओं में सभी आपदा-रोधी सुविधाओं को शामिल करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मंत्रालय इस संबंध में कई गतिविधियाँ शुरू करने जा रहा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मंत्रालयों को वलनेरेबिलिटी एटलस के माध्यम से सामने आए पहलुओं को शामिल करने और उन्हें अपने सभी अनुबंध शर्तों में शामिल करने के महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा। सीआरईडीएआई और एनएआरईडीसीओ आदि के माध्यम से निजी क्षेत्र के संगठनों को अपनी परियोजनाओं में आपदा-रोधी सुविधाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

 

प्रधानमंत्री ने अगले वर्ष, अप्रैल-2019 से मार्च, 2020 तक "निर्माण प्रौद्योगिकी वर्ष" घोषित किया। इस जीएचटीसी-इंडिया के तहत शुरू की गई गतिविधियों का उपयोग करने के लिए कार्यान्वयन की गतिविधियों की एक श्रृंखला की योजना बनाई जा रही है और निर्माण क्षेत्र को अधिक से अधिक ऊंचाई तक पहुंचाने का विचार किया जा रहा है।   कुछ गतिविधियोँ में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) भी शामिल होगा, ताकि युवा पीढ़ी तकनीकी प्रगति से परिचित हो।