डॉ जितेन्द्र सिंह ने ‘परमाणु विद्युत-स्वच्छ और सतत आपूर्ति ऊर्जा की ओर’ विषय पर 10वें परमाणु ऊर्जा सम्मेलन का उद्घाटन किया

Posted on October 25th, 2018 | Create PDF File

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केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि भारत ने परमाणु कार्यक्रम का उपयोग शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए करने के देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ होमी जे भाभा के विजन को साबित कर दिखाया है। डॉ जितेन्द्र सिंह आज नई दिल्ली में 10वें परमाणु ऊर्जा सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने परमाणु ऊर्जा के गैर विद्युत उपयोगों पर फोकस किया है। इसी सिद्धांत को अंतरिक्ष विभाग जैसे अन्य विभागों  में प्रोत्साहित किया गया है। अंतरिक्ष विभाग में सामान्य जन के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

डॉ सिंह ने बताया कि मंत्रिमंडल ने भारत के स्वदेशी दाबित भारी पानी रियेक्टरों (पीएचडब्ल्यूआर) की 10 इकाईयों के निर्माण को स्वीकृति दी है। उन्होंने कहा कि भारत के घरेलू ऊर्जा कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने तथा देश के परमाणु उद्योग को प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। उन्होंने अन्य पहलों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने परमाणु ऊर्जा (संशोधन) विधेयक, 2015 के माध्यम से परमाणु अधिनियम, 1962 के अनुच्छेदों में संशोधन किया है। इससे भारत के परमाणु विद्युत निगम (एनपीसीआईएल) को परमाणु विद्युत कार्यक्रम के विस्तार में अतिरिक्त धन की आवश्यकता पूरी करने के अन्य सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के साथ संयुक्त उद्यम कम्पनी बनाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि पहले परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अधिकतर दक्षिण भारत में सीमित था, लेकिन अब हरियाणा में गोरखपुर में परमाणु बिजली घर स्थापित किये जाने की प्रक्रिया में हैं। इससे देश के अन्य भागों में परमाणु कार्यक्रम के विस्तार का संकेत मिलता है।

 

परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ के एन व्यास ने कहा कि इस तरह के सम्मेलनों के आयोजन से परमाणु ऊर्जा के लाभों तथा उससे संबंधित भय के बारे में समझदारी बढ़ाने में लाभ मिलता है। उन्होंने विद्युत और गैर विद्युत उपयोगों के लिए परमाणु ऊर्जा के लाभों के बारे में बताया। गैर विद्युत उपयोगों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों तथा आईसीएआर के सहयोग से विकसित परमाणु कृषि एक उदाहरण है। अन्य उदाहरणों में परमाणु औषधि जल स्वच्छता के लिए कम लागत का समाधान शहरी कचरा प्रबंधन तथा खाद्य संरक्षण कार्यक्रम हैं। उन्होंने बताया कि कैगा परमाणु विद्युत स्टेशन (केएपीएस) ने दाबित भारी पानी रियेक्टरों के बाधारहित ढंग से 895 दिन काम करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है।

 

सम्मेलन को संबोधित करते हुए परमाणु ऊर्जा समूह, भारतीय ऊर्जा फोरम तथा होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान के कुलपति और परमाणु ऊर्जा  आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ श्रीकुमार बनर्जी ने कहा कि परमाणु ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोत एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि अभी भारत में परमाणु ऊर्जा का हिस्सा 3 प्रतिशत है जबकि वैश्विक औसत 10 प्रतिशत का है। उन्होंने कहा कि इसमें सुधार लाने की आवश्यकता है।