आधिकारिक बुलेटिन - 2 (2-Dec-2020)
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की विश्‍व मलेरिया रिपोर्ट 2020; भारत ने मलेरिया के मामलों को कम करने में प्रभावी सफलता हासिल की
(WHO World Malaria Report 2020: India continues to make Impressive Gains in reduction of Malaria Burden)

Posted on December 2nd, 2020 | Create PDF File

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विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा जारी विश्‍व मलेरिया रिपोर्ट 2020 का कहना है कि भारत ने मलेरिया के मामलों में कमी लाने के काम में प्रभावी प्रगति की है। यह रिपोर्ट गणितीय अनुमानों के आधार पर दुनियां भर में मलेरिया के अनुमानित मामलों के बारे में आंकडे जारी करती है। रिपोर्ट के अनुसार भारत इस बीमारी से प्रभवित वह अकेला देश है जहां 2018 के मुकाबले 2019 में इस बीमारी के मामलों में 17.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

 

भारत ने साल 2000 (20,31,790 मामले और 932 मौतें) और 2019(3,38,494 मामले और 77 मौतें) के बीच मलेरिया के रोगियों की संख्‍या में 83.34 प्रतिशत की कमी और इस रोग से होने वाली मौतों के मामलों में 92 प्रतिशत की गिरावट लाने में सफलता हासिल की है और इस तरह सहस्राब्दि विकास लक्ष्‍यों में से छठे लक्ष्‍य (वर्ष 2000से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 50-75 प्रतिशत की गिरावट लाना)को हासिल कर लिया है।

 

 

देश में मलेरिया उन्मूलन प्रयास 2015 में शुरू हुए थे और 2016 में स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन(एनएफएमई) की शुरुआत के बाद इनमें तेजी आई स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने जुलाई 2017 में मलेरिया उन्‍मूलन के लिए एक राष्‍ट्रीय रणनीतिक योजना (2017 से 2022) की शुरुआत की जिसमें अगले पांच साल के लिए रणनीति तैयार की गई।

 

 

 

भारत सरकार द्वारा सूक्ष्मदर्शी यंत्र उपलब्‍ध कराने के लिए किए गए प्रयासों तथा काफी लंबे समय तक टिकी रहने वाली मच्‍छरदानियों (एलएलआईएन) के वितरण के कारण पूर्वोत्तर के 7 राज्‍यों, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्‍य प्रदेश और ओडिशा जैसे मलेरिया से बहुत अधिक प्रभावित राज्‍यों में इस बीमारी के प्रसार में पर्याप्‍त कमी लाई जा सकी। इन राज्‍यों में 2018-19 के दौरान करीब पांच करोड़ एलएलआईएन मच्‍छरदानियां वितरित की गईं और मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान अभी तक 2.25 करोड़ मच्‍छरदानियां वितरित की जा चुकी हैं। इसके अतिरिक्‍त 2.52 करोड़ अतिरिक्‍त एलएलआईएन मच्‍छरदानियां की खरीद की जा रही है। इन एलएलआईएन मच्‍छरदानियों का इस्‍तेमाल लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर शुरू किए जाने के बाद मलेरिया के मामलों में देश भर में भारी गिरावट आई है।

 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन में मलेरिया के अधिक जोखिम वाले 11 देशों में उच्‍च जोखिम और उच्‍च प्रभाव (एचबीएचआई) पहल शुरू की है। इनमें भारत भी शामिल है। इस पहल को पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्‍य प्रदेश – इन चार राज्‍यों में जुलाई, 2019 को शुरू किया गया। इसमें प्रगति का पैमाना ‘उच्‍च जोखिम से उच्‍च प्रभाव’ तक जाना रखा गया। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और आरबीएम की भागीदारी में मलेरिया उन्‍मूलन पहल काअसर भारत में काफी हद तक दिखाई पड़ा और वहां पिछले 2 साल में बीमारी के मामलों में 18 प्रतिशत और इससे होने वाली मौतों को मामले में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

 

मौजूदा आंकड़े और चित्र मलेरिया के मामलों में पिछले दो दशकों में आई स्‍पष्‍ट गिरावट को दर्शाते हैं। केन्‍द्र सरकार के इस दिशा में किए जा रहे रणनीतिक प्रयासों के चलते 2030 तक मलेरिया के पूर्ण उन्‍मूलन के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना संभव दिखाई देता है।