स्वास्थ्य समसामयिकी 1 (12-May-2021)
WHO द्वारा ‘वायरस के भारतीय वेरिएंट’ का ‘वैश्विक रूप से चिंताजनक’ के रूप में वर्गीकरण
(WHO classifies 'Indian variants of the virus' as 'Variants of Concern')

Posted on May 12th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ‘कोरोनावायरस वेरिएंट, B.1.617, को ‘वैश्विक चिंता का विषय’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

 

वायरस का यह ‘प्रकार’ (वेरिएंट) सबसे पहले भारत में देखा गया था। इसलिए इसे ‘भारतीय वेरिएंट’ कहा जा रहा है।

 

इस वायरस वेरिएंट को मई माह में ब्रिटेन के अधिकारियों द्वारा ‘अन्वेषणाधीन वेरिएंट’ (variant under investigation– VUI) के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

 

अभी तक यह वेरिएंट, 17 से अधिक देशों में फैल चुका है।

 

पिछले हफ्ते, भारत सरकार ने कहा है, कि कुछ राज्यों में कोरोनावायरस मामलों की हालिया वृद्धि का कारण “डबल म्यूटेंट वैरिएंट” कहा जाने वाला यह वायरस वैरिएंट हो सकता है

 

वायरस का रूपांतरण किस प्रकार और क्यों होता है?

 

वायरस के प्रकारों में एक या एक से अधिक उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं, जो इस नए रूपांतरित प्रकार को, माजूदा अन्य वायरस वेरिएंटस से अलग करते हैं।

 

दरअसल, वायरस का लक्ष्य एक ऐसे चरण तक पहुंचना होता है जहां वह मनुष्यों के साथ रह सके, क्योंकि उसे जीवित रहने के लिए एक पोषक (Host) की जरूरत होती है।

 

विषाणुजनित RNA में होने वाली त्रुटियों को उत्परिवर्तन कहा जाता है, और इस प्रकार उत्परिवर्तित वायरस को ‘वेरिएंट’ कहा जाता है। एक या कई उत्परिवर्तनों से निर्मित हुए ‘वेरिएंट’ परस्पर एक-दूसरे से भिन्न हो सकते हैं।

 

SARS-CoV-2 वायरस:

 

पूरे विश्व में इस वायरस से बड़े स्तर पर लोग संक्रमित हो चुके हैं, और इसी वजह से यह अधिक तेजी से फ़ैल रहा है।

 

बड़े स्तर पर वायरस के फैलने का तात्पर्य यह है, कि वायरस अपनी प्रतिकृतियां तेजी से बनाने में सक्षम होता है, जिससे इसे रूपांतरण करने में आसानी होती है है।

 

1.617 वेरिएंट के E484Q और L425R, नामक दो ‘उत्परिवर्तनों’ (Mutations) की पहचान की चुकी है।

 

ये दोनों उत्परिवर्तन, कई अन्य कोरोनोवायरस वेरिएंट में अलग-अलग पाए जाते हैं, लेकिन भारत में यह दोनों पहली बार एक साथ देखे गए हैं।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘चिंताजनक वेरिएंट’ :

 

‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ (VOI), दो तरीकों से ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) में परिवर्तित किया जाता है:

 

सबसे पहले, यदि एक तुलनात्मक आकलन के माध्यम से यह प्रदर्शित होता है, कि वेरिएंट, कोविड-19 महामारी विज्ञान में हानिकारक परिवर्तनों अथवा इसकी संक्रमणीयता में वृद्धि, इसकी विषाक्तता में वृद्धि अथवा नैदानिक ​​रोग प्रस्तुति में परिवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों अथवा उपलब्ध नैदानिकी, टीकों, थेरेपी की प्रभावशीलता में कमी से संबद्ध है।

 

फिर इसके बाद, WHO के ‘SARS-CoV-2 वायरस इवोल्यूशन वर्किंग ग्रुप’ के परामर्श से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), द्वारा इस वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।