राष्ट्रीय समसामयिकी 2(1-Feb-2023)विशाखापत्तनम: आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी(Visakhapatnam: New Capital of Andhra Pradesh)
Posted on February 2nd, 2023 | Create PDF File
हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य की नई राजधानी विशाखापत्तनम होगी।
अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद अब तेलंगाना की राजधानी है जिसे दोनों राज्य अस्थायी रूप से राजधानी के रूप में अब तक साझा कर रहे हैं।
वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक पारित किया।
विधेयक का उद्देश्य राज्य सरकार की तीन राजधानियों की योजना को आकार देना है- विशाखापत्तनम में कार्यकारी, अमरावती में विधायी और कुरनूल में न्यायिक राजधानी।
वर्ष 2022 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को राज्य की राजधानी अमरावती का निर्माण तथा विकास करने का निर्देश दिया।
हालाँकि अमरावती को विकसित करने हेतु भूमि देने वाले किसानों द्वारा दायर याचिकाओं के कारण इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय का इंतज़ार है।
विशाखापत्तनम (Visakhapatnam) :
विशाखापत्तनम भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा नगर है।
यह पूर्वी घाट की पहाड़ियों और बंगाल की खाड़ी के तट के बीच, गोदावरी नदी के नदीमुख पर विस्तारित है।
चेन्नई के बाद यह भारत के पूर्वी तट का दूसरा सबसे बड़ा नगर है।
विशाखपटनम भारतीय नौसेना के पूर्वी कमांड का केन्द्र है।
यहाँ जलयान बनाने का कारखाना है।
यह एक प्राकृतिक तथा सुरक्षित समुद्री बन्दरगाह है।
विशाखपटनम के बंदरगाह का महत्त्व काफ़ी बढ़ा है क्योंकि कोरोमंडल तट पर यही एकमात्र संरक्षित बंदरगाह है।
इसमें किए गए सुधारों से अब यह 10.2 मीटर ऊँचे पोतों को भी आश्रय देने की स्थिति में है।
विशाखपटनम मैंगनीज़ व तिलहन का निर्यात करता है और यहाँ एक तेल परिशोधनशाला तथा चिकित्सा संग्रहालय भी है।
सघन वनों से युक्त इसके पूर्वी घाट और सुदूर पूर्वी क्षेत्र गोदावरी व इंद्रावती सहित अनेक नदियों द्वारा अपवाहित होते हैं।
इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है।
विशाखापट्टनम को भारत के पूर्व का गोवा कहा जाता है।
विशाखापट्टनम भारत का एकमात्र ऐसी जगह है, जहां आपको दो बंदरगाह देखने को मिलेंगे और दोनों बंदरगाह काफी मशहूर है।
विशाखापट्टनम में भारत का सबसे पुराना शिपयार्ड, शिपयार्ड हिंदुस्तान लिमिटेड है, जिसे उद्योगपति वालचंद हीराचंद द्वारा बनाया गया था।
शुरुआत में यह सिंधिया शिपयार्ड के रूप था।
1953 में वालचंद हीराचंद की मृत्यु के कुछ साल के बाद भारत सरकार ने इसका राष्ट्रीयकरण किया और फिर यह हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के रूप में फिर जाना जाने लगा।