विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 1(4-Feb-2023)विहंगम ड्रोन तकनीक(Vihangam Drone Technology)
Posted on February 6th, 2023 | Create PDF File
महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL), कोयला मंत्रालय के तहत प्रमुख CPSE (सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज़) ने ड्रोन और ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम के साथ एक वेब-आधारित पोर्टल विहंगम लॉन्च करके कोयला खदानों में ड्रोन तकनीक की शुरुआत की है।
यह पोर्टल एक अधिकृत व्यक्ति को खदान के वास्तविक समय/रियल टाइम ड्रोन वीडियो का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है।
इसमें एक कंट्रोल स्टेशन है जिसकी सहायता से ड्रोन उड़ाया जाता है जिसे पोर्टल के माध्यम से कहीं भी संचालित किया जा सकता है।
यह पायलट परियोजना वर्तमान में तलचर कोलफील्ड्स (ओडिशा) की भुवनेश्वरी और लिंगराज ओपनकास्ट खदानों में चालू है।
खनन प्रक्रिया के डिजिटलाइज़ेशन के लिये खदान की पर्यावरणीय निगरानी और फोटोग्राममेट्रिक मैपिंग के लिये ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अग्निशमन और धूल दमन जैसे कठिन कार्यों को पूरा करने के लिये MCL ने अपने कोयला स्टॉकयार्ड में एक रोबोटिक नोज़ल वॉटर स्प्रेयर भी पेश किया है।
महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) भारत में उत्पादित कुल कोयले में 20% से अधिक का योगदान देती है।
ड्रोन :
ड्रोन मानव रहित विमान (UA) के लिये उपयोग में लाया जाने वाला एक आम शब्द है।
मूल रूप से सैन्य और एयरोस्पेस उद्योगों के लिये विकसित किये गए ड्रोन ने सुरक्षा एवं दक्षता के बढ़ते स्तर के कारण खुद को मुख्यधारा में स्थापित कर लिया है।
एक ड्रोन को दूर से संचालित ( मानव द्वारा नियंत्रित ) किया जा सकता हैै, जिसका अर्थ है कि यह अपनी गति की गणना करने के लिये सेंसर और LIDAR डिटेक्टरों की प्रणाली पर निर्भर है।
ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग :
कृषि :
ड्रोन की मदद से कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का छिड़काव किया जा सकता है।
इसका उपयोग कृषकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों की पहचान के लिये सर्वेक्षण में भी किया जा सकता है।
रक्षा :
ड्रोन सिस्टम को आतंकवादी हमलों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
ड्रोन को राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र प्रणाली में एकीकृत किया जा सकता है।
ड्रोन को युद्ध में तैनात किया जा सकता है, दूरदराज़ के इलाकों में संचार स्थापित करने एवं काउंटर-ड्रोन समाधान के लिये उपयोग किया जा सकता है।
हेल्थकेयर डिलीवरी :
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ड्रोन-आधारित वैक्सीन डिलीवरी मॉडल, i-ड्रोन तैयार किया है। तेलंगाना और पूर्वोत्तर राज्यों को इस ड्रोन तकनीक के उपयोग की मंज़ूरी दूरदराज़ के इलाकों में टीके पहुंँचाने के लिये दे दी गई है।
निगरानी एवं प्रबंधन :
ड्रोन का उपयोग परिसंपत्तियों और ट्रांसमिशन लाइनों की वास्तविक समय निगरानी, चोरी की रोकथाम, दृश्य निरीक्षण / रखरखाव, निर्माण योजना और प्रबंधन आदि के लिये किया जा सकता है
उनका उपयोग अवैध शिकार रोधी कार्यों, जंगलों और वन्यजीवों की निगरानी, प्रदूषण मूल्यांकन तथा साक्ष्य एकत्र करने के लिये किया जा सकता है।
कानून प्रवर्तन :
ड्रोन कानून प्रवर्तन एजेंसियों, आग की घटना और आपातकालीन सेवाओं के लिये भी महत्त्वपूर्ण हैं, जहाँ मानव हस्तक्षेप और स्वास्थ्य सेवाएँ सुरक्षित नहीं है।