विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 1 (22-November-2021)UV-C तकनीक(UV-C technology)
Posted on November 22nd, 2021 | Create PDF File
यूवी-सी जल शोधन (UV-C water purification) या ‘पराबैंगनी-सी’ (Ultraviolet-C) कीटाणुशोधन तकनीक, जल को कीटाणुरहित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
इस तकनीक में, विशेष “कीटाणुनाशक” यूवी-सी लैंप, उच्च-तीव्रता वाले पराबैंगनी प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं और पर्यावरण के लिए हानिकारक कठोर रसायनों के उपयोग के बिना पानी को शुद्ध करते हैं।
‘पराबैगनी विकिरण’ :
‘पराबैगनी विकिरण’ (UV radiation), ‘एक्स-रे’ और ‘दृश्य प्रकाश’ (Visible Light) के बीच ‘विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम’ का हिस्सा होता है।
सूर्य का प्रकाश, पराबैगनी विकिरण का सबसे आम रूप है, जिसमे मुख्यतः तीन प्रकार की अल्ट्रावायलेट किरणें उत्पन्न होती हैं:
UVA
UVB
UVC
UVA किरणों की तरंग दैर्ध्य सर्वाधिक लंबी, इसके बाद UVB किरणों तथा UVC किरणों की तरंग दैर्ध्य सबसे छोटी होती हैं।
UVA और UVB किरणों का संचरण वायुमंडल के माध्यम होता है। जबकि, पृथ्वी की ओजोन परत द्वारा सभी UVC तथा कुछ UVB किरणें अवशोषित हो जाती हैं। इस प्रकार, हम जिन अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आते हैं, उनमे अल्प मात्रा में UVB किरणों सहित अधिकांशतः UVA किरणें होती है।
अल्ट्रावायलेट किरणों का उपयोग :
पराबैगनी विकिरण (UV radiations), का प्रयोग सामान्यतः सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए किया जाता है।
पराबैंगनी रोगाणुनाशक विकिरण (Ultraviolet germicidal irradiation -UVGI), जिसे UV-C भी कहा जाता है, एक कीटाणुशोधन (disinfection) विधि है।
UVGI में लघु-तरंग दैर्ध्य पराबैंगनी प्रकाश का प्रयोग सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने अथवा निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है, इसके दवारा सूक्ष्मजीवों के न्यूक्लिक एसिड को नष्ट कर दिया जाता है अथवा यह उनके DNA को भंग कर देता है जिस कारण सूक्ष्मजीव आवश्यक कोशिकीय क्रियाएं करने में तथा वृद्धि करने में अक्षम हो जाते हैं।
UVGI का प्रयोग भोजन, हवा तथा जल शोधन, जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है।
शोध अध्ययनों के अनुसार, इस उपकरण को विशेष रूप से निर्जीव चीजों को कीटाणुरहित करने के लिए विकसित किया गया है। इसलिए, इस उपकरण में प्रयुक्त यूवी-सी विकिरण जीवित प्राणियों की त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।