राज्य समसामयिकी 1(3-August-2022)
गोवा में समान नागरिक संहिता
(Uniform Civil Code in Goa)

Posted on August 3rd, 2022 | Create PDF File

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संसदीय पैनल ने ‘गोवा की समान नागरिक संहिता’ (Goa’s uniform civil code) के कुछ पुराने प्रावधानों पर प्रकाश डाला है।

 

गोवा नागरिक संहिता (Goa Civil Code) नागरिक कानूनों का एक सेट है, जो इस तटीय राज्य के सभी निवासियों को, उनके धर्म और जातीयता के बावजूद, नियंत्रित करता है।

 

देश भर में ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code – UCC) लागू किए जाने की मांग के बीच ‘गोवा नागरिक संहिता’ ध्यानाकर्षण का विषय बन गयी है।

 

गोवा, भारत में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने वाला एकमात्र राज्य है।

 

आपत्तियां :

 

‘गोवा नागरिक संहिता’ में, विवाह और संपत्ति के विभाजन से संबंधित कानून में कुछ अजीबोगरीब उपबंध हैं, जो पुराने हो चुके हैं और समानता के सिद्धांत पर आधारित नहीं हैं।

 

उदाहरण के लिए, ‘गोवा नागरिक संहिता’ में मुस्लिमों सहित किसी धर्म या सुमदाय के ‘द्विविवाह’ या ‘बहुविवाह’ को मान्यता नहीं दी गयी है, लेकिन अपवाद-स्वरूप, इस क़ानून में, यदि किसी हिंदू पुरुष की पत्नी 21 वर्ष की आयु तक गर्भ धारण नहीं कर पाती है, या 30 वर्ष की आयु तक एक नर-संतान को जन्म नहीं दे पाती है, तो उस हिंदू पुरुष को एक बार फिर से शादी करने की अनुमति दी गयी है। .

 

समान नागरिक संहिता’ (UCC) :

 

‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code), मुख्यतः देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करती है।

 

संविधान के अनुच्छेद 44– जो राज्य के नीति निदेशक तत्वों में से एक है- में कहा गया है, कि देश में एक ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) होनी चाहिए।

 

इस अनुच्छेद के अनुसार, ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक ‘समान सिविल संहिता’ सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।‘

 

चूंकि ‘नीति-निदेशक सिद्धांत’ प्रकृति में केवल दिशा-निर्देशीय हैं, अतः राज्यों के लिए इनका पालन करना अनिवार्य नहीं है।

 

हालांकि, आजादी के बाद से विभिन्न सरकारों ने भारत की विविधता का सम्मान करने करने हेतु ‘संबंधित धर्म-आधारित नागरिक संहिताओं’ को भी अनुमति प्रदान की है।