अंतर्राष्ट्रीय समसामयिकी 1(28-Nov-2022)
UNESCO एशिया-प्रशांत पुरस्कार
(UNESCO Asia-Pacific Awards)

Posted on November 29th, 2022 | Create PDF File

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हाल ही में सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिये यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार 2022 की घोषणा की गई है, जिसमें भारत के चार विजेता शामिल हैं।

 

पुरस्कार विजेता देश :

 

अफगानिस्तान, चीन, भारत, ईरान, नेपाल और थाईलैंड।

 

वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन :

 

पुरस्कारों के लिये छह देशों की तेरह परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया था, वे देश हैं:

 

भारत का प्रदर्शन :

 

उत्कृष्टता का पुरस्कार : छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय, मुंबई

 

विशिष्टता का पुरस्कार : गोलकुंडा की बावड़ी, हैदराबाद

 

मेरिट का पुरस्कार : डोमकोंडा किला, तेलंगाना और भायखला स्टेशन, मुंबई

 

विरासत स्थलों का महत्त्व :

 

विरासत स्थल प्रकृति एवं संस्कृति के मध्य संबंध प्रदर्शित करते हैं। वे शुद्ध-शून्य जल आवश्यकताओं के साथ जलवायु परिवर्तन को संबोधित कर सकते हैं।

 

कुओं के जीर्णोद्धार से पता चलता है कि विरासत स्थलों के संरक्षण के कई उद्देश्य हो सकते हैं।

 

सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिये यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार :

 

‘एशिया-प्रशांत विरासत पुरस्कार’ वर्ष 2000 से यूनेस्को द्वारा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु दिया जा रहा है। इस पुरस्कार का उद्देश्य ऐसे सांस्कृतिक विरासत क्षेत्रों के संरक्षण को बढ़ावा देना है, जिसके संरक्षण के प्रयास किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा प्रारंभ किये गए हैं।

 

यह अन्य संपत्ति मालिकों को स्वतंत्र रूप से या सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा अपने समुदायों के भीतर संरक्षण परियोजनाओं को शुरू करने हेतु प्रोत्साहित करता है।

 

यह पुरस्कार लोगों में अपनी विरासत के प्रति गर्व की भावना प्रदान करता है।

 

 

छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय, मुंबई :

 

यह संग्रहालय मुंबई की विश्व विरासत संपत्ति के विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेंबल्स का एक हिस्सा है।

 

यह वर्ष 1922 में पश्चिमी भारत के प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय के रूप में स्थापित किया गया था।

 

भायखला  रेलवे स्टेशन, मुंबई :

 

यह स्टेशन  वर्ष 1853 में बनाया गया था। देश की पहली ट्रेन लगभग डेढ़ सदी पहले भायखला स्टेशन से गुजरी थी। भायखला रेलवे स्टेशन की बहाली हेतु कार्य किया गया और इसकी  मूल, प्राचीन, वास्तुकला को लगभग जीवंत कर लिया गया है।

 

डोमकोंडा किला, तेलंगाना :

 

डोमाकोंडा किला निजी संपत्ति है और इसे 18वीं शताब्दी में विभिन्न शैलियों के मिश्रण से बनाया गया, जिसमें प्लास्टर वर्क, धनुषाकार खंभे, सपाट छत और एक जल उद्यान तालाब के साथ एक आँगन शामिल था।