अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (25-Feb-2021)^संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ^ (UN Human Rights Council)
Posted on February 25th, 2021
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा:
आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और यह जीवन के अधिकार के सबसे मौलिक मानवाधिकार, ‘जीवन के अधिकार’ (right to life) का उल्लंघन करता है।मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए, तथा देश के आंतरिक मामलों और राष्ट्रीय संप्रभुता में दखल नहीं देने के सिद्धांत का भी पालन होना चाहिए।
पृष्ठभूमि:
भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में आठ सूत्री कार्ययोजना पेश की थी, जिसमे भारत ने विश्व से आतंकवादियों को शरण देने और शरण देने वाले देशों पर शिकंजा कसने के लिए कहा था। इस कार्य-योजना में आतंकी वित्तपोषण पर शिकंजा कसना भी शामिल था।
UNHRC के बारे में:
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) का पुनर्गठन वर्ष 2006 में इसकी पूर्ववर्ती संस्था, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UN Commission on Human Rights) के प्रति ‘विश्वसनीयता के अभाव’ को दूर करने में सहायता करने हेतु किया गया था।इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
वर्तमान में, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) में 47 सदस्य हैं, तथा समस्त विश्व के भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु सीटों का आवंटन प्रतिवर्ष निर्वाचन के आधार पर किया जाता है।प्रत्येक सदस्य तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है।किसी देश को एक सीट पर लगातार अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति होती है।
परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों की ‘सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा’ (Universal Periodic Review- UPR) के माध्यम से मानव अधिकार संबंधी विषयों पर गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित करता है।यह विशेष देशों में मानवाधिकार उल्लंघनों हेतु विशेषज्ञ जांच की देखरेख करता है।
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य-देशों जैसे सऊदी अरब, चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड इसके उद्देश्य और मिशन के अनुरूप नहीं हैं, जिसके कारण आलोचकों द्वारा परिषद की प्रासंगिकता पर सवाल उठाये जाते है।UNHRC में कई पश्चिमी देशों द्वारा निरंतर भागीदारी के बावजूद भी ये मानव अधिकारों संबंधी समझ पर गलतफहमी बनाये रखते हैं।UNHRC की कार्यवाहियों के संदर्भ में गैर-अनुपालन (Non-compliance) एक गंभीर मुद्दा रहा है।अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों की गैर-भागीदारी भी एक गंभीर मुद्दा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (25-Feb-2021)संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Rights Council)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा:
आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और यह जीवन के अधिकार के सबसे मौलिक मानवाधिकार, ‘जीवन के अधिकार’ (right to life) का उल्लंघन करता है।मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए, तथा देश के आंतरिक मामलों और राष्ट्रीय संप्रभुता में दखल नहीं देने के सिद्धांत का भी पालन होना चाहिए।
पृष्ठभूमि:
भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में आठ सूत्री कार्ययोजना पेश की थी, जिसमे भारत ने विश्व से आतंकवादियों को शरण देने और शरण देने वाले देशों पर शिकंजा कसने के लिए कहा था। इस कार्य-योजना में आतंकी वित्तपोषण पर शिकंजा कसना भी शामिल था।
UNHRC के बारे में:
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) का पुनर्गठन वर्ष 2006 में इसकी पूर्ववर्ती संस्था, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UN Commission on Human Rights) के प्रति ‘विश्वसनीयता के अभाव’ को दूर करने में सहायता करने हेतु किया गया था।इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
वर्तमान में, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) में 47 सदस्य हैं, तथा समस्त विश्व के भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु सीटों का आवंटन प्रतिवर्ष निर्वाचन के आधार पर किया जाता है।प्रत्येक सदस्य तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है।किसी देश को एक सीट पर लगातार अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति होती है।
परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों की ‘सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा’ (Universal Periodic Review- UPR) के माध्यम से मानव अधिकार संबंधी विषयों पर गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित करता है।यह विशेष देशों में मानवाधिकार उल्लंघनों हेतु विशेषज्ञ जांच की देखरेख करता है।
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य-देशों जैसे सऊदी अरब, चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड इसके उद्देश्य और मिशन के अनुरूप नहीं हैं, जिसके कारण आलोचकों द्वारा परिषद की प्रासंगिकता पर सवाल उठाये जाते है।UNHRC में कई पश्चिमी देशों द्वारा निरंतर भागीदारी के बावजूद भी ये मानव अधिकारों संबंधी समझ पर गलतफहमी बनाये रखते हैं।UNHRC की कार्यवाहियों के संदर्भ में गैर-अनुपालन (Non-compliance) एक गंभीर मुद्दा रहा है।अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों की गैर-भागीदारी भी एक गंभीर मुद्दा रहा है।