अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (12-Jan-2021)^व्यापार नीति समीक्षा तंत्र^(Trade policy review mechanism)
Posted on January 12th, 2021
हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा जीनेवा में भारत की व्यापार नीति की सातवीं समीक्षा की गयी। जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित भारत की सातवीं व्यापार नीति समीक्षा (Trade Policy Review -TPR) के अंतिम सत्र में डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने 2015 के बाद से व्यापार और आर्थिक वातावरण में सुधार के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
व्यापारनीतिसमीक्षातंत्र
व्यापार नीति समीक्षा तंत्र (TPRM) विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्यों के बीच व्यापार प्रथाओं में पारदर्शिता को स्थापित करने वाला एक उपकरण है। बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में सरकार के निर्णय लेने की घरेलू पारदर्शिता के निहित मूल्य का पालन करने के लिए दिसंबर 1988 में इसे मॉन्ट्रियल मिड-टर्म रिव्यू के दौर में स्थापित किया गया था।
उद्देश्य:
यह डबल्यूटीओ के सदस्यों की व्यापार नीतियों और प्रथाओं की पूरी श्रृंखला की नियमित सामूहिक समीक्षा और मूल्यांकन करके बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के कामकाज पर उनके प्रभाव को सक्षम बनाता है सदस्य देशों की व्यापार नीतियों की पारदर्शिता को बढ़ाने और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के कामकाज को सुचारु से चलाने में सहायता करना।
व्यापारनीतिसमीक्षातंत्रकीकार्यप्रणाली
समीक्षा का आधार और आवृत्ति विश्व व्यापार में सदस्यों के हिस्से पर निर्भर करती है। विश्व व्यापार के चार बड़े हिस्सेदार जैसे यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान की समीक्षा हर दो साल में की जाती है। इनके बाद आने वाले 16 बड़े व्यापार साझीदारों की व्यापार नीति की समीक्षा हर चार साल में समीक्षा की जाती है। अन्य सदस्यों की समीक्षा हर छह साल में की जाती है। हालांकि कुछ कम से कम विकसित सदस्य देशों के लिए एक लंबी अवधि भी तय की जा सकती है। यह समीक्षा विश्व व्यापार संगठन की सामान्य परिषद का एक अनुषंगी निकाय “व्यापार नीति समीक्षा निकाय” द्वारा की जाती है।
भारतकीव्यापारनीतिकीसातवींसमीक्षा
डबल्यूटीओ व्यापार और आर्थिक वातावरण में सुधार के लिए भारत द्वारा किए गए निम्नलिखित प्रमुख प्रयासों की सराहना की है-
भारत सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष कर सुधार के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax) लागू किया जाना।
डबल्यूटीओ के व्यापार सुविधा समझौते (TFA) को लागू करवाने के संदर्भ में भारत द्वारा किए गए प्रयास।
भारत सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को अधिक उदार बनाया जाना।
देश में “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” के अनुकूल वातावरण तैयार करना।
ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट के संकेतको में भारत की स्थिति हो रहे सुधार के लिए।
डबल्यूटीओ द्वारा भारत की प्रशंसा के साथ-साथ कुछ मामलों में चिंता भी व्यक्त की है- जैसे
भारत की व्यापार नीति में पूर्व समीक्षा के बाद से अब तक कोई विशेष परिवर्तन नही हुआ है।
WTO का मानना है कि टैरिफ, निर्यात कर, न्यूनतम आयात मूल्य, आयात तथा निर्यात प्रतिबंध और लाइसेंसिंग जैसे व्यापार नीति के साधनों पर भारत की निर्भरता बहुत अधिक है।
भारत द्वारा इन्हीं साधनों का उपयोग घरेलू मांग तथा आपूर्ति संबंधी आवश्यकताओं को प्रबंधित करने, घरेलू मूल्य में व्यापक उतार-चढ़ाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये किया जाता है।
इसलिए भारत की टैरिफ दरों और व्यापार नीति के अन्य साधनों में लगातार अनिश्चितता बनी रहती है।
अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (12-Jan-2021)व्यापार नीति समीक्षा तंत्र(Trade policy review mechanism)
हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा जीनेवा में भारत की व्यापार नीति की सातवीं समीक्षा की गयी। जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित भारत की सातवीं व्यापार नीति समीक्षा (Trade Policy Review -TPR) के अंतिम सत्र में डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने 2015 के बाद से व्यापार और आर्थिक वातावरण में सुधार के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
व्यापारनीतिसमीक्षातंत्र
व्यापार नीति समीक्षा तंत्र (TPRM) विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्यों के बीच व्यापार प्रथाओं में पारदर्शिता को स्थापित करने वाला एक उपकरण है। बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में सरकार के निर्णय लेने की घरेलू पारदर्शिता के निहित मूल्य का पालन करने के लिए दिसंबर 1988 में इसे मॉन्ट्रियल मिड-टर्म रिव्यू के दौर में स्थापित किया गया था।
उद्देश्य:
यह डबल्यूटीओ के सदस्यों की व्यापार नीतियों और प्रथाओं की पूरी श्रृंखला की नियमित सामूहिक समीक्षा और मूल्यांकन करके बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के कामकाज पर उनके प्रभाव को सक्षम बनाता है सदस्य देशों की व्यापार नीतियों की पारदर्शिता को बढ़ाने और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के कामकाज को सुचारु से चलाने में सहायता करना।
व्यापारनीतिसमीक्षातंत्रकीकार्यप्रणाली
समीक्षा का आधार और आवृत्ति विश्व व्यापार में सदस्यों के हिस्से पर निर्भर करती है। विश्व व्यापार के चार बड़े हिस्सेदार जैसे यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान की समीक्षा हर दो साल में की जाती है। इनके बाद आने वाले 16 बड़े व्यापार साझीदारों की व्यापार नीति की समीक्षा हर चार साल में समीक्षा की जाती है। अन्य सदस्यों की समीक्षा हर छह साल में की जाती है। हालांकि कुछ कम से कम विकसित सदस्य देशों के लिए एक लंबी अवधि भी तय की जा सकती है। यह समीक्षा विश्व व्यापार संगठन की सामान्य परिषद का एक अनुषंगी निकाय “व्यापार नीति समीक्षा निकाय” द्वारा की जाती है।
भारतकीव्यापारनीतिकीसातवींसमीक्षा
डबल्यूटीओ व्यापार और आर्थिक वातावरण में सुधार के लिए भारत द्वारा किए गए निम्नलिखित प्रमुख प्रयासों की सराहना की है-
भारत सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष कर सुधार के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax) लागू किया जाना।
डबल्यूटीओ के व्यापार सुविधा समझौते (TFA) को लागू करवाने के संदर्भ में भारत द्वारा किए गए प्रयास।
भारत सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को अधिक उदार बनाया जाना।
देश में “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” के अनुकूल वातावरण तैयार करना।
ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट के संकेतको में भारत की स्थिति हो रहे सुधार के लिए।
डबल्यूटीओ द्वारा भारत की प्रशंसा के साथ-साथ कुछ मामलों में चिंता भी व्यक्त की है- जैसे
भारत की व्यापार नीति में पूर्व समीक्षा के बाद से अब तक कोई विशेष परिवर्तन नही हुआ है।
WTO का मानना है कि टैरिफ, निर्यात कर, न्यूनतम आयात मूल्य, आयात तथा निर्यात प्रतिबंध और लाइसेंसिंग जैसे व्यापार नीति के साधनों पर भारत की निर्भरता बहुत अधिक है।
भारत द्वारा इन्हीं साधनों का उपयोग घरेलू मांग तथा आपूर्ति संबंधी आवश्यकताओं को प्रबंधित करने, घरेलू मूल्य में व्यापक उतार-चढ़ाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये किया जाता है।
इसलिए भारत की टैरिफ दरों और व्यापार नीति के अन्य साधनों में लगातार अनिश्चितता बनी रहती है।