टी.एन. शेषन - एक महान प्रशासक (T. N. Seshan - A Great Administrator)

Posted on March 27th, 2020 | Create PDF File

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टी.एन. शेषन

 

टी.एन. शेषन एक कठोर प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं। वे जीवनभर शासन एवं प्रशासन के मध्य अंतर्विरोध के लिए लड़ते रहे। स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश शासन में सिविल सेवकों को उपकरण के रूप में देखा जाता था। ब्रिटिश सरकार ने भारतीय सिविल सेवा की स्थापना अधिकाधिक राजस्व प्राप्त करने के लिए और भारतीय प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए की। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात्‌ भी शासन का यह चरित्र बदला नहीं। भारतीय शासन भी अपने हित साधन के लिए सिविल सेवकों को उपकरणों की भांति प्रयोग करता रहा। टी. एन. शेषन का विवाद इसी बिन्दु पर था। उनके सतत विरोध के फलस्वरूप भारतीय प्रशासकों को उपकरण की भांति नहीं बल्कि सहयोगी के रूप में देखा जाने लगा तथा वर्तमान में सरकार का शासक के रूप में जो स्वरूप विद्यमान रहा है उस पर अब प्रतिनिधि के रूप में विवाद गहराता जा रहा है। वर्तमान मांग जन-प्रतिनिधि को जनसेवक के रूप में देखे जाने की है।

 

टी.एन. शेषन ने निर्वाचन प्रणाली में व्यापक सुधार का प्रयास किया। उन्होंने न केवल मतदाता का पहचान पत्र बनवाया जिससे कि गलत मतदान पर रोक लगाई जा सके साथ ही चुनाव के लिए आचार संहिता का भी विधान किया। फलस्वरूप भारतीय चुनाव प्रणाली में व्यापक सुधार हुआ। यद्यपि आज की चुनाव प्रणाली में सुधार की अनेक आवश्यकताएं हैं लेकिन यह कठोर कदम शासन के विरोध के बावजूद भी शेषन ने उठाया।