खगोल समसामियिकी 1 (25 -Feb-2021)
सौर धब्बे
(Sunspots)

Posted on February 25th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में वैज्ञानिक सौर धब्बों (Sunspots) व सौर चक्रों (Solar Cycles) के अध्ययन हेतु रिसर्च कर रहे हैं।भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं के साथ ही मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर सोलर सिस्टम रिसर्च, जर्मनी और साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, अमेरिका के सहयोगियों ने एक सदी पुराने डिजिटलाज्ड फिल्म और फोटो(Century-Old Digitalized Films and Photographs) की मदद से सौर धब्बों (सनस्पॉट) का पता लगाकर सौर परिक्रमा का अध्ययन किया है।पुरानी फिल्में और फोटोग्राफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान भारतीय तारा भौतिकी संस्थान के कोडाईकनाल सोलर ऑब्जर्वेटरी(Kodaikanal Solar Observatory -KoSO) से प्राप्त किए गए और उन्हें अब डिजिटाइज कर दिया गया है।

 


वैज्ञानिकों ने डिजिटाइज्ड पुरानी फिल्मों और फोटोग्राफ्स (Old Films and Photographs)से हासिल डाटा के द्वारा यह अनुमान लगाया है कि पिछली सदी के दौरान सूर्य ने किस तरह परिक्रमा की। इससे सूर्य के भीतरी हिस्से में उत्पन्न होने वाले चुंबकीय क्षेत्र के अध्ययन में मदद मिलेगी जो कि सौर धब्बों(सनस्पॉट) के लिए जिम्मेदार है और जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर ऐतिहासिक लघु हिमयुग (सौर धब्बों का अभाव) जैसी चरम परिस्थितियां पैदा होती हैं।इसके अतिशरिक्त, यह सौर चक्रों और भविष्य में इनमें आने वाले बदलावों का अनुमान लगाने में भी मदद कर सकता है।शोधार्थियों ने परिक्रमा(rotation) के मानव जनित आंकड़ों की डिजिटाइज्ड डाटा से तुलना की और कहा कि कि वे पहली बार बड़े और छोटे सौर धब्बों (सनस्पॉट) के व्यवहार में अंतर कर पाने में सफल हुए हैं।वैज्ञानिकों के इस प्रयास से सौर चुंबकीय क्षेत्र और सौर धब्बों (सनस्पॉट)की समझ विकसित हो सकेगी तथा इससे भविष्य में सौर चक्रों का अनुमान लगाने में भी मदद मिलेगी।

 



सूर्य, आठ ग्रह, उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड, जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते हैं। इसे हम सौर परिवार का नाम भी देते हैं, जिसका मुखिया सूर्य है।सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म गैसों से बना है। इसका खिंचाव बल इससे सौरमंडल को बाँधे रखता है।सूर्य, सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एकमात्र स्रोत है। लेकिन हम इसकी अत्यधिक तेज ऊष्मा को महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि सबसे नजदीक का तारा होने के बावजूद यह हमसे बहुत दूर है। सूर्य, पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।



सौर धब्बा, सूर्य की सतह एक बहुत ही सक्रिय स्थान है।ये सूर्य पर काले धब्बे होते हैं जो सौर गतिविधि से जुड़े होते हैं।सनस्पॉट सूर्य पर एक क्षेत्र है जो इसकी बाहरी सतह अर्थात फोटोस्फीयर (Photosphere) पर गहरा दिखाई देता है और आसपास के हिस्सों की तुलना में अपेक्षाकृत ठंडा है।ये धब्बे सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के दृश्यमान सतह हैं। कुछ धब्बे 50,000 किमी व्यास से भी बड़े होते हैं।सूर्य की सतह पर बनने वाले सनस्पॉट, सूर्य के अध्ययन में काफी मदद करते हैं। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन के मुताबिक, सूर्य पिछले कुछ हजार सालों से शांत है, क्योंकि यहाँ निर्मित होने वाले सनस्पॉट में कमी आई है।

 


दरअसल जब सनस्पॉट ज्यादा बनाते हैं तो सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र काफी अधिक हो जाता है, जिससे तीव्र व जटिल सौर आँधियाँ चलती हैं जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। इससे पृथ्वी पर टेलिकाम व्यवस्था प्रभित होती है और कृतिम सैटेलाइट के विनष्ट होने का खतरा बना रहता है।



सौर चक्र को सौर चुंबकीय गतिविधि चक्र(Solar Magnetic Activity Cycle) भी कहते हैं।सूर्य की गतिविधि में समय-समय पर लगभग 11 वर्ष में परिवर्तन होता है, जिसे सूर्य की बाहरी सतह (फोटोस्फीयर) पर देखे गए सौर धब्बों (सनस्पॉट) की विविधताओं के संदर्भ में मापा जाता है। इसे ही सौर चक्र कहा जाता है।सूर्य की सतह पर विद्युत आवेशित गैसें शक्तिशाली चुंबकीय बलों के क्षेत्र को उत्पन्न करती हैं, जिसे सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र कहा जाता है।ये गैसें लगातार चलती रहती हैं। इस प्रकार, ये चुंबकीय क्षेत्र सौर गतिविधि के रूप में ज्ञात सतह पर खिंचाव या दबाव के कारण गति प्राप्त करते हैं।सौर गतिविधि सौर चक्र के विभिन्न चरणों को दर्शाती है, जो औसतन 11 वर्षों तक चलती है।सौर चक्रों का पृथ्वी पर जीवन और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विशेष महत्व है।वैज्ञानिक सूर्य के स्थानों का उपयोग करके एक सौर चक्र को ट्रैक करते हैं।