विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समसामयिकी 1 (13-September-2021)
स्टारलिंक प्रोजेक्ट
(Starlink Project)

Posted on September 13th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में, एलॉन मस्क ने संकेत दिया है कि सरकारी मंजूरी मिलते ही वे भारत में स्टारलिंक प्रोजेक्ट की शुरुआत कर देंगे।

 

दरअसल, स्टारलिंक सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा है।

 

एलॉन मस्क ने साल 2015 में इस सर्विस का ऐलान किया था।

 

स्टारलिंक प्रोजेक्ट में लो-ऑर्बिट सैटेलाइट के जरिये पूरी धरती पर समान रूप से इंटरनेट सेवा दी जाएगी।

 

दूसरी तरह के इंटरनेट सेवा में समुद्र और महासागरों के नीचे लंबे-लंबे तार दौड़ाए जाते हैं और इसी से दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक इंटरनेट पहुंचाया जाता है।

 

इस समय भारत में वायरलेस इंटरनेट के नाम पर वायमैक्स सर्विसेस और मोबाइल इंटरनेट उपलब्ध है, पर यह सैटेलाइट से डायरेक्ट लिंक न होकर टेरेस्टेरियल नेटवर्क से जुड़ा है।

 

इस वजह से जिन इलाकों में टॉवर्स नहीं होते, वहां इंटरनेट सर्विसेस नहीं मिल पाती।

 

इतना ही नहीं वायमैक्स से मिलने वाला इंटरनेट भी काफी धीमा होता है।

 

स्टारलिंक प्रोजेक्ट के जरिए इलोन मस्क आसमान में कई हजार सैटेलाइट लॉन्च करेंगे।

 

इन सैटेलाइट्स को आपस में लेजर के जरिए जोड़ा जाएगा। ग़ौरतलब है कि कंपनी द्वारा आसमान में कुछ सैटेलाइट्स लांच भी किये जा चुके हैं।

 

कंपनी की योजना करीब 42 हजार सैटेलाइट लॉन्च करने की है।

 

इतनी बड़ी संख्या में सैटेलाइट लॉन्च होने से आपके धीमे इंटरनेट की समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही स्टारलिंक से इंटरनेट सस्ता भी हो जाएगा।

 

वैसे तो स्टारलिंक प्रोजेक्ट काफी महत्वकांक्षी बताया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों ने इसको लेकर कुछ चिंताएं भी ज़ाहिर की हैं।

 

इसमें सबसे बड़ा कंसर्न अंतरिक्ष कचरे को लेकर है।

 

चूंकि कंपनी ने अंतरिक्ष में 42 हजार सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बनाई है, ऐसे में अंतरिक्ष में सैटेलाइट ही सैटेलाइट की भरमार हो जाएगी और उनके आपस में टकराने का भी खतरा है।

 

इस तरह अंतरिक्ष में कचरा भी बढ़ेगा।