व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (19-Apr-2021)
श्री रामानुजाचार्य
(Sri Ramanujacharya)

Posted on April 19th, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

18 अप्रैल, 2021 को श्री रामानुजाचार्य की 1004 वीं जयंती मनाई गई।

 

श्री रामानुजाचार्य :

इनका जन्म 1017 ईस्वी में तमिलनाडु में हुआ था।

 

इन्हें श्री वैष्णववाद दर्शन का सबसे सम्मानित आचार्य माना जाता है।

 

इन्हें इलाया पेरूमल (Ilaya Perumal) के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है प्रकाशमान।

 

इनके भक्तिवाद के दार्शनिक तत्वों से भक्ति आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

 

ये वेदान्त दर्शन परंपरा में ‘विशिष्टाद्वैत’ के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं।

 

उन्होंने ब्रह्म सूत्र और भगवत गीता पर भाष्य जैसे कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, इनकी सभी रचनाएं संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं।

 

‘विशिष्टाद्वैत’ :

 

यह वेदांत दर्शन की एक अद्वैतवादी परंपरा है। यह सर्वगुण-संपन्न परमसत्ता का अद्वैतवाद है, जिसमे मात्र ब्रह्म का असितत्व माना जाता है, लेकिन इसकी अभिव्यक्ति विविध रूपों में होती है।

 

इसे परिमित वेदांत, अथवा सर्वगुण-संपन्न अद्वैतवाद अथवा या योग्य गैर-द्वैतवाद या गुण-सूचक अद्वैतवाद के रूप में भी वर्णित किया जाता है।

 

वेदांत दर्शन की इस परंपरा यह मानती है, कि संपूर्ण जगत की विविधता अथवा बहुरूपता एक ही मूलभूत सत्ता में समाहित होती है।