कृषि समसामयिकी 1(21-Sept-2022)
बीज समझौता
(Seed Treaty)

Posted on September 21st, 2022 | Create PDF File

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भारत, ‘बीज समझौता’ / ‘सीड ट्रीटी’ (Seed treaty) के शासी निकाय के 9वें सत्र की मेजबानी करेगा।

 

‘बीज समझौता’ :

 

‘बीज समझौता’ या ‘सीड ट्रीटी’ (Seed treaty) को ‘खाद्य एवं कृषि हेतु पादप आनुवांशिक संसधानों पर अन्तराष्ट्रीय संधि’ (International Treaty on Plant Genetic Resources for Food and Agriculture, also called Plant Treaty- ITPGRFA) के रूप में भी जाना जाता है।

 

यह पादप आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण, उपयोग और प्रबंधन के लिए एक प्रमुख कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।

 

‘बीज समझौता’ 2001 में ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन’ (United Nations Food and Agriculture Organisation – FAO) द्वारा अपनाया गया था और 2004 में लागू हुआ था।

 

भारत, इस समझौते का एक पक्षकार सदस्य है।

 

‘सीड ट्रीटी’ के उद्देश्य :

 

फसलों की विविधता में किसानों के योगदान को मान्यता देना।

 

पादप आनुवंशिक सामग्री तक पहुंच प्रदान करना;

 

लाभों को साझा किया जाना सुनिश्चित करना;

 

यह समझौता आनुवंशिक संसाधनों के एक आसानी से सुलभ वैश्विक पूल के माध्यम से हमारी 64 सबसे महत्वपूर्ण फसलों को साझा करने में सक्षम बनाता है।

 

‘पादप प्रजाति एवं कृषक अधिकार संरक्षण (PPV&FR) अधिनियम, 2001 (Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights (PPV&FR) Act, 2001) :

 

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2001 में ‘सुई जेनेरिस प्रणाली’ (sui generis system) को अपनाते हुए अधिनियमित किया गया था।

 

यह अधिनियम, पौधों की नई किस्मों के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for the Protection of New Varieties of PlantsUPOV), 1978 के अनुरूप है।

 

अधिनियम में, पादप प्रजनन गतिविधियों में वाणिज्यिक पादप प्रजनकों और किसानों, दोनों के योगदान को मान्यता प्रदान की गयी है, और साथ ही इसमें सभी हितधारकों के विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक हितों का समर्थन करते हुए ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं’ (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) को लागू करने का प्रावधान किया गया है।