व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (18-Apr-2021)
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
(Sarvepalli Radhakrishnan)

Posted on April 17th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में स्वतंत्र भारत के पहले उप राष्ट्रपति, दूसरे राष्ट्रपति और दिग्गज शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पुण्य तिथि (17 अप्रैल) मनाई गई है।

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पूर्व राष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध दार्शनिक भी थे।

 

डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेन्सी के चित्तूर जिले के तिरूत्तनी ग्राम में 5 सितम्बर 1888 को हुआ था।

 

वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे।

 

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य भी रहे।

 

1952 में उपराष्ट्रपति चुने जाने से पहले तक उन्होने सोवियत संघ में विशिष्ट राजदूत के रूप में अपनी सेवाए दी थीं।

 

13 मई 1952 से लेकर 12 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे।

 

13 मई 1962 से 12 मई 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

 

जब वे देश के उपराष्ट्रपति थे तब भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी ने 1954 में उन्हें उनकी महान दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया।

 

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का लंबी बीमारी के बाद 17 अप्रैल, 1975 को निधन हो गया था। इन्हें मरणोपरांत 1975 में अमेरिकी सरकार ने टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया। अमेरिकी सरकार द्वारा यह पुरस्कार धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है। डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले प्रथम गैर-ईसाई संप्रदाय के व्यक्ति थे।

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा क्षेत्र में प्रमुख उपलब्धियां

 

सन् 1931 से 36 तक आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।

 

ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे।

 

कलकत्ता विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में 1937 से 1941 तक कार्य किया।

 

सन् 1939 से 48 तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।

 

1953 से 1962 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।

 

1946 में युनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।