भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं (भाग -6) - संस्कार एवं प्राणी विविधता (Salient features of Indian Society Part-6-Sanskara and Zoological diversity)
Posted on March 19th, 2020
संस्कार (Sanskara)-
संस्कार से तात्पर्य शुद्धिकरण की प्रक्रिया से है। भारतीय समाज में व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और नैतिक शुद्धि आवश्यक माना गया है और इसके लिए कई संस्कारों की व्यवस्था की गई है, जैसे-जातकर्म, नामकरण, विद्यारम्भ, निष्क्रमण, सीमन्तोन्नयन, उपनयन, अन्नप्राशन, गर्भाधघान, पुसंवन, चूड़ाकरण, कर्णवेध, समावर्तन, विवाह एवं अन्त्येष्टि आदि। इन संस्कारों का उद्देश्य व्यक्ति को उसकी विशेष स्थिति और आयु में उसके सामाजिक कर्तव्यों का अवबोध कराना है।
प्राणी विविधता (Zoological Diversity)-
भारत में जलवायु और भौतिक दशाओं में अत्यधिक विविधता होने के कारण जन्तुओं में भी प्रचुर मात्रा में विविधताएं देखने को मिलती हैं, जिनमें प्रोटिस्टा, मोलस्का, एंश्रोपोडा, एम्फीबिया, स्तनघधारी, सरीसृप,प्रोटोकोर डाटा के सदस्य पाइसेज, एब्ज और अन्य अकशेरूकीय शामिल हैं। स्तनधारियों में शाही हाथी, गौर अथवा भारतीय बाइसन (जंगली भैसा), भारतीय गैंडा, हिमाचल का जंगली भेड़, हिरण, चीतल, नील गाय, चार सींगों वाला हिरण, भारतीय बारहसिंगा अथवा काला हिरण आदि शामिल हैं। बिल्लियों में बाघ और शेर सबसे अधिक विशाल हैं; अन्य शानदार प्राणियों में धब्बेदार चीता, साह चीता, रेखांकित बिल्ली आदि भी पाए जाते हैं। स्तनघारियों की कई अन्य प्रजातियां अपनी सुन्दरता, रंग, आभा और विलक्षणता के लिए उल्लेखनीय हैं। जंगली मुर्गी, इंस, बत्तख, मैना, तोता, कबूतर, सारस, धनेश और सूर्य पक्षी जैसे अनेक पक्षी जंगलों और आर्द्र भू-भागों में रहते हैं।
नदियों और झीलों में मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। खारे पानी का घड़ियाल पूर्वी समुद्री तट तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में पाया जाता है। वर्ष 4974 में शुरू की गई घड़ियालों के प्रजनन हेतु परियोजना घड़ियाल को विलुप्त होने से बचाने में सहायक रही है। विशाल हिमालय पर्वत में जन्तुओं की अत्यंत रोचक विभिन्नताएं पाई जाती हैं जिनमें जंगली भेड़ और बकरियां, मारखोर, आई बेकस, थ्रू और टेपिर शामिल हैं। पांडा और साह् चीजा पर्वतों के ऊपरी भाग में पाए जाते हैं।
हालांकि कृषि का विस्तार, पर्यावरण का नाश, प्रदूषण, सामुदायिक संरचना में असन्तुलन, महामारी, बाढ़, सूखा आदि कारणों से वनस्पति और जनन््तु समूह की हानि हुई है। स्तनघारियों की 39 प्रजातियां, पक्षियों की 72 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 7 प्रजातियां, उभयचर की 3 प्रजातियां, मछलियों की दो प्रजातियां और तितलियों, शलभों तथा भृंगों की काफी संख्या को असुरक्षित और संकटग्रस्त माना गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत में जन्तु सम्बन्धी विविधताएं अद्भुत और अतुलनीय है।
भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं (भाग -6) - संस्कार एवं प्राणी विविधता (Salient features of Indian Society Part-6-Sanskara and Zoological diversity)
संस्कार से तात्पर्य शुद्धिकरण की प्रक्रिया से है। भारतीय समाज में व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और नैतिक शुद्धि आवश्यक माना गया है और इसके लिए कई संस्कारों की व्यवस्था की गई है, जैसे-जातकर्म, नामकरण, विद्यारम्भ, निष्क्रमण, सीमन्तोन्नयन, उपनयन, अन्नप्राशन, गर्भाधघान, पुसंवन, चूड़ाकरण, कर्णवेध, समावर्तन, विवाह एवं अन्त्येष्टि आदि। इन संस्कारों का उद्देश्य व्यक्ति को उसकी विशेष स्थिति और आयु में उसके सामाजिक कर्तव्यों का अवबोध कराना है।
प्राणी विविधता (Zoological Diversity)-
भारत में जलवायु और भौतिक दशाओं में अत्यधिक विविधता होने के कारण जन्तुओं में भी प्रचुर मात्रा में विविधताएं देखने को मिलती हैं, जिनमें प्रोटिस्टा, मोलस्का, एंश्रोपोडा, एम्फीबिया, स्तनघधारी, सरीसृप,प्रोटोकोर डाटा के सदस्य पाइसेज, एब्ज और अन्य अकशेरूकीय शामिल हैं। स्तनधारियों में शाही हाथी, गौर अथवा भारतीय बाइसन (जंगली भैसा), भारतीय गैंडा, हिमाचल का जंगली भेड़, हिरण, चीतल, नील गाय, चार सींगों वाला हिरण, भारतीय बारहसिंगा अथवा काला हिरण आदि शामिल हैं। बिल्लियों में बाघ और शेर सबसे अधिक विशाल हैं; अन्य शानदार प्राणियों में धब्बेदार चीता, साह चीता, रेखांकित बिल्ली आदि भी पाए जाते हैं। स्तनघारियों की कई अन्य प्रजातियां अपनी सुन्दरता, रंग, आभा और विलक्षणता के लिए उल्लेखनीय हैं। जंगली मुर्गी, इंस, बत्तख, मैना, तोता, कबूतर, सारस, धनेश और सूर्य पक्षी जैसे अनेक पक्षी जंगलों और आर्द्र भू-भागों में रहते हैं।
नदियों और झीलों में मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। खारे पानी का घड़ियाल पूर्वी समुद्री तट तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में पाया जाता है। वर्ष 4974 में शुरू की गई घड़ियालों के प्रजनन हेतु परियोजना घड़ियाल को विलुप्त होने से बचाने में सहायक रही है। विशाल हिमालय पर्वत में जन्तुओं की अत्यंत रोचक विभिन्नताएं पाई जाती हैं जिनमें जंगली भेड़ और बकरियां, मारखोर, आई बेकस, थ्रू और टेपिर शामिल हैं। पांडा और साह् चीजा पर्वतों के ऊपरी भाग में पाए जाते हैं।
हालांकि कृषि का विस्तार, पर्यावरण का नाश, प्रदूषण, सामुदायिक संरचना में असन्तुलन, महामारी, बाढ़, सूखा आदि कारणों से वनस्पति और जनन््तु समूह की हानि हुई है। स्तनघारियों की 39 प्रजातियां, पक्षियों की 72 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 7 प्रजातियां, उभयचर की 3 प्रजातियां, मछलियों की दो प्रजातियां और तितलियों, शलभों तथा भृंगों की काफी संख्या को असुरक्षित और संकटग्रस्त माना गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत में जन्तु सम्बन्धी विविधताएं अद्भुत और अतुलनीय है।