राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (25-Nov-2020)^संपत्ति का अधिकार ^(Right to Property)
Posted on November 25th, 2020
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि "केंद्र और राज्य सरकारें अनिश्चितकाल तक नागरिकों की संपत्तियों को जब्त करके अपने कब्जे में नहीं रख सकती हैं।"सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को तीन महीने के अंदर उसके कानूनी मालिक बीएम कृष्णमूर्ति के किसी वारिस को लौटाने का आदेश देते हुए यह फैसला सुनाया है।
केंद्र सरकार ने बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को 1963 में हासिल किया था। यह जमीन करीब 57 वर्षों से केंद्र सरकार के कब्जे में थी।केंद्र सरकार द्वारा इस भूमि पर कब्जें के विरुद्ध वीके रविचंद्रा और अन्य की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर याचिका के जरिये केंद्र के जमीन को खाली छोड़ने की इजाजत मांगी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के निर्णयों में भी यह कहा है कि "भारतीय संविधान के अंतर्गत भले ही संपत्ति का अधिकार (Right to Property) अब मौलिक अधिकार नहीं रहा है, किन्तु इसके बावजूद भी राज्य (state) उचित प्रक्रिया और विधि के अधिकार का पालन करके ही किसी व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से वंचित कर सकता है।"
सुप्रीम कोर्ट की इस खंडपीठ ने अपने एक फैसले में कहा है कि ऐसी कोई भी घटना या ऐसा करने की अनुमति देना किसी भी तरह से किसी गैरकानूनी कृत्य से कम नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैसे तो संपत्ति का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार नहीं बताया गया है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों को अनिश्चितकाल तक नागरिकों की संपत्ति को अपने कब्जे में रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट ने अपने निर्णय में कहा कि "संपत्ति का अधिकार एक बेशकीमती अधिकार है जिसमें आर्थिक स्वतंत्रता की गारंटी हासिल होती है।"
भारत में पहले संपत्ति का अधिकार (Right to Property) भारतीय संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-31 में संपत्ति के अधिकार का वर्णन था।किन्तु 44वें संविधान संशोधन(1978) के द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से विधिक अधिकार में परिवर्तित कर दिया गया।वर्तमान में संपत्ति का अधिकार (Right to Property) भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 300(A) के अंतर्गत एक संवैधानिक अधिकार के रूप में स्थापित है।
राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (25-Nov-2020)संपत्ति का अधिकार (Right to Property)
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि "केंद्र और राज्य सरकारें अनिश्चितकाल तक नागरिकों की संपत्तियों को जब्त करके अपने कब्जे में नहीं रख सकती हैं।"सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को तीन महीने के अंदर उसके कानूनी मालिक बीएम कृष्णमूर्ति के किसी वारिस को लौटाने का आदेश देते हुए यह फैसला सुनाया है।
केंद्र सरकार ने बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को 1963 में हासिल किया था। यह जमीन करीब 57 वर्षों से केंद्र सरकार के कब्जे में थी।केंद्र सरकार द्वारा इस भूमि पर कब्जें के विरुद्ध वीके रविचंद्रा और अन्य की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर याचिका के जरिये केंद्र के जमीन को खाली छोड़ने की इजाजत मांगी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के निर्णयों में भी यह कहा है कि "भारतीय संविधान के अंतर्गत भले ही संपत्ति का अधिकार (Right to Property) अब मौलिक अधिकार नहीं रहा है, किन्तु इसके बावजूद भी राज्य (state) उचित प्रक्रिया और विधि के अधिकार का पालन करके ही किसी व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से वंचित कर सकता है।"
सुप्रीम कोर्ट की इस खंडपीठ ने अपने एक फैसले में कहा है कि ऐसी कोई भी घटना या ऐसा करने की अनुमति देना किसी भी तरह से किसी गैरकानूनी कृत्य से कम नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैसे तो संपत्ति का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार नहीं बताया गया है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों को अनिश्चितकाल तक नागरिकों की संपत्ति को अपने कब्जे में रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट ने अपने निर्णय में कहा कि "संपत्ति का अधिकार एक बेशकीमती अधिकार है जिसमें आर्थिक स्वतंत्रता की गारंटी हासिल होती है।"
भारत में पहले संपत्ति का अधिकार (Right to Property) भारतीय संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-31 में संपत्ति के अधिकार का वर्णन था।किन्तु 44वें संविधान संशोधन(1978) के द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से विधिक अधिकार में परिवर्तित कर दिया गया।वर्तमान में संपत्ति का अधिकार (Right to Property) भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 300(A) के अंतर्गत एक संवैधानिक अधिकार के रूप में स्थापित है।