राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (22-November-2021)रेजांग ला का वॉर मेमोरियल(Rezang La War Memorial)
Posted on November 22nd, 2021 | Create PDF File
हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री द्वारा ‘रेजांग ला’ युद्ध (वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान) की वर्षगांठ पर पुनर्निर्मित ‘रेजांग ला वॉर मेमोरियल’ का उद्घाटन किया गया।
रेजांग-ला युद्ध :
1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांग-ला दर्रे में भारत तथा चीन के सैनिको के मध्य मुठभेड़ हुई थी।
यह स्थान लगभग 18,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस युद्ध में 114 भारतीय सैनिकों ने 2000 चीनी सैनिको की एक टुकड़ी के साथ युद्ध किया तथा उन्हें भारी क्षति पहुंचाकर कैलाश पर्वतमाला और आसपास के क्षेत्रों की रक्षा की थी।
इस युद्ध में कुमाऊ-रेजिमेंट की चार्ली कंपनी ने भाग लिया था जिसका नेतृत्व मेजर शैतान सिंह कर रहे थे। इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह समेत भारत के 98 सैनिक शहीद हुए थे। इसके लिए मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र दिया गया था।
रेजांग ला की लड़ाई को लद्दाख में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण युद्धों में से माना जाता है।
भारत के रक्षा मंत्री ने इसे विश्व के महत्वपूर्ण युद्धों में एक बताया है।
रेजांग-ला दर्रा :
यह भारत के लद्दाख़ क्षेत्र में चुशूल घाटी के दक्षिणपूर्व में स्थित पहाड़ी दर्रा है।
यह 2.7 किमी लम्बा है तथा इसकी औसत ऊँचाई 16000 फ़ीट है।
यह स्पैंग्गुर गैप (जिसका 1960 की सीमा वार्ता के दौरान चीन ने अपनी 'पारंपरिक प्रथागत सीमा' के रूप में दावा किया था ) के दक्षिण में 11 मील की दूरी पर है।
इसकी ऊंचाई 5,500 मीटर (18,000 फीट) है।
रेजांग ला के उत्तर-पश्चिम में लगभग 2-3 किमी की दूरी पर रेचिन ला है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति है।
वॉर मेमोरियल :
यह वॉर मेमोरियल लद्दाख के ‘चुशुल’ में स्थित यह स्मारक 15,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर मौजूद है और भारत-चीन सीमा के बहुत ही करीब स्थित है।
इसे जनता हेतु खोल दिया गया है।
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब कि भारत तथा चीन सीमा पर तनाव का माहौल है। यह प्रदार्शित करता है कि भारत अपनी सम्प्रभुता की रक्षा हेतु सजग है तथा किसी के दबाव से भयभीत नहीं है।