राष्ट्रीय समसामयिकी 1(23-Sept-2022)
हैदराबाद के निज़ाम की तलवार की वापसी
(Return of the Sword of the Nizam of Hyderabad)

Posted on September 25th, 2022 | Create PDF File

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14वीं सदी की औपचारिक तलवार जो 20वीं सदी की शुरुआत में हैदराबाद में एक ब्रिटिश जनरल को बेची गई थी, को भारत में वापस लाने की तैयारी की जा रही है।

 

यह तलवार उन सात वस्तुओं में शामिल है जिन्हें ग्लासगो लाइफ (जो ग्लासगो के संग्रहालयों का प्रबंधन करती है)  द्वारा स्वदेश भेजा जा रहा है।

 

तलवार :

 

तलवार का प्रदर्शन हैदराबाद के निज़ाम महबूब अली खान, आसफ जाह VI (वर्ष 1896-1911) द्वारा दिल्ली या इंपीरियल दरबार में वर्ष 1903 में किया गया था, जो भारत के सम्राट और महारानी के रूप में राजा एडवर्ड सप्तम और रानी एलेक्जेंड्रा के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में आयोजित एक औपचारिक स्वागत समारोह था।

 

तलवार को वर्ष 1905 में बॉम्बे कमांड के कमांडर-इन-चीफ, जनरल सर आर्चीबाल्ड हंटर द्वारा (1903-1907) महाराजा किशन प्रसाद जो हैदराबाद के बहादुर यामीन उस-सुल्तान के प्रधानमंत्री थे, से खरीदा गया था।

 

किशन प्रसाद महाराजा चंदू लाल के परिवार से थे, जो दो बार निजाम सिकंदर जाह के प्रधानमंत्री रहे।

 

किशन प्रसाद को उनकी उदारता के लिये जाना जाता था, वहीँ उन्हें अपनी मोटरकार का पीछा करने वाले लोगों के लिये सिक्के लुटाने हेतु भी जाना जाता था।

 

तलवार को सर हंटर के भतीजे, मिस्टर आर्चीबाल्ड हंटर सर्विस ने वर्ष 1978 में ग्लासगो लाइफ- संग्रहालय के लिये दान कर दिया था।

 

विशेषताएँ :

 

साँप के आकार की तलवार में दाँतेदार किनारे और दमिश्क पैटर्न है, जिसमें हाथी-बाघ की सोने की नक्काशी हुई है।

 

ग्लासगो में अन्य भारतीय वस्तुएँ :

 

छह वस्तुओं में 14वीं शताब्दी की कई नक्काशी और 11वीं शताब्दी के पत्थर के दरवाजे शामिल हैं। उन्हें 19वीं सदी में पूजास्थलों और मंदिरों से चुरा लिया गया था।