पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (4-Aug-2020)^भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तेंदुए की गणना संबंधी रिपोर्ट^(Report on leopard sightings)
Posted on August 4th, 2020
भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) द्वारा वैश्विक बाघ गणना के भाग के रूप में, तेंदुओं (leopard) के देखे जाने संबंधी एक रिपोर्ट तैयार की गयी है, जिसे माह के अंत तक जारी किया जाएगा।
भारत में तेंदुए की अलग से गणना नहीं की जाती है। भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा प्रति चार वर्ष में किये जाने वाले बाघ सर्वेक्षण के दौरान कैमरा ट्रैप छवियों के आधार पर तेंदुए सहित अन्य वन्य जीवों की आबादी का भी अनुमान लगाया जाता है।भारत के तेंदुओं की अंतिम औपचारिक गणना 2014 में आयोजित की गई थी जिसमें इस प्रजाति की आबादी 12,000 से 14,000 के मध्य आंकलित की गयी थी।सर्वेक्षण में बाघ के निवास के आसपास के क्षेत्रों में 8,000 तेंदुए होने का अनुमान लगाया गया था।
बाघ सर्वेक्षण के साथ-साथ तेंदुओं का सर्वेक्षण काफी कठिनाई भरा होता है क्योंकि तेंदुआ अक्सर जंगलों की बाहरी सीमा पर, मानव बस्ती के नजदीक रहने का अभ्यस्त होता है, जबकि बाघ एक चालाक जीव होता है, जो सामान्यतः जंगलों के बीच में रहता है। इससे तेंदुओं की सही संख्या का अनुमान लगाने में काफी गलतियाँ होती हैं।तेंदुए, बाघ तथा मनुष्य दोनों के वास स्थलों में निवास करते हैं। ये संरक्षित क्षेत्रों में भी पाए जाते है, और साथ ही कृषि क्षेत्रों, झाड़ीयुक्त-प्रदेशों तथा नदीय इलाकों में भी निवास करते हैं। अतः, इस प्रकार की व्यापक रूप से बिखरी हुई आबादी की गणना करना कठिन कार्य है।इसके अलावा, तेंदुए अभी पर्याप्त संख्या है तथा देश के सभी भागों में अच्छी तरह से वितरित हैं। अतः इनकी पृथक गणना करना आवश्यक भी नहीं है।
भारत में तेंदुओं की आबादी पिछली सदी की तुलना में मात्र दस प्रतिशत के करीब होने का अनुमान है, तथा इनकी संख्या में कमी का प्रमुख कारण मानव दबाव है।तेंदुओं की गणना करने के स्थान पर, यदि इनके संरक्षण को नीतिगत निर्णयों में प्राथमिकता दी जाये तो यह इस प्रजाति के लिए काफी भला होगा।तेंदुओं की प्रतिशोधात्मक हत्या करने तथा इनके व्यापार के लिए अवैध शिकार पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक सख्त नीति लागू की जानी चाहिए।वर्तमान में इस प्रजाति के समक्ष, मनुष्यों के साथ संघर्ष, अवैध शिकार, शिकार की उपलब्धता, वास स्थानों की कमी आदि खतरों को देखते हुए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की भांति एक पहल शुरू किये जाने की आवश्यकता है।
तेंदुआ (Leopard)-
* वैज्ञानिक नाम- पैन्थेरा पार्डस (Panthera pardus)
* भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध
* CITES के परिशिष्ट-I में सम्मिलित
* IUCN रेड लिस्ट में असुरक्षित (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध
* विश्व में तेंदुए की नौ उप-प्रजातियां पाई जाती है, तथा ये अफ्रीका और एशिया में वितरित है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (4-Aug-2020)भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तेंदुए की गणना संबंधी रिपोर्ट(Report on leopard sightings)
भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) द्वारा वैश्विक बाघ गणना के भाग के रूप में, तेंदुओं (leopard) के देखे जाने संबंधी एक रिपोर्ट तैयार की गयी है, जिसे माह के अंत तक जारी किया जाएगा।
भारत में तेंदुए की अलग से गणना नहीं की जाती है। भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा प्रति चार वर्ष में किये जाने वाले बाघ सर्वेक्षण के दौरान कैमरा ट्रैप छवियों के आधार पर तेंदुए सहित अन्य वन्य जीवों की आबादी का भी अनुमान लगाया जाता है।भारत के तेंदुओं की अंतिम औपचारिक गणना 2014 में आयोजित की गई थी जिसमें इस प्रजाति की आबादी 12,000 से 14,000 के मध्य आंकलित की गयी थी।सर्वेक्षण में बाघ के निवास के आसपास के क्षेत्रों में 8,000 तेंदुए होने का अनुमान लगाया गया था।
बाघ सर्वेक्षण के साथ-साथ तेंदुओं का सर्वेक्षण काफी कठिनाई भरा होता है क्योंकि तेंदुआ अक्सर जंगलों की बाहरी सीमा पर, मानव बस्ती के नजदीक रहने का अभ्यस्त होता है, जबकि बाघ एक चालाक जीव होता है, जो सामान्यतः जंगलों के बीच में रहता है। इससे तेंदुओं की सही संख्या का अनुमान लगाने में काफी गलतियाँ होती हैं।तेंदुए, बाघ तथा मनुष्य दोनों के वास स्थलों में निवास करते हैं। ये संरक्षित क्षेत्रों में भी पाए जाते है, और साथ ही कृषि क्षेत्रों, झाड़ीयुक्त-प्रदेशों तथा नदीय इलाकों में भी निवास करते हैं। अतः, इस प्रकार की व्यापक रूप से बिखरी हुई आबादी की गणना करना कठिन कार्य है।इसके अलावा, तेंदुए अभी पर्याप्त संख्या है तथा देश के सभी भागों में अच्छी तरह से वितरित हैं। अतः इनकी पृथक गणना करना आवश्यक भी नहीं है।
भारत में तेंदुओं की आबादी पिछली सदी की तुलना में मात्र दस प्रतिशत के करीब होने का अनुमान है, तथा इनकी संख्या में कमी का प्रमुख कारण मानव दबाव है।तेंदुओं की गणना करने के स्थान पर, यदि इनके संरक्षण को नीतिगत निर्णयों में प्राथमिकता दी जाये तो यह इस प्रजाति के लिए काफी भला होगा।तेंदुओं की प्रतिशोधात्मक हत्या करने तथा इनके व्यापार के लिए अवैध शिकार पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक सख्त नीति लागू की जानी चाहिए।वर्तमान में इस प्रजाति के समक्ष, मनुष्यों के साथ संघर्ष, अवैध शिकार, शिकार की उपलब्धता, वास स्थानों की कमी आदि खतरों को देखते हुए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की भांति एक पहल शुरू किये जाने की आवश्यकता है।
तेंदुआ (Leopard)-
* वैज्ञानिक नाम- पैन्थेरा पार्डस (Panthera pardus)
* भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध
* CITES के परिशिष्ट-I में सम्मिलित
* IUCN रेड लिस्ट में असुरक्षित (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध
* विश्व में तेंदुए की नौ उप-प्रजातियां पाई जाती है, तथा ये अफ्रीका और एशिया में वितरित है।