विश्वसनीयता और पारदर्शिता (Reliability and Transparency)

Posted on March 16th, 2020 | Create PDF File

विश्वसनीयता एक नैतिक मूल्य के रूप में मान्य है। वास्तव में विश्वसनीयता के संदर्भ में भी प्रायः ज्ञान एवं अज्ञान का प्रश्न बना रहता है। अनेक ऐसे वैज्ञानिक सिद्धान्त रहे हैं जो लंबे समय तक विश्वसनीय बने रहे, लेकिन नवीन शोधों ने उन्हें अविश्सनीय बना दिया। अर्थात्‌ विश्वसनीयता ज्ञात एवं पारदर्शिता पर निर्भर करती है।

 

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य बन चुका है। पारदर्शिता से अभिप्राय निजी एवं सार्वजनिक क्रियाकलापों में तथ्यों को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करता है। किसी भी कार्य की जानकारी को छुपाना अपारदर्शिता कहलाता है। सामाजिक कार्यक्षेत्र के साथ-साथ व्यक्तित्व में भी पारदर्शिता का होना आवश्यक है। प्रायः व्यक्तित्व भी अपारदर्शी होते हैं। विचारों के आदान-प्रदान एवं मुक्त संप्रेषण के अभाव में व्यक्तित्व अपारदर्शी हो जाता है।अपारदर्शी व्यक्तित्व अविकसित व्यक्तित्व का परिचायक हेै। विचारों का संप्रेक्षण एवं परस्पर वाद-विवाद लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। पारदर्शिता के अभाव में अच्छे शासन एवं प्रशासन की अपेक्षा नहीं की जा सकती ।